BALCO Chimney Collapse 2009: कोरबा (छत्तीसगढ़)। वर्ष 2009 में बालको (Bharat Aluminium Company – BALCO) के प्लांट में हुई चिमनी गिरने की दुर्घटना को लेकर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। 23 सितंबर 2009 को हुई इस भयावह घटना में 120 मीटर ऊंची चिमनी के गिरने से 40 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और कई गंभीर रूप से घायल हुए थे। अब कोर्ट ने BALCO सहित अन्य ठेका कंपनियों SEPCO, GDCL, BVIL और DCPL के प्रमुख अधिकारियों को भी अभियुक्त बनाने का निर्देश दिया है।
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बालको चिमनी हादसा भारत में औद्योगिक लापरवाही का एक गंभीर उदाहरण है। इस हादसे ने सुरक्षा मानकों की अनदेखी और मजदूरों की जान की कीमत पर किए गए समझौतों को उजागर किया। कोर्ट के ताजा फैसले के बाद BALCO और वेदांता रिसोर्सेज के प्रबंधन पर कड़ा शिकंजा कस सकता है। आने वाले दिनों में इस मामले में और भी बड़े फैसले सामने आ सकते हैं।
हादसे की पृष्ठभूमि
बालको प्लांट में 1200 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए चिमनी का निर्माण किया जा रहा था। 23 सितंबर 2009 को अचानक यह निर्माणाधीन चिमनी ढह गई, जिसके नीचे 100 से अधिक मजदूर दब गए। इस दर्दनाक हादसे में 40 मजदूरों की मौत हो गई और कई गंभीर रूप से घायल हुए। हादसे के समय मौसम खराब था, तेज बारिश और बिजली गिरने के कारण मजदूर पास के स्टोर रूम में शरण लिए हुए थे। तभी अचानक चिमनी भरभराकर गिर गई।
जांच और बक्शी आयोग की रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ सरकार ने घटना की जांच के लिए बक्शी आयोग का गठन किया था। जांच में सामने आया कि चिमनी के निर्माण में तकनीकी खामियां थीं। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) रायपुर की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि:
बालको चिमनी हादसे की जांच के लिए गठित बक्शी आयोग की रिपोर्ट के 10 मुख्य बिंदु –
- बालको की जिम्मेदारी: बालको परियोजना का स्वामी होने के नाते सुरक्षा उपायों की जिम्मेदारी उसकी थी, लेकिन उसने यह जिम्मेदारी ठेकेदारों पर स्थानांतरित कर दी।
- ठेकेदारों का अनुबंध: बालको ने SEPCO से अनुबंध किया, जिसने आगे GDCL को निर्माण कार्य सौंपा, जिससे सुरक्षा से संबंधित जिम्मेदारियों का स्थानांतरण हुआ।
- कानूनी उल्लंघन: निर्माण कार्य छत्तीसगढ़ नगर निगम अधिनियम 1956, फैक्ट्री अधिनियम 1948 और छत्तीसगढ़ फैक्ट्री नियम 1962 का उल्लंघन करते हुए किया गया।
- सुरक्षा उपायों की अनदेखी: साइट पर सुरक्षा उपकरण, एंबुलेंस, प्राथमिक चिकित्सा और स्वास्थ्य सुविधाओं की उचित व्यवस्था नहीं थी।
- सरकारी निगरानी की कमी: श्रमायुक्त या मुख्य निरीक्षक ने परियोजना स्थल पर कोई निरीक्षण नहीं किया, जिससे सुरक्षा नियमों का पालन सुनिश्चित नहीं हो सका।
- तकनीकी निरीक्षण की कमी: निर्माण कार्य के दौरान आवश्यक निरीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गईं, जिससे तकनीकी मानकों का उल्लंघन हुआ।
- विशेषज्ञों की लापरवाही: निर्माण डिज़ाइन तैयार करने वाले विशेषज्ञों और इंजीनियरों ने आवश्यक सुरक्षा मानकों का अनुपालन सुनिश्चित नहीं किया।
- निर्माण स्थल पर अव्यवस्था: साइट इंजीनियरों ने यह स्पष्ट नहीं किया कि सुरक्षा उपायों को कैसे लागू किया गया था, और न ही किसी सुरक्षा दस्तावेज को आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया।
- बालको, SEPCO और GDCL समान रूप से दोषी: तीनों संस्थाओं ने निर्माण कार्य में सुरक्षा और कानूनी मानकों की अनदेखी की, जिससे दुर्घटना हुई।
- दुर्घटना से सबक: आयोग ने निष्कर्ष निकाला कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त सुरक्षा उपायों और निगरानी तंत्र की आवश्यकता है।
अदालत का कड़ा रुख
इस हादसे में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। कोर्ट ने अब मामले में BALCO, SEPCO, GDCL, BVIL और DCPL को अभियुक्त के रूप में जोड़ा है। इन कंपनियों के सीईओ, प्रबंध निदेशक (MD), महाप्रबंधक और अन्य शीर्ष अधिकारियों पर भी कानूनी शिकंजा कसने के आदेश दिए गए हैं।
हालांकि, अभी इन कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों की सटीक जानकारी नहीं मिल पाई है। अदालत ने आदेश दिया है कि इन कंपनियों के अधिकृत प्रतिनिधियों के माध्यम से उनकी उपस्थिति सुनिश्चित की जाए।

घटनाक्रम की प्रमुख टाइमलाइन
तारीख | घटना |
---|---|
23 सितंबर 2009 | बालको प्लांट में 120 मीटर ऊंची निर्माणाधीन चिमनी गिरने से 40 मजदूरों की मौत |
नवंबर 2009 | परियोजना प्रबंधक और वेदांता रिसोर्सेज के तीन अधिकारियों की गिरफ्तारी |
जनवरी 2010 | SEPCO कंपनी के तीन चीनी अधिकारियों की गिरफ्तारी, जिन्हें बाद में बिना जमानत हिरासत में भेजा गया |
फरवरी 2010 | NIT रायपुर की रिपोर्ट में निर्माण की खामियों की पुष्टि |
2012 | बक्शी आयोग की रिपोर्ट में भी खामियों की पुष्टि |
2025 | कोर्ट का आदेश – BALCO समेत अन्य ठेका कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों को अभियुक्त बनाया जाए |
बालको और वेदांता पर उठते सवाल
बालको, जो वेदांता रिसोर्सेज के अधीन आता है, शुरू में इस घटना पर चुप्पी साधे रहा। हादसे के बाद कंपनी ने सिर्फ इतना कहा था कि “एक दुर्घटना हुई है और कुछ लोग घायल हुए हैं”।
सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया:
- राज्य सरकार ने BALCO पर सुरक्षा उपायों की अनदेखी का आरोप लगाया।
- हादसे के बाद मृतकों के परिजनों को 1 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की गई।
- मजदूरों के गुस्से के चलते एक GDCL कर्मचारी को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला।
क्या हो सकता है आगे?
- अदालत ने अब कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों को अभियुक्त बनाने का निर्देश दिया है, जिससे कंपनी प्रबंधन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
- यदि दोष सिद्ध होता है तो संबंधित अधिकारियों पर गंभीर दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है।
- इस केस का फैसला भविष्य में उद्योगों की सुरक्षा नीतियों और नियमों में बदलाव ला सकता है।
बालको चिमनी हादसा: कोर्ट का विस्तृत आदेश, देखें यहां –
बालको चिमनी हादसा: बक्शी आयोग की विस्तृत रिपोर्ट, देखें यहां –
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