Gangaur: हमारा देश भारत अपनी विभिन्न संस्कृति के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। भारत में कई तरह के तीज-त्यौहार मनाये जाते हैं। इन्हीं में से एक है गणगौर का त्योहार। राजस्थान में विशेष रूप से मनाया जाने वाला यह त्योहार माता पार्वती को समर्पित होता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, जो सुहागन स्त्री इस व्रत को पूरी श्रद्धा और भक्ति से करती है, माँ गणगौर उसे सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद देती हैं। हालांकि कुंवारी कन्याएँ भी अपने लिए एक सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती हैं।
हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर का व्रत किया जाता है। इस दिन माता पार्वती और उनके पति देवों के देव महादेव की पूजा की जाती है। उन्हें भगवान इसर और पार्वती के रूप में पूजा जाता है। इस खास अवसर पर सुहागिन महिलाएँ पति की दीर्घायु और परिवार में सुख-शांति के लिए गणगौर का व्रत करती हैं और देवों के देव महादेव और माँ पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। आइए जानते हैं कि आख़िर क्यों किया जाता है यह व्रत, साथ ही जानते हैं कि क्या है इस वर्ष गणगौर व्रत की डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
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Gangaur 2024 की तारीख:
गणगौर का व्रत प्रत्येक वर्ष चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को किया जाता है। आपको बता दें कि होली के अगले दिन इस व्रत की शुरुआत होती है, जिसे चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन तक रखा जाता है। महिलाएँ इस दौरान 17 दिनों तक विधिवत माता पार्वती की पूजा करती हैं। गणगौर का व्रत इस साल 11 अप्रैल 2024 किया जायेगा। इस दिन महिलाएँ भगवान शिव एवं माता पार्वती की मिट्टी की प्रतिमाएँ बनती है। फिर 17 दिनों तक उनकी पूजा की जाती है। इस दिन शिव को गण और पार्वती को गौरा के रूप में पूजा जाता हैं। इसलिए इस त्यौहार को गणगौर कहा जाता है।
गणगौर व्रत का शुभ मुहूर्त:
10 अप्रैल को शाम 05 बजकर 32 मिनट से चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि शुरू होगी। 11 अप्रैल को दोपहर 3 बजे इस तिथि का समापन भी होगा। ये व्रत उदयातिथि के अनुसार 11 अप्रैल को रखा जाएगा। इस दिन सुबह 6 बजकर 29 मिनट से 8 बजकर 24 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा। वहीं अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12: 04 से 12: 52 बजे तक रहेगा।
गणगौर व्रत पूजा विधि:
सुबह जल्दी उठकर गणगौर व्रत के दिन सोलह शृंगार करें।
इसके बाद शिव और माता पार्वती की मिट्टी से प्रतिमा बनाएँ।
फिर उस मूर्ति को एक साफ़ चौकी पर रखें। उसके बाद माता पार्वती को चंदन, रोली और अक्षत अर्पित करें।
इसके बाद माता पार्वती का सोलह शृंगार चाहिए।फिर माता को भोग लगाकर माता गणगौर की आरती गाएँ।
इस दिन पूजा के समय लोकगीत गाने की भी परंपरा है।
अंत में भोग लगाकर सब में प्रसाद बांटे।
गणगौर व्रत का महत्त्व:
राजस्थान में गणगौर का व्रत लोक पर्व के रूप में मनाया जाता है। महिलाएँ 17 दिनों तक अपने पति की लंबी उम्र के लिए इन व्रतों को करती हैं। बता दें कि शब्द “गणगौर” दो शब्दों से मिलकर बना है। इसमें “गण” का अर्थ शिव तथा “गौरा” का अर्थ पार्वती होता है।
इस व्रत के दिन माता पार्वती और शिव की मिट्टी से प्रतिमा बनाई जाती है। मान्यता हैं कि गणगौर का व्रत रखने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य और सुख मिलता है। साथ ही कुंवारी कन्याओं को भी अच्छे पति की प्राप्ति के लिए गणगौर का व्रत करना चाहिए।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सभी जानकारियाँ सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। विभिन्न माध्यमों से एकत्रित करके ये जानकारियाँ आप तक पहुँचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज़ सूचना पहुँचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज़ सूचना समझकर ही लें। किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि का होना संयोग मात्र है। Bynewsindia. com इसकी पुष्टि नहीं करता है।