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Delhi Water Crisis : बुझेगी दिल्ली की प्यास, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला- हिमाचल प्रदेश छोड़ेगा 137 क्यूसेक पानी

Delhi Water Crisis : राजधानी में जल संकट को लेकर दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को बड़ी राहत दी है।

Delhi Water Crisis: देश की राजधानी दिल्ली में इस समय गंभीर जल संकट का सामना हो रहा है। गर्मी की भीषण लहर के चलते पानी की मांग में भारी वृद्धि हो गई है। इस संकट को दूर करने के लिए दिल्ली सरकार ने अपने स्तर पर कुछ कदम उठाए हैं। राजधानी में जल संकट को लेकर दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को बड़ी राहत दी है। शीर्ष कोर्ट ने 6 जून को हिमाचल प्रदेश को राष्ट्रीय राजधानी में जल संकट को कम करने के लिए दिल्ली को 137 क्यूसेक अधिशेष पानी छोड़ने का निर्देश दिया। कोर्ट ने हरियाणा को हथिनीकुंड बैराज और दिल्ली के वजीराबाद में अधिशेष पानी के प्रवाह को सुगम बनाने का भी निर्देश दिया है। इस फैसले से उम्मीद है कि दिल्ली के निवासियों को जल संकट से कुछ राहत मिलेगी, खासकर इस भीषण गर्मी के दौरान।​

हिमाचल प्रदेश छोड़ेगा 137 क्यूसेक पानी

दिल्ली में जल संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश को 137 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने का आदेश दिया है। यह निर्णय दिल्ली की पानी की कमी को दूर करने के लिए लिया गया है। हिमाचल प्रदेश को यह पानी 7 जून को छोड़ना होगा। इसके लिए हरियाणा को पहले सूचित किया जाएगा। हरियाणा और यमुना नदी बोर्ड को इस पानी की निगरानी करनी होगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पानी वाजिराबाद बैराज तक पहुंचे। हिमाचल प्रदेश ने कोर्ट को बताया कि उसके पास पानी है और वह इसे देने के लिए तैयार है। राज्य ने पानी की उपलब्धता को दर्शाने वाला एक दस्तावेज पेश किया।

हरियाणा को भी जारी किया निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा को भी निर्देश दिया है कि वह इस पानी को दिल्ली तक पहुंचाने में कोई बाधा न डाले। इसके अलावा, दिल्ली सरकार को जल अपव्यय को रोकने के लिए कहा है। कोर्ट ने इस संबंध में सरकार से 10 जून तक स्थिति रिपोर्ट मांगी गई है।

हथिनीकुंड से आने वाले पानी को मापने का भी निर्देश

हरियाणा को पूर्व सूचना के साथ 7 जून को पानी छोड़ने का निर्देश दिया गया है। ऊपरी यमुना नदी बोर्ड को हथिनीकुंड से आने वाले पानी को मापने का भी निर्देश दिया गया है। हरियाणा और हिमाचल प्रदेश को इस आशय का हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया है, अब मामले की सुनवाई 10 जून को होगी।

हरियाणा ने दिया जोरदार तर्क

सुनवाई के दौरान, हरियाणा ने जोरदार तरीके से तर्क दिया कि यह सत्यापित करने का कोई साधन नहीं है कि पानी वास्तव में हिमाचल द्वारा छोड़ा गया था या नहीं। राज्य ने जल की उपलब्धता पर हिमाचल प्रदेश द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए समय मांगा।

इस संकट को दूर करने के लिए, दिल्ली सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं…

अतिरिक्त जल आपूर्ति की मांग:

दिल्ली सरकार ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकारों से अतिरिक्त पानी की आपूर्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। हिमाचल प्रदेश को भी 137 क्यूसेक पानी छोड़ने का निर्देश दिया गया है

जल अपव्यय पर प्रतिबंध:

दिल्ली जल बोर्ड ने जल अपव्यय को रोकने के लिए 2000 रुपए का जुर्माना लगाया है। साथ ही, अवैध जल कनेक्शन के खिलाफ कड़ी कार्र​वाई की जाएगी। निजी स्थलों पर पीने के पानी के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।

अभियान और जागरूकता:

दिल्ली सरकार ने पानी की बर्बादी रोकने के लिए 200 प्रवर्तन टीमों को तैनात किया है। लोगों से पानी के सही उपयोग की अपील की है। सरकार ने जल टैंकरों की निगरानी के लिए एक केंद्रीय कक्ष भी स्थापित किया है।

ये कदम दिल्लीवासियों को राहत देने के उद्देश्य से ​उठाए गए है। इनके अलावा नागरिकों के संयुक्त प्रयास से ही इस जल संकट का समाधान संभव है।

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