Kathavachak Controversy: उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के दांदरपुर गांव में दो कथावाचकों के साथ कथित बदसलूकी और एफआईआर के बाद शुरू हुआ विवाद अब गंभीर रूप ले चुका है। गुरुवार को ‘अहीर रेजिमेंट’ से जुड़े युवाओं और यादव समाज के प्रदर्शनकारियों ने पुलिस से हिंसक टकराव कर लिया, जिसमें पथराव, फायरिंग और वाहनों की तोड़फोड़ जैसी घटनाएं सामने आई हैं। इटावा का दांदरपुर गांव जातिगत और धार्मिक तनाव की चपेट में है। कथावाचकों के खिलाफ दर्ज एफआईआर के बाद जो विवाद शुरू हुआ, वह अब कानून व्यवस्था की बड़ी चुनौती बन गया है।
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Kathavachak Controversy: क्या है पूरा मामला?
दरअसल, कथावाचक मुकुट मणि यादव और संत कुमार यादव के खिलाफ इटावा पुलिस ने हाल ही में छेड़छाड़, धार्मिक भावना आहत करने और धोखाधड़ी जैसे गंभीर आरोपों में एफआईआर दर्ज की थी। कथावाचकों के समर्थक इसे झूठा और जातिगत भेदभाव से प्रेरित मान रहे हैं। इसके विरोध में गुरुवार सुबह से ही दांदरपुर गांव के बाहर यादव समाज और ‘अहीर रेजिमेंट’ के कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे थे।
प्रदर्शनकारी कथित तौर पर गांव में आने-जाने वालों की जाति पूछकर उन्हें अंदर आने दे रहे थे, जिससे स्थानीय लोगों और अन्य समुदायों में असंतोष फैल गया। जैसे ही पुलिस को इसकी जानकारी मिली, बड़ी संख्या में फोर्स गांव में तैनात कर दी गई।
Kathavachak Controversy: पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प
प्रदर्शनकारियों को समझाने का प्रयास असफल रहा, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें गांव से हटाने की कोशिश की। इस दौरान विवाद हिंसक रूप ले बैठा। पुलिस पर पथराव और फायरिंग की गई, जिसके जवाब में पुलिस को भी हवाई फायरिंग करनी पड़ी। मौके पर मौजूद पुलिस की गाड़ियों को लाठी-डंडों और ईंटों से निशाना बनाया गया।
एसपी ग्रामीण श्रीश चंद्र के अनुसार, “भीड़ में शामिल कई उपद्रवियों को हिरासत में लिया गया है। स्थिति को काबू में करने के लिए अतिरिक्त फोर्स तैनात की गई है और कई दोपहिया वाहन सीज किए गए हैं।”
हाईवे जाम और शहर में तनाव
दांदरपुर से खदेड़े गए प्रदर्शनकारी आगरा-कानपुर नेशनल हाईवे पर जा पहुंचे और वहां जाम लगा दिया। हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी बाइकों पर सवार होकर पहुंचे और पुलिस पर फिर से पथराव शुरू कर दिया। यह दृश्य हाईवे पर यात्रियों के लिए अफरा-तफरी और दहशत का कारण बन गया।
प्रशासन को स्थिति नियंत्रण में लाने में कई घंटे लग गए। पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए लाठीचार्ज किया और प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर किया।
जातीय तनाव और राजनीतिक रंग
यह पूरा विवाद अब जातीय संघर्ष में तब्दील होता दिखाई दे रहा है। एक ओर यादव समाज कथावाचकों के खिलाफ एफआईआर को जातिगत targeting मान रहा है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय ब्राह्मण समुदाय कथित पीड़िता के समर्थन में खड़ा है। इससे दोनों पक्षों के बीच तनाव और टकराव की आशंका बढ़ गई है।
गगन यादव के नेतृत्व में ‘अहीर रेजिमेंट’ के लोगों ने गांव में प्रवेश करने की कोशिश की थी, जिसके बाद झड़प शुरू हुई। यह संगठन यादव समाज के हक और सम्मान की बात करता है और हाल की घटनाओं को लेकर बेहद उग्र रुख अपना रहा है।
प्रशासनिक तैयारी और अगली रणनीति
घटना की गंभीरता को देखते हुए दांदरपुर गांव को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है। गांव के अंदर धारा 144 लागू कर दी गई है। आला अधिकारी खुद स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। पुलिस का कहना है कि शांति भंग करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी और दोषियों की पहचान कर उन्हें जेल भेजा जाएगा। इसके साथ ही प्रशासन सभी वर्गों से शांति बनाए रखने और अफवाहों से दूर रहने की अपील कर रहा है।
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