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रोहित शर्मा की फिटनेस विवाद: इसे खेल भावना से लें, राजनीतिक नाटक न बनाएं

Rohit Sharma Fitness Row: रोहित शर्मा की फिटनेस पर विवाद को खेल भावना से लें, न कि राजनीतिक ड्रामा बनाएं। खेल में फिटनेस पर चर्चा जरूरी है, न कि राजनीति।

Rohit Sharma Fitness Row: भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रोहित शर्मा एक बड़े विवाद में फंस गए हैं—लेकिन यह उनके खेल को लेकर नहीं, बल्कि उनकी फिटनेस को लेकर है। कांग्रेस की प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने उनकी काया (बॉडी/फिटनेस) पर एक साधारण टिप्पणी की थी, जिसे कोई भी खेल प्रेमी कर सकता था। लेकिन चूंकि वह एक राजनीतिक नेता हैं, बीजेपी ने इसे राष्ट्रीय संकट बना दिया! क्या रोहित शर्मा आलोचना से ऊपर हैं? क्या खेल में फिटनेस पर चर्चा करना गलत है? और सबसे बड़ा सवाल—क्या रोहित शर्मा अब कप्तानी के लायक भी हैं?

बीजेपी की प्रतिक्रिया की दोहरी मानसिकता

शमा मोहम्मद की टिप्पणी ईमानदार थी—एक पेशेवर खिलाड़ी के रूप में रोहित शर्मा फिट नहीं दिखते। यह कोई हमला नहीं था, बल्कि एक तथ्य था, जिसे कोई भी क्रिकेट प्रशंसक कह सकता है। लेकिन बीजेपी नेताओं, विशेष रूप से खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने इसे “शर्मनाक” बता दिया। क्या वाकई एक खिलाड़ी की फिटनेस पर बात करना इतना बड़ा मुद्दा है?

बीजेपी की यह प्रतिक्रिया उसकी दोहरी मानसिकता को उजागर करती है। जब किसी क्रिकेटर के फॉर्म पर सवाल उठते हैं, तो कोई आपत्ति नहीं करता। लेकिन जब फिटनेस पर सवाल उठता है, तो इसे “बॉडी शेमिंग” बता दिया जाता है? यह खेल पर चर्चा को रोकने और वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश के अलावा कुछ नहीं है।

क्या रोहित शर्मा का प्रदर्शन गिर रहा है?

अब क्रिकेट की बात करें। रोहित शर्मा के हाल के प्रदर्शन औसत ही रहे हैं। उनकी कप्तानी के फैसले विवादास्पद रहे हैं, और उनकी बल्लेबाजी अब वह प्रभाव नहीं छोड़ रही, जो पहले छोड़ती थी। लेकिन जब भी उनकी फिटनेस पर सवाल उठते हैं, तो इसे “अपमान” कहकर दबा दिया जाता है। क्यों? क्या यह उनके समर्थकों का अहंकार है?

सच्चाई यह है कि रोहित शर्मा का शरीर किसी एथलीट जैसा नहीं है। मैदान पर उनकी फुर्ती कम हो रही है। वह अपने करियर के चरम पर नहीं हैं, और इसमें उनकी फिटनेस एक बड़ा कारण है। इस वास्तविकता को नकारने और झूठी भावनाओं में बहने से सच्चाई नहीं बदल जाएगी।

चयन में दोहरे मापदंड: रोहित बनाम सरफराज खान

जब सरफराज खान को “फिटनेस” की कमी के कारण भारतीय टीम से बाहर रखा गया, तब बीजेपी या बीसीसीआई ने कोई विरोध नहीं किया। तब किसी ने इसे “बॉडी शेमिंग” नहीं कहा। लेकिन जब रोहित शर्मा की फिटनेस पर सवाल उठते हैं, तो अचानक यह मुद्दा “अपमान” बन जाता है? यह दोहरे मापदंड क्यों?

क्या रोहित शर्मा कप्तानी के लायक हैं?

कप्तानी सिर्फ नाम से नहीं होती, यह उदाहरण से होती है। जब विराट कोहली कप्तान थे, तो उनकी फिटनेस एक बेंचमार्क थी। क्या रोहित शर्मा के साथ भी ऐसा कहा जा सकता है? इसका जवाब है—बिल्कुल नहीं।

  • उनकी फील्डिंग औसत दर्जे की है।
  • उनकी बल्लेबाजी अस्थिर है।
  • उनकी चयन और रणनीति कमजोर रही है।

अगर केएल राहुल या शुभमन गिल एक गलती करते हैं, तो उन्हें आलोचना झेलनी पड़ती है। लेकिन रोहित शर्मा को बार-बार “विशेष छूट” क्यों मिलती है? सिर्फ इसलिए कि वह एक “सीनियर खिलाड़ी” हैं? आलोचना करना अनादर नहीं है, यह सच्चाई को उजागर करना है।

बीजेपी का ओवररिएक्शन क्यों मज़ाक है?

एक साधारण खेल चर्चा को राष्ट्रीय विवाद में बदलना बीजेपी की रणनीति लग रही है। उन्होंने इसे “भारत के सम्मान” पर हमला बना दिया, जबकि असली मुद्दा यह है कि क्या रोहित शर्मा को कप्तानी करनी चाहिए या नहीं।

बीजेपी को यह समझना चाहिए कि क्रिकेट पर चर्चा कोई देशद्रोह नहीं है। खेल प्रेमियों को अपने विचार रखने का पूरा अधिकार है। अगर रोहित शर्मा फिट नहीं हैं और उनका प्रदर्शन गिर रहा है, तो इसे स्वीकार करना चाहिए। यह अपमान नहीं है, बल्कि एक खेलप्रेमी की अपेक्षा है।

शमा मोहम्मद की टिप्पणी सिर्फ एक राय थी, जिसे बीजेपी ने राजनीतिक मुद्दा बना दिया। लेकिन सच्चाई यही है—एक खिलाड़ी को फिट रहना चाहिए। रोहित शर्मा खेल से बड़े नहीं हैं, और बीजेपी की झूठी भावनात्मक राजनीति इसे बदल नहीं सकती। खेल में राजनीति नहीं, बल्कि प्रदर्शन और फिटनेस की बात होनी चाहिए।

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Giriraj Sharma
Giriraj Sharmahttp://hindi.bynewsindia.com
ढाई दशक से सक्रिय पत्रकारिता में। राजनीतिक व सामाजिक विषयों पर लेखन, पर्यावरण, नगरीय विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि विषयों में रूचि। [ पूर्व संपादक (एम एंड सी) ज़ी रीजनल चैनल्स | कोऑर्डिनेटिंग एडिटर, ईटीवी न्यूज़ नेटवर्क/न्यूज़18 रीजनल चैनल्स | स्टेट एडिटर, पत्रिका छत्तीसगढ़ | डिजिटल कंटेंट हेड, पत्रिका.कॉम | मीडिया कंसलटेंट | पर्सोना डिज़ाइनर ]
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