Bajrang Punia Banned: भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया पर नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (NADA) ने डोपिंग टेस्ट से जुड़े नियमों के उल्लंघन के कारण चार साल का प्रतिबंध लगाया है। यह प्रतिबंध 23 अप्रैल 2024 से प्रभावी है। नाडा ने अपने आदेश में माना है कि बजंरग पूनिया ने अनुच्छेद 10.3.1 का उल्लंघन किया और निलंबन के पात्र हैं। टोक्यो ओलंपिक खेलों के कांस्य पदक विजेता पहलवान बजरंग पुनिया को मार्च 2024 में राष्ट्रीय टीम के ट्रायल के दौरान एंटी-डोपिंग परीक्षण के लिए यूरिन का सैंपल देने से इनकार करने पर चार साल के लिए निलंबित कर दिया गया है। वहीं, नाडा का फैसला आने के बाद बजरंग पूनिया ने पूरे घटनाक्रम के पीछे राजनीतिक साजिश होने का आरोप लगाया।
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डोपिंग टेस्ट देने कर दिया था इनकार
बजरंग पर आरोप है कि उन्होंने मार्च 2024 में चयन ट्रायल्स के दौरान एक डोपिंग टेस्ट के लिए अपने सैंपल देने से इनकार किया। बजरंग का कहना था कि टेस्टिंग किट्स की वैधता समाप्त हो चुकी थी, जिसके कारण उन्होंने परीक्षण पर सवाल उठाए थे, लेकिन NADA ने इसे नियमों का उल्लंघन माना। पूनिया को पहले एक अनंतिम निलंबन दिया गया था और सुनवाई के बाद, नाडा के एंटी-डोपिंग नियमों के आर्टिकल 10.3.1 के अनुसार प्रतिबंध की पुष्टि की गई, जो जानबूझकर डोप परीक्षण से बचने से संबंधित है, जिसे एंटी-डोपिंग नियम का उल्लंघन माना जाता है।
खेलना तो दूर अब कोचिंग भी नहीं दे पाएंगे
इस प्रतिबंध के तहत, बजरंग अब प्रतियोगिताओं में भाग लेने के साथ-साथ कोचिंग देने के लिए भी अयोग्य हो गए हैं। इसके साथ ही, उनका यह प्रतिबंध उस समय के लिए लागू नहीं होगा, जब उनकी अस्थायी सस्पेंशन हटा दी गई थी, जिससे प्रतिबंध की अवधि बढ़ गई है।
प्रतिबंध के बाद गरमाई हरियाणा की राजनीति
बजरंग के समर्थकों का कहना है कि उनके साथ अन्याय हुआ है, खासकर उनकी पूर्व राजनीतिक सक्रियता और विरोध प्रदर्शन के संदर्भ में। हालांकि, NADA ने अपने फैसले को खेल की निष्पक्षता और नियमों की सख्ती से पालन की प्रतिबद्धता के तहत सही ठहराया है।
बजरंग पूनिया ने लगाए ये गंभीर
बजरंग पूनिया ने नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (NADA) के चार साल के निलंबन को गलत ठहराते हुए कहा है कि उन्होंने सैंपल देने से जानबूझकर इनकार नहीं किया था। उनका दावा है कि उन्होंने नाडा की कथित कमियों को उजागर करने का प्रयास किया था, विशेष रूप से एक्सपायर परीक्षण किट के उपयोग को लेकर। बजरंग ने कहा कि उनका विरोध सैंपल कलेक्शन प्रक्रिया में हुई खामियों पर था, न कि सैंपल देने से इनकार करने पर। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी स्थिति में सैंपल देना उनके लिए अनुचित होता।
निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया की मांग
बजरंग ने यह भी उल्लेख किया कि उन्होंने अपनी चिंताओं को उठाने के लिए पूर्व उदाहरणों का हवाला दिया, जिनमें कथित तौर पर इसी तरह की एक्सपायर किट्स का उपयोग किया गया था। उन्होंने इस पर जोर दिया कि यह मामला नियमों का पालन करने के बजाय, एक निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया की मांग का था।