31.1 C
New Delhi
Wednesday, October 15, 2025
Homeराजस्थानजनहित पर तमाचा: JDA अफसर का आदेश बना सोसाइटी पर कहर! एकतरफ़ा...

जनहित पर तमाचा: JDA अफसर का आदेश बना सोसाइटी पर कहर! एकतरफ़ा फैसले से किंग्स कोर्ट सोसाइटी में व्यवस्था चौपट | JDA की कार्यशैली पर सवाल

Ashadeep Kings Court Society: आशादीप किंग्स कोर्ट सोसाइटी का प्रकरण JDA की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा करता है। एक चुनी हुई समिति को बिना ठोस आधार के सस्पेंड करना और सोसाइटी को 'अस्थिरता' की ओर धकेलना किसी भी दृष्टि से न तो प्रशासनिक न्याय है और न ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सम्मान।

Ashadeep Kings Court Society: आम नागरिकों की जिंदगी को बेहतर बनाने और उनके लिए योजनाबद्ध विकास का दावा करने वाली जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) पर अब गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। वजह है JDA जोन-9 की सक्षम प्राधिकारी अधिकारी द्वारा दिया गया 21 जुलाई 2025 का एक अंतरिम आदेश, जिसने आशादीप किंग्स कोर्ट सोसाइटी की पूरी व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया।

इस एकतरफ़ा आदेश ने न केवल सोसाइटी की चुनी हुई प्रबंधन समिति को निष्क्रिय बना दिया, बल्कि निवासियों को रोज़मर्रा की सुविधाओं से वंचित करने की स्थिति भी पैदा कर दी है। रहवासी अब इसे “न्याय के नाम पर अन्याय” बताते हुए JDA से ही सवाल पूछ रहे हैं – “क्या यह फैसला सोसाइटी की व्यवस्था सुधारने के लिए था या बिगाड़ने के लिए?”

सोसाइटी की चुनी हुई समिति पर रोक

दस्तावेज़ों के अनुसार, वर्ष 2024 में सोसाइटी की प्रबंधन समिति का चुनाव होना था। लेकिन चुनाव अधिकारी के अचानक त्यागपत्र देने से प्रक्रिया थम गई। इस पर निवासियों ने सर्वसम्मति से एक प्रबंधन समिति का गठन किया।
इस समिति ने कार्यभार सँभालने के बाद मेंटेनेंस शुल्क में 15% की कटौती की, पारदर्शी ढंग से हर माह आय-व्यय का ब्यौरा साझा किया और क्लब हाउस, स्विमिंग पूल जैसी सुविधाओं का दुरुपयोग रोककर अनुशासन लागू किया।
लेकिन कुछ पूर्व पदाधिकारी और उनके समर्थक, जो इन सुविधाओं का बिना शुल्क निजी उपयोग करने के आदी थे, नए नियमों से असहज हो गए। उन्होंने प्रबंधन समिति के खिलाफ JDA में परिवाद दायर कर दिया – वह भी लगभग एक साल बाद, जबकि कानूनन ऐसी याचिका 30 दिन के भीतर ही दाखिल हो सकती थी।
फिर भी, JDA अधिकारी ने किसी गहन जांच या सुनवाई का इंतज़ार किए बिना ही 21 जुलाई 2025 को आदेश पारित कर दिया और समिति को निष्क्रिय कर दिया।

दो सदस्यीय कमेटी बनी मज़ाक

JDA के अंतरिम आदेश में कहा गया कि रोज़मर्रा के कामकाज देखने के लिए दो सदस्यीय समिति बनाई जाएगी। लेकिन विडंबना देखिए – दो में से एक सदस्य ने पद ही स्वीकार नहीं किया और दूसरा अकेला व्यक्ति ही स्वयं को सर्वेसर्वा घोषित कर रहा है।
यानी सोसाइटी की जिम्मेदारी एक तरह से “वन मैन शो” बन गई। रोज़मर्रा की मरम्मत, सुरक्षा, साफ-सफाई और बिजली बैकअप जैसी मूलभूत जरूरतें अटक गईं। वर्कर्स की सैलरी पर भी संकट आ गया है। निवासियों का कहना है कि “JDA अधिकारी ने सोसाइटी को स्थिरता देने के बजाय अस्थिरता का उपहार दिया।”

पूर्व अध्यक्ष और उनके समर्थकों की भूमिका संदिग्ध

सोसाइटी के कई निवासियों ने खुलकर कहा है कि पूर्व अध्यक्ष और उनके साथी शुरू से ही सुविधाओं का निजी लाभ लेते रहे हैं। क्लब हाउस में निजी पार्टियां, स्विमिंग पूल का निजी उपयोग और मेंटेनेंस शुल्क देने से परहेज उनकी आदत रही है।
नई समिति ने जब इन पर रोक लगाई, तो वही लोग सक्रिय होकर JDA का दरवाज़ा खटखटाने पहुंच गए। दस्तावेज़ों में साफ लिखा है कि “वाद कारण बनने के लगभग एक वर्ष बाद केवल इसीलिए दाखिल किया गया कि वे सोसाइटी की सुविधाओं का पूर्ववत दुरुपयोग कर सकें।”

कानून की अनदेखी का गंभीर सवाल

राजस्थान सहकारिता समिति अधिनियम 2001 की धारा 59(1d) के अनुसार, किसी भी विवाद को 30 दिन के भीतर दाखिल करना होता है। लेकिन यहां परिवाद एक साल बाद दाखिल हुआ और फिर भी JDA अधिकारी ने उसे न केवल स्वीकार किया बल्कि चुनी हुई समिति को ही निष्क्रिय कर दिया।

कानून और समयसीमा की इस साफ अनदेखी से यह सवाल उठता है कि –

  • क्या JDA अधिकारी ने परिवादकर्ताओं की मंशा की जांच किए बिना ही आदेश दे दिया?
  • क्या यह आदेश कुछ प्रभावशाली लोगों के दबाव में दिया गया?
Ashadeep Kings Court Society

रहवासी क्यों आक्रोशित हैं?

  • सोसाइटी की व्यवस्थाएं चरमराने लगी हैं।
  • गार्डों का वेतन और मेंटेनेंस बिल समय पर अटक रहे हैं।
  • बिजली बैकअप और पार्कों की देखभाल प्रभावित हुई है।
  • समिति की पारदर्शी कार्यप्रणाली को ठप कर दिया गया।
  • निवासियों का कहना है कि “हमने समिति चुनी थी, JDA आँख बंद कर काम कर रहा है।”

JDA से 5 सवाल

1- क्या आपका यह आदेश वास्तव में न्याय है या फिर कुछ प्रभावशाली लोगों के दबाव में लिया गया एक ‘मनमाना’ कदम?

2- कानूनी समयसीमा से बाहर दायर परिवाद को आपने स्वीकार कैसे कर लिया?

3- क्या आपने सोसाइटी के 41 निवासियों के सर्वसम्मत फैसले को दरकिनार कर कुछ चुनिंदा लोगों के पक्ष में फैसला नहीं दिया?

4- दो सदस्यीय समिति बनाने के बाद जब एक सदस्य ने इस्तीफा दे दिया, तब भी आपने उस आदेश को क्यों जारी रखा? क्या यह सोसाइटी के साथ खिलवाड़ नहीं है?

5- क्या आपको पता नहीं कि चुनी हुई समिति ने पारदर्शिता और 15% मेंटेनेंस कटौती जैसे ठोस सुधार किए थे? फिर भी आपने उन्हें काम से रोक क्यों दिया?

(नोट: यह 5 सवाल हमने JDA को भी भेजे हैं, इन पर उनकी भी प्रतिक्रिया का इंतज़ार है)

यह भी पढ़ें –

राजस्थान स्कूल हादसा: झालावाड़ में 7 बच्चों की मौत और कई घायल, मची चीख-पुकार

- Advertisement - Advertisement - Yatra Swaaha
RELATED ARTICLES
New Delhi
haze
31.1 ° C
31.1 °
31.1 °
30 %
2.1kmh
0 %
Wed
31 °
Thu
33 °
Fri
33 °
Sat
33 °
Sun
34 °

Most Popular