Uttarakhand: उत्तराखंड के चमोली जिले में शुक्रवार को बड़ा हादसा हो गया जब माणा गांव के पास एक ग्लेशियर टूटने से बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) के 57 मजदूर इसकी चपेट में आ गए। इस हादसे में अब तक 10 मजदूरों को सुरक्षित बचा लिया गया है, जबकि 47 मजदूर अब भी बर्फ के नीचे दबे हुए हैं। राहत एवं बचाव कार्य में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, जिला प्रशासन और बीआरओ की टीमें जुटी हुई हैं, लेकिन लगातार हो रही बर्फबारी के कारण ऑपरेशन में काफी दिक्कतें आ रही हैं।
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कैसे हुआ हादसा?
माणा गांव बद्रीनाथ धाम से करीब 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यह भारत-चीन सीमा के नजदीक आता है। बीआरओ द्वारा यहां सड़क और अन्य निर्माण कार्य किए जा रहे थे। शुक्रवार को अचानक ग्लेशियर टूट गया और निर्माण कार्य में लगे 57 मजदूर इसकी चपेट में आ गए। हादसे की सूचना मिलते ही राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया गया।
57 मजदूरों में से 10 को बचाया
स्थानीय प्रशासन के मुताबिक, अब तक 10 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है, जबकि 47 मजदूर अब भी लापता हैं। बर्फ के नीचे दबे लोगों को निकालने के लिए भारी मशीनरी का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन मौसम खराब होने के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में बाधाएं आ रही हैं।
सीएम धामी ने जताया दुख, बचाव कार्य पर रखी जा रही नजर
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस हादसे पर गहरा दुख जताया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा, “जनपद चमोली में माणा गांव के निकट बीआरओ द्वारा संचालित निर्माण कार्य के दौरान हिमस्खलन की वजह से कई मजदूरों के दबने का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ। आईटीबीपी, बीआरओ और अन्य बचाव दलों द्वारा राहत एवं बचाव कार्य संचालित किया जा रहा है। भगवान बद्री विशाल से सभी श्रमिक भाइयों के सुरक्षित होने की प्रार्थना करता हूं।”
राज्य सरकार ने रेस्क्यू ऑपरेशन को और तेज करने के लिए सभी संबंधित एजेंसियों को निर्देश दिए हैं। साथ ही, सेना और वायुसेना से भी मदद मांगी गई है ताकि फंसे हुए मजदूरों को जल्द से जल्द बाहर निकाला जा सके।
मौसम बना बड़ी चुनौती, आईएमडी ने जारी किया अलर्ट
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाकों में बीते 24 घंटे से लगातार बर्फबारी हो रही है। उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग समेत कई जिलों में भारी बर्फबारी और बारिश की संभावना जताई गई है। आईएमडी ने पहले ही इन इलाकों के लिए अलर्ट जारी किया था।
मौसम खराब होने की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन में कठिनाइयां आ रही हैं। बर्फबारी के कारण दृश्यता कम हो गई है और तापमान में भारी गिरावट आई है, जिससे बचाव दल को काम करने में मुश्किलें हो रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगले 48 घंटे बेहद महत्वपूर्ण होंगे और अगर मौसम ज्यादा खराब नहीं हुआ तो रेस्क्यू ऑपरेशन को और तेज किया जा सकता है।
बचाव कार्य में जुटी एजेंसियां
एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल): विशेष उपकरणों के साथ राहत अभियान चला रहा है।
एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल): स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहा है।
आईटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस): सीमा क्षेत्र में स्थित होने के कारण सबसे पहले मौके पर पहुंची और बचाव कार्य में मदद कर रही है।
बीआरओ (बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन): हादसे में अपने ही मजदूरों के फंसे होने के कारण खुद भी रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटा हुआ है।
स्थानीय लोगों में डर, सरकार से की मदद की मांग
इस हादसे के बाद चमोली और आसपास के इलाकों में डर का माहौल बना हुआ है। स्थानीय लोग सरकार से अपील कर रहे हैं कि भविष्य में इस तरह के हादसों से बचने के लिए विशेष सुरक्षा उपाय किए जाएं। कुछ ग्रामीणों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से क्षेत्र में लगातार बर्फबारी हो रही थी, जिससे पहले ही खतरे की आशंका थी।
पहले भी हो चुके हैं ऐसे हादसे
उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने और हिमस्खलन की घटनाएं पहले भी होती रही हैं। फरवरी 2021 में चमोली जिले के तपोवन में ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही हुई थी, जिसमें 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग लापता हो गए थे। 2013 में केदारनाथ आपदा में भी भारी संख्या में लोग मारे गए थे।
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