Panchayat Elections: उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की तैयारियों को लेकर निर्वाचन आयोग ने पूरी योजना का ऐलान कर दिया है। राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने प्रेस वार्ता कर बताया कि पंचायत चुनाव दो चरणों में संपन्न होंगे, जिनमें ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य पदों के लिए मतदान किया जाएगा। निर्वाचन कार्यक्रम के घोषित होते ही प्रदेशभर में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं और गांव-गांव में राजनीतिक हलचल दिखने लगी है।
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दो चरणों में चुनाव, 18 जुलाई को मतगणना
निर्वाचन कार्यक्रम के अनुसार, पंचायत चुनाव दो चरणों में कराए जाएंगे। पहले चरण का मतदान 10 जुलाई को और दूसरे चरण का मतदान 15 जुलाई को होगा। दोनों चरणों की मतगणना 18 जुलाई को एक साथ संपन्न कराई जाएगी। इसके लिए चिन्ह (सिंबल) आवंटन की प्रक्रिया भी तय कर दी गई है। पहले चरण के प्रत्याशियों को 3 जुलाई को और दूसरे चरण के प्रत्याशियों को 8 जुलाई को चुनाव चिह्न आवंटित किए जाएंगे।
चुनावी प्रक्रिया की समय-सीमा
निर्वाचन आयोग के कार्यक्रम के अनुसार, 23 जून को जिला निर्वाचन अधिकारी विस्तृत अधिसूचना जारी करेंगे। 25 से 28 जून तक नामांकन पत्र दाखिल किए जा सकेंगे। 29 जून से 1 जुलाई तक नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी। 2 जुलाई को नाम वापसी की अंतिम तिथि रखी गई है।
कुल कितनी सीटों पर होगा चुनाव?
इस बार पंचायत चुनाव में राज्यभर की बड़ी संख्या में सीटों पर मतदान होगा:
- 74,499 ग्राम प्रधान
- 55,600 ग्राम पंचायत सदस्य
- 2,974 क्षेत्र पंचायत सदस्य
- 358 जिला पंचायत सदस्य
इससे स्पष्ट है कि यह चुनाव राज्य की ग्रामीण राजनीति की दिशा तय करने वाला बड़ा लोकतांत्रिक आयोजन है।
राज्य में लागू हुई आदर्श आचार संहिता
राज्य निर्वाचन आयुक्त ने यह भी घोषणा की कि राज्य में पंचायत चुनावों के चलते आदर्श आचार संहिता तत्काल प्रभाव से लागू कर दी गई है। सभी जिलाधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से कराए जाएं। किसी भी स्तर पर आचार संहिता के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।
पारदर्शिता के लिए निगरानी तंत्र सक्रिय
चुनावों की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए निर्वाचन आयोग ने निगरानी तंत्र को सक्रिय कर दिया है। सोशल मीडिया से लेकर जमीनी स्तर पर चल रहे प्रचार-प्रसार पर विशेष नजर रखी जा रही है। किसी भी तरह की अनियमितता, धनबल या बाहुबल के प्रयोग पर सख्ती से कार्रवाई की जाएगी।
गांव-गांव में तेज हुई राजनीतिक हलचल
पंचायत चुनाव की घोषणा के साथ ही राज्य के गांव-गांव में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। संभावित प्रत्याशी जनसंपर्क में जुट गए हैं, रणनीतियां बनाई जा रही हैं और समाज के विभिन्न वर्गों से समर्थन जुटाने के प्रयास चल रहे हैं। कई जगहों पर पुराने सरपंचों और नवोदित उम्मीदवारों के बीच सीधी टक्कर देखी जा रही है। विशेष रूप से महिलाओं, युवाओं और शिक्षित वर्ग की भागीदारी को लेकर इस बार उत्साह ज्यादा है। कई गांवों में पढ़े-लिखे युवाओं ने नेतृत्व की जिम्मेदारी उठाने का मन बना लिया है।
उत्तराखंड में पंचायत चुनाव केवल एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि गांव के विकास की दिशा तय करने वाला अवसर है। इन चुनावों के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में नेतृत्व चुना जाएगा, जो न केवल विकास योजनाओं को अमलीजामा पहनाएगा, बल्कि सामाजिक समरसता और ग्राम स्वराज की दिशा में भी योगदान देगा। निर्वाचन आयोग की ओर से पारदर्शिता और सख्ती के साथ चुनाव कराने की प्रतिबद्धता इस बार के पंचायत चुनाव को और भी महत्वपूर्ण बना देती है।
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