Bulldozer Action: उत्तराखंड के नैनीताल जिले के रामनगर क्षेत्र में प्रशासन ने शनिवार को एक बड़ी कार्रवाई करते हुए अवैध रूप से बनी तीन मजारों को ध्वस्त कर दिया। ढेला और ढिकुली क्षेत्रों में स्थित इन मजारों को प्रशासन ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच बुलडोजर चलाकर गिराया। यह कदम लंबे समय से मिल रही शिकायतों और क्षेत्र में धार्मिक आड़ में हो रहे अतिक्रमण को रोकने के लिए उठाया गया।
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Bulldozer Action: रिसॉर्ट परिसरों में बनी थीं अवैध मजारें
प्रशासन की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, ढेला क्षेत्र के अशोका टाइगर ट्रेल और कॉर्बेट व्यू रिसॉर्ट परिसरों में बनी दो अवैध मजारें तथा ढिकुली के ला पर्ल रिसॉर्ट में बनी एक मजार को तोड़ा गया। ये सभी मजारें बिना किसी वैध अनुमति के निजी रिसॉर्ट परिसरों में बनाई गई थीं। कार्रवाई के दौरान एसडीएम प्रमोद कुमार के नेतृत्व में राजस्व विभाग, वन विभाग और कोतवाली पुलिस की संयुक्त टीम मौजूद रही। किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए भारी पुलिस बल की तैनाती की गई थी।
Bulldozer Action: धार्मिक आस्था की आड़ में अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं
एसडीएम प्रमोद कुमार ने बताया, ढेला और ढिकुली क्षेत्र में अवैध रूप से बनी तीन मजारों को ध्वस्त किया गया। ये मजारें बिना अनुमति के बनाई गई थीं और इन पर कब्जा कर लिया गया था। प्रशासन का स्पष्ट संदेश है कि धार्मिक आस्था की आड़ में कोई भी अवैध निर्माण या अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई निरंतर जारी रहेगी, और भविष्य में भी यदि ऐसी किसी मजार या ढांचे की जानकारी मिलती है तो उसी सख्ती से कार्रवाई की जाएगी।
Bulldozer Action: स्थानीय समर्थन, वन क्षेत्र को नुकसान की आशंका
इस कार्रवाई को लेकर स्थानीय लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई है। कई लोगों ने इसे प्रशासन की सख्ती बताया, तो कुछ ने इसे कानून-व्यवस्था और पर्यावरण की रक्षा की दिशा में अहम कदम करार दिया। स्थानीय निवासी राजेश पांडे का कहना है, कॉर्बेट पार्क के पास जिस तरह से अवैध धार्मिक ढांचे बनते जा रहे हैं, उससे जंगलों को नुकसान पहुंच रहा है। साथ ही, इससे धार्मिक सौहार्द भी बिगड़ सकता है।
जल्द ही अन्य ढांचों पर भी हो सकती है कार्रवाई
प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक, रामनगर के आसपास वन क्षेत्रों, रिसॉर्ट परिसरों, नदी किनारों और संवेदनशील इलाकों में बने अन्य अवैध धार्मिक ढांचों की सूची तैयार की जा रही है। इन पर भी जल्द कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है। ऐसी मजारें जो पर्यावरण और सामाजिक संतुलन को प्रभावित कर रही हैं, उन पर बुलडोजर चल सकता है। अधिकारी यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि किसी समुदाय विशेष के खिलाफ कार्रवाई न लगे, बल्कि सभी निर्माणों को कानून के नजरिए से देखा जाए।
सख्ती का संकेत
रामनगर की यह कार्रवाई एक तरफ जहां प्रशासन की बढ़ती सख्ती का संकेत है, वहीं यह संदेश भी देती है कि कानून के बाहर कोई भी निर्माण, चाहे वह धार्मिक रूप में ही क्यों न हो, अब सुरक्षित नहीं है। इससे पहले भी कई राज्यों में धार्मिक आस्था की आड़ में बने ढांचों पर कार्रवाई हो चुकी है। उत्तराखंड में पर्यटन, पर्यावरण और धार्मिक विविधता के चलते ऐसे निर्णयों में संतुलन रखना बेहद जरूरी हो जाता है। प्रशासन अब उसी दिशा में बढ़ता दिखाई दे रहा है।
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