21.1 C
New Delhi
Monday, October 27, 2025
Homeउत्तर प्रदेशDihuli Massacre: 44 साल पहले 24 दलितों की गोली मारकर की गई...

Dihuli Massacre: 44 साल पहले 24 दलितों की गोली मारकर की गई थी हत्या, अब 3 दोषियों को मिली फांसी की सजा

Dihuli Massacre: फिरोजाबाद के जसराना के गांव दिहुली में 18 नवंबर 1981 को हुई 24 दलितों की सामूहिक हत्या में मंगलवार को कोर्ट ने तीन दोषियों को फांसी की सजा सुनाई।

Dihuli Massacre: उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के दिहुली गांव में हुए दलित हत्याकांड के 44 साल बाद आखिरकार अदालत का फैसला आया है। इस जघन्य नरसंहार में दोषी पाए गए तीन आरोपियों को मैनपुरी कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। 18 नवंबर 1981 को हुए इस सामूहिक हत्याकांड में 24 निर्दोष दलितों की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। अपर सत्र न्यायाधीश इंदिरा सिंह ने मंगलवार को दोपहर साढ़े तीन बजे फैसला सुनाते हुए तीनों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई। अदालत ने प्रत्येक दोषी पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इस ऐतिहासिक फैसले के बाद पीड़ित परिवारों को 44 वर्षों बाद न्याय मिला है।

Dihuli Massacre: कैसे हुआ था दिहुली हत्याकांड?

18 नवंबर 1981 की शाम करीब पांच बजे, फिरोजाबाद जिले के जसराना थाना क्षेत्र के अंतर्गत स्थित दिहुली गांव में हथियारबंद बदमाशों ने दलित बस्ती पर हमला कर दिया था। हमलावरों ने महिलाओं, पुरुषों और बच्चों को निशाना बनाकर अंधाधुंध गोलियां चलाईं। तीन घंटे तक चले इस नरसंहार में 23 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि एक अन्य घायल व्यक्ति ने फिरोजाबाद अस्पताल में दम तोड़ दिया था।

Dihuli Massacre: घटना के बाद पुलिस कार्रवाई

घटना के बाद 19 नवंबर 1981 को गांव के निवासी लायक सिंह ने जसराना थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई। प्रारंभिक जांच में मुख्य रूप से राधेश्याम उर्फ राधे और संतोष चौहान उर्फ संतोषा को आरोपी बनाया गया था। पुलिस ने गहन जांच के बाद अन्य आरोपियों को भी इस मामले में शामिल कर उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।

Dihuli Massacre: इस हत्याकांड में शामिल अन्य आरोपी

इस जघन्य हत्याकांड में कई अन्य लोग भी आरोपी बनाए गए थे। इनमें रामसेवक, रविंद्र सिंह, रामपाल सिंह, वेदराम सिंह, मिट्ठू, भूपराम, मानिक चंद्र, लटूरी, रामसिंह, चुन्नीलाल, होरीलाल, सोनपाल, लायक सिंह, बनवारी, जगदीश, रेवती देवी, फूल देवी, कप्तान सिंह, कमरुद्दीन, श्यामवीर, कुंवरपाल और लक्ष्मी के नाम शामिल थे।

Dihuli Massacre: 44 साल की लंबी न्यायिक प्रक्रिया

इस हत्याकांड के बाद पुलिस ने मामले की गहन जांच शुरू की और अदालत में चार्जशीट दाखिल की। लेकिन डकैती मामलों की सुनवाई के लिए प्रयागराज स्थानांतरित कर दिए जाने के कारण मामला लंबे समय तक अटका रहा। कई वर्षों की सुनवाई के बाद इसे फिर से मैनपुरी के स्पेशल जज डकैती न्यायालय भेज दिया गया। करीब 15 वर्षों तक चली इस लंबी न्यायिक प्रक्रिया के बाद, अदालत ने तीन दोषियों को फांसी की सजा सुनाई।

Dihuli Massacre: कोर्ट का फैसला और दंड

मैनपुरी कोर्ट में 11 मार्च 2024 को स्पेशल जज ने तीनों आरोपियों को दोषी करार दिया था। इसके बाद 12 मार्च 2024 को अदालत ने इन तीनों को फांसी की सजा सुनाई। डकैती न्यायालय की न्यायाधीश इंदिरा सिंह ने फैसला सुनाते हुए दो दोषियों पर दो-दो लाख रुपये का जुर्माना और एक दोषी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। इस फैसले के बाद तीनों दोषियों को पुलिस अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया है।

Dihuli Massacre: पीड़ित परिवारों को मिला न्याय

44 सालों से न्याय की आस लगाए बैठे पीड़ित परिवारों के लिए यह फैसला राहत भरा है। इस नरसंहार में अपने परिजनों को खो चुके लोगों ने अदालत के फैसले का स्वागत किया और कहा कि देर से ही सही, लेकिन न्याय मिला।

न्याय प्रक्रिया की ऐतिहासिक मिसाल

दिहुली हत्याकांड का यह फैसला भारतीय न्याय व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल है। यह उन मामलों में से एक है, जिसमें दशकों तक न्याय की लड़ाई चली और अंततः पीड़ितों को इंसाफ मिला। अब देखना होगा कि क्या दोषी अदालत के इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करेंगे या नहीं।

यह भी पढ़ें:-

Nagpur Violence: नागपुर हिंसा में 30 पुलिसकर्मी घायल, 65 उपद्रवी हिरासत में, 10 थाना क्षेत्र में कर्फ्यू

- Advertisement - Advertisement - Yatra Swaaha
RELATED ARTICLES
New Delhi
mist
21.1 ° C
21.1 °
21.1 °
78 %
2.6kmh
0 %
Sun
26 °
Mon
31 °
Tue
30 °
Wed
32 °
Thu
30 °

Most Popular