Bihar Politics: बिहार में इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने संगठन में बड़ा फेरबदल किया है। पार्टी ने दलित नेता राजेश कुमार को बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। वे अखिलेश प्रसाद सिंह की जगह लेंगे। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इस बदलाव की आधिकारिक घोषणा करते हुए कहा कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की सहमति के बाद यह फैसला लिया गया है। यह बदलाव ऐसे समय में हुआ है जब कांग्रेस बिहार में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है। इस बदलाव को कांग्रेस के दलित कार्ड के रूप में देखा जा रहा है, जिससे पार्टी राज्य की दलित और पिछड़ी जातियों को अपनी ओर आकर्षित करना चाहती है। इसके अलावा, यह फैसला राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ कांग्रेस के समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है।
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Bihar Politics: दलित नेता राजेश कुमार को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के मायने
राजेश कुमार औरंगाबाद जिले की कुटुंबा विधानसभा सीट से विधायक हैं और वे 2015 और 2020 में चुनाव जीत चुके हैं। उनकी छवि एक जमीनी नेता की है, जो दलित समुदाय के बीच खासा प्रभाव रखते हैं। बिहार में दलित वोटबैंक निर्णायक भूमिका निभाता है और कांग्रेस इस तबके को अपने साथ जोड़ने के लिए यह बड़ा दांव खेल रही है। इसके अलावा, कांग्रेस बिहार में जातिगत जनगणना और संविधान बचाओ अभियान के नारे को आक्रामक रूप से आगे बढ़ा रही है। ऐसे में राजेश कुमार की नियुक्ति से पार्टी को दलितों और पिछड़ों के बीच पकड़ मजबूत करने में मदद मिलेगी।

Bihar Politics: क्यों हटाए गए अखिलेश प्रसाद सिंह?
पूर्व अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह को राजद के बेहद करीबी माना जाता है। वे कभी लालू प्रसाद यादव की पार्टी का हिस्सा भी रह चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस का यह फैसला राजद से स्वतंत्र होकर अपनी पहचान बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। इसके अलावा, पार्टी अब एक नए नेतृत्व के साथ चुनावी रणनीति तैयार करना चाहती है। कांग्रेस नेतृत्व को लग रहा था कि अखिलेश प्रसाद सिंह की जगह एक युवा, आक्रामक और जमीनी नेता को लाकर पार्टी को मजबूती दी जा सकती है।
Bihar Politics: बिहार चुनाव में कांग्रेस की रणनीति
कांग्रेस ने हाल ही में कृष्णा अल्लावरु को बिहार का नया प्रभारी बनाया है। वे राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं और युवा नेताओं को संगठन में मौका देने के पक्षधर हैं। कृष्णा अल्लावरु के पटना दौरे के दौरान उन्होंने स्पष्ट किया था कि कांग्रेस बिहार में “बी-टीम” नहीं, बल्कि “ए-टीम” बनकर चुनाव लड़ेगी। इससे यह साफ हो गया कि कांग्रेस अब राजद पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना चाहती और अपनी स्वतंत्र पहचान बनाने की कोशिश कर रही है।
Bihar Politics: क्या कांग्रेस अकेले लड़ेगी बिहार चुनाव?
बिहार की राजनीति में कांग्रेस अब तक राजद के साथ मिलकर चुनाव लड़ती आई है। हालांकि, इस बार पार्टी अपने दम पर ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। एनडीए के नेता चिराग पासवान ने भी हाल ही में कहा था कि कांग्रेस अगर खुद को कमजोर समझे बिना रणनीति बनाए, तो वह बिहार में मजबूत विकल्प बन सकती है। राजद और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर भी तनाव बना हुआ है। कांग्रेस को लगता है कि अगर राजद ने ज्यादा सीटें हथियाने की कोशिश की, तो पार्टी अकेले चुनाव लड़ने का विकल्प भी खुला रख सकती है।
Bihar Politics: चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस
कांग्रेस ने बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर समीक्षा बैठकों का सिलसिला तेज कर दिया है। मंगलवार को बक्सर जिले में जिला प्रभारी और पार्टी कार्यकर्ताओं की एक अहम बैठक हुई। बैठक में यह फैसला किया गया कि हर विधानसभा क्षेत्र में बूथ स्तर तक संगठन को मजबूत किया जाएगा। पार्टी के जिला अध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार पांडेय ने कहा कि सभी बूथों पर कांग्रेस के बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, जो जल्द पूरी कर ली जाएगी। बैठक में राजारमन पांडेय, महिमा शंकर उपाध्याय, राजू वर्मा, रोहित उपाध्याय, संजय पांडेय, बंगाली दूबे, निर्मला देवी समेत कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता मौजूद रहे।
Bihar Politics: क्या बिहार में कांग्रेस की ताकत बढ़ेगी?
कांग्रेस लंबे समय से बिहार में कमजोर रही है। हालांकि, राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी ने हाल के चुनावों में कुछ सुधार दिखाया है। दलित और पिछड़े वोटों को साधने के लिए राजेश कुमार की नियुक्ति पार्टी की एक सोची-समझी रणनीति है। लेकिन क्या कांग्रेस इस रणनीति में सफल होगी या नहीं, यह चुनाव नतीजे ही बताएंगे। फिलहाल, यह साफ है कि कांग्रेस बिहार में बड़ी भूमिका निभाने के लिए पूरी तैयारी कर रही है और राजेश कुमार को प्रदेश अध्यक्ष बनाना इसी रणनीति का अहम हिस्सा है।
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