Chhath Puja 2025: छठ पूजा, हिंदू धर्म का एक प्राचीन और महत्वपूर्ण पर्व, 24 अक्टूबर 2025 से देशभर में श्रद्धा और उत्साह के साथ शुरू हो चुका है। मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, नेपाल और विश्व भर में बसे भारतीय समुदायों में मनाया जाने वाला यह चार दिवसीय उत्सव सूर्यदेव और उनकी बहन छठी मैया की उपासना को समर्पित है। यह पर्व शुद्धता, आस्था, आत्मसंयम और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है। देशभर के नदी और तालाब किनारों पर लाखों श्रद्धालु एकत्र हो रहे हैं, जो कठिन व्रत और अनुष्ठानों के माध्यम से सूर्यदेव से सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना कर रहे हैं।
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Chhath Puja 2025: नहाय खाय, शुद्धता के साथ शुरूआत
छठ पूजा का पहला दिन, जिसे ‘नहाय खाय’ कहा जाता है, 24 अक्टूबर को नदियों या तालाबों में पवित्र स्नान के साथ शुरू हुआ। व्रती (व्रत रखने वाले श्रद्धालु) इस दिन शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं, जिसमें अरवा चावल (सादा चावल), लौकी की सब्जी, चने की दाल, आंवले की चटनी और पापड़ शामिल हैं। ये व्यंजन न केवल सात्विकता का प्रतीक हैं, बल्कि इन्हें प्रसाद के रूप में भी अर्पित किया जाता है। यह दिन शारीरिक और मानसिक शुद्धिकरण का प्रतीक है, जो पूजा की शुरुआत को पवित्र बनाता है।
Chhath Puja 2025: छठ पूजा का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
छठ पूजा की जड़ें सतयुग और द्वापर युग से जुड़ी हैं, जिसे सूर्य उपासना की सबसे प्राचीन परंपराओं में से एक माना जाता है। यह पर्व सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा के माध्यम से प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता है। सूर्य को जीवन का आधार माना जाता है और उनकी पूजा नकारात्मकता को दूर कर शांति और सकारात्मकता लाती है। यह पर्व विशेष रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, लेकिन अब दिल्ली, मुंबई और अन्य महानगरों में भी इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है।
Chhath Puja 2025: चार दिवसीय अनुष्ठान: आस्था और आत्मसंयम का प्रतीक
छठ पूजा का प्रत्येक दिन विशेष अनुष्ठानों से भरा होता है, जो शुद्धता, भक्ति और सामुदायिक एकता को बढ़ावा देता है।
- दूसरा दिन – खरना: 25 अक्टूबर को व्रती सूर्योदय से सूर्यास्त तक कठिन उपवास रखते हैं। इस दिन गुड़, चावल और गेहूं से बने प्रसाद तैयार किए जाते हैं। सूर्यास्त के बाद व्रत तोड़ा जाता है और प्रसाद परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों के साथ बांटा जाता है, जो सामुदायिक एकता को मजबूत करता है।
- तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य: 26 अक्टूबर को श्रद्धालु सूर्यास्त के समय नदियों या तालाबों के किनारे एकत्र होकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस दौरान फल, गन्ना और प्रसाद सूर्य को समर्पित किए जाते हैं, जो जीवन को बनाए रखने के लिए सूर्य की शक्ति के प्रति कृतज्ञता दर्शाते हैं।
- चौथा दिन – उषा अर्घ्य: 27 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रत समाप्त होता है। यह दिन नवीकरण और आध्यात्मिक पुनर्जनन का प्रतीक है। प्रसाद का वितरण समुदाय के बीच साझेदारी और भाईचारे को बढ़ाता है।
Chhath Puja 2025: प्रकृति और पर्यावरण के प्रति संदेश
छठ पूजा का मूल सार प्रकृति के प्रति सम्मान और कृतज्ञता है। इस पर्व में इस्तेमाल होने वाले फल, सब्जियां और मिठाइयां प्रकृति के उपहारों का प्रतीक हैं। व्रत और प्रार्थनाएं शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करने की इच्छा को दर्शाती हैं। यह पर्व जल, सूर्य और पर्यावरण के संरक्षण का संदेश देता है, जो आधुनिक समय में और भी प्रासंगिक हो गया है।
Chhath Puja 2025: देशभर में उत्साह, घाटों पर विशेष व्यवस्थाएं
देशभर के छठ घाटों पर भारी भीड़ की उम्मीद है। दिल्ली में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने 27 अक्टूबर को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है और घाटों पर स्वच्छता, सुरक्षा और अन्य सुविधाओं की व्यवस्था की गई है। बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में भी स्थानीय प्रशासन ने घाटों पर प्रकाश, स्वच्छ जल और सुरक्षा कर्मियों की तैनाती सुनिश्चित की है।
Chhath Puja 2025: आस्था और एकता का उत्सव
छठ पूजा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और पर्यावरण के प्रति जागरूकता का उत्सव है। यह पर्व श्रद्धालुओं को प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाने और सूर्यदेव से सुख-समृद्धि की कामना करने का अवसर देता है। कठिन व्रत और अनुष्ठानों के माध्यम से श्रद्धालु अपनी भक्ति और आत्मसंयम को व्यक्त करते हैं। यह पर्व भारतीय संस्कृति की समृद्ध परंपरा को दर्शाता है और समाज में भाईचारा, शांति और सकारात्मकता को बढ़ावा देता है।
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