Rajasthan News: राजस्थान में सरकारी स्कूलों में 11वीं-12वीं में पढ़ाई जा रही इतिहास की किताब ‘आजादी के बाद का स्वर्णिम भारत’ पर सियासी संग्राम छिड़ गया है। आरोप है कि किताब में सिर्फ कांग्रेस और नेहरू-गांधी परिवार से जुड़े नेताओं का महिमामंडन किया गया है, जबकि बीजेपी और अन्य विपक्षी नेताओं को नजरअंदाज कर दिया गया। इसके बाद राज्य सरकार ने इसे तत्काल प्रभाव से बैन करने का फैसला लिया है। यह मामला सिर्फ किताब तक सीमित नहीं है बल्कि राजस्थान में शिक्षा और राजनीति के टकराव की एक और मिसाल बन गया है।
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Rajasthan News: क्या है किताब पर विवाद?
राजस्थान शिक्षा परिषद के तहत संचालित सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले करीब साढ़े चार लाख आर्ट स्ट्रीम के स्टूडेंट्स 11वीं में इसका पार्ट 1 और 12वीं में पार्ट 2 पढ़ रहे थे। आरोपों के मुताबिक किताब में नेहरू-गांधी परिवार की प्रमुखता से तारीफ की गई, कांग्रेस के 15 नेताओं की तस्वीरें छापी गईं, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की तस्वीरें कवर पेज पर लगी हैं। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अटल बिहारी वाजपेयी जैसे बीजेपी नेताओं को जगह नहीं दी गई, और संविधान निर्माता डॉ. आंबेडकर तथा सरदार पटेल तक का उल्लेख बेहद सीमित है।
Rajasthan News: सरकार ने बताया इसे ‘जहर’, तुरंत हटाई किताब
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा, “गलती से खरीदे गए जहर को पैसे बचाने के लिए नहीं पिया जा सकता। यह किताब बच्चों के भविष्य के लिए जहर है। इसे हटाना जरूरी है।” मंत्री ने साफ किया कि किताब की परीक्षा के नंबर रिजल्ट में नहीं जुड़ते, इसलिए किताब हटाने से बच्चों के भविष्य पर कोई असर नहीं होगा। उन्होंने कहा कि किताबों की छपाई पर हुए करोड़ों रुपये के खर्च को सरकार सहन करेगी, लेकिन गलत इतिहास बच्चों को नहीं पढ़ाया जाएगा।
Rajasthan News: कांग्रेस का पलटवार, मदन दिलावर सस्ती लोकप्रियता चाहते हैं
कांग्रेस ने किताब पर बैन को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा। वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा, “मदन दिलावर सस्ती लोकप्रियता के लिए स्टूडेंट्स के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। किताब में उन्हीं लोगों को जगह दी गई है, जिन्होंने देश की आजादी और विकास में योगदान दिया। यह फैसला तानाशाही भरा है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।”
अशोक गहलोत सरकार के समय शुरू हुई थी किताब
यह किताब अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान स्कूलों में लागू की गई थी। अब मौजूदा भाजपा सरकार ने इसे हटाने का निर्णय लिया, जिससे प्रदेश की राजनीति में नया मोड़ आ गया है। कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी सरकार किताब को पार्टी के हिसाब से बदलना चाहती है और राज्य में शिक्षा को राजनीति का हथियार बना रही है।
दोनों पार्टियां बच्चों की जगह नेताओं की चिंता में व्यस्त
विशेषज्ञों का कहना है कि राजस्थान में किताब पर शुरू हुआ विवाद शिक्षा की गुणवत्ता और बच्चों के भविष्य से अधिक नेताओं की राजनीति के इर्द-गिर्द घूम रहा है। आने वाले समय में इस मुद्दे पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सियासत और तेज होने की संभावना है, क्योंकि राज्य में आने वाले महीनों में राजनीतिक गतिविधियां बढ़ने वाली हैं।
फिलहाल किताब बैन कर दी गई है। राज्य सरकार के इस फैसले के बाद शिक्षा विभाग जल्द ही वैकल्पिक व्यवस्था कर सकता है। सरकार द्वारा इस विषय में दिशा-निर्देश जारी होने की संभावना है ताकि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो। वहीं, कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर विधानसभा से सड़क तक सरकार को घेरने की तैयारी कर रही है।
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