Kota Suicide: राजस्थान के कोटा में एक और दुखद घटना सामने आई है, जहां बिहार के एक छात्र ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। कोटा भारत का प्रमुख कोचिंग हब है, जहां हजारों छात्र इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए आते हैं। हालांकि, यहां पर छात्रों पर पढ़ाई का अत्यधिक दबाव और मानसिक तनाव के कारण आत्महत्या की घटनाएं बढ़ रही हैं। कोटा के महावीर नगर थाना इलाके में कोचिंग छात्र ने रोशनदान से फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया। बताया जा रहा है कि मृतक आयुष कोटा में रहकर जेईई की तैयारी कर रहा था। इस साल यानी बीते छह महीनों में कोटा में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र की आत्महत्या का यह 11वां मामला सामने आया है।
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फांसी लगाकर बिहार के छात्र ने की खुदकुशी:
मृतक के परिजनों के कोटा पहुंचने के बाद पुलिस ने छात्र के शव का पोस्टमार्टम कराया। इस घटना के बारे में जानकारी देते हुए जांच अधिकारी कमल किशोर ने कहा कि रविवार की रात बिहार के मोतिहारी निवासी कोचिंग छात्र आयुष जायसवाल ने रोशनदान में फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली। जब छात्र अपने कमरे से बाहर नहीं आया तो उसके दोस्तों ने दरवाजा खटखटाया। काफी देर तक कमरे में से कोई आवाज नहीं आई तो पुलिस को सूचना दी गई। इसके बाद छात्र की खुदकुशी का पता चला।
छात्र के कमरे से नहीं मिला सुसाइड नोट:
महावीर नगर थाना पुलिस जांच कर रही है। पुलिस ने कहा कि मृतक छात्र के कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। कोटा में लगातार कोचिंग स्टूडेंट्स खुदकुशी के मामले लगातार सामने आ रहे है। इसको लेकर पुलिस जागरूकता फैलाने में जुटी है। कोचिंग संस्थानों को भी आवश्यक दिशानिर्देश दिए गए हैं। इसके बावजूद भी खुदकुशी के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे है।
संभावित कारण:
अकादमिक दबाव: कोटा में पढ़ाई का अत्यधिक दबाव और प्रतिस्पर्धा छात्रों पर भारी पड़ती है।
मानसिक स्वास्थ्य: मानसिक तनाव और डिप्रेशन के कारण कई छात्र आत्महत्या का कदम उठाते हैं।
अकेलापन: घर से दूर रहने और सामाजिक समर्थन की कमी भी आत्महत्या के मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया:
जांच: पुलिस और प्रशासन ने घटना की जांच शुरू कर दी है।
सहायता: छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए सहायतात्मक कदम उठाए जा रहे हैं, जैसे काउंसलिंग और मनोवैज्ञानिक सहायता।
मानसिक स्वास्थ्य के उपाय:
काउंसलिंग सत्र: कोचिंग संस्थानों को नियमित रूप से काउंसलिंग सत्र आयोजित करने चाहिए।
मनोवैज्ञानिक सहायता: छात्रों के लिए उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
समुदाय का समर्थन: छात्रों को एक सहयोगी और समझदार समुदाय का समर्थन प्राप्त होना चाहिए।
परिवार का सहयोग: परिवारों को भी मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए और छात्रों को भावनात्मक समर्थन देना चाहिए।