237 Crore DISCOM Scam: बिजली तंत्र सुधार के नाम पर हुए करोड़ों रुपये के घोटाले में डिस्कॉम प्रबंधन ने केवल कागजी कार्रवाई कर मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश की है। अनुबंधित कंपनी आर. सी. एंटरप्राइजेज को दो नोटिस जारी किए गए हैं, जिनमें उससे पूछा गया है कि क्यों न काम बंद कर उसे टर्मिनेट कर दिया जाए? लेकिन इन नोटिसों में घोटाले से जुड़ी कोई जानकारी या उच्च स्तरीय जांच कमेटी की रिपोर्ट का जिक्र नहीं है। सवाल यह है कि 237 करोड़ के घोटाले की पुष्टि होने के बावजूद दोषियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है?
Table of Contents
DISCOM Scam का एक बड़ा किरदार यह भी:
एमडी केपी वर्मा का नाम भी विवादों में
अजमेर डिस्कॉम के वर्तमान एमडी (मैनेजिंग डायरेक्टर) के पी वर्मा का नाम भी विवादों में है, क्योंकि जब यह घोटाला हुआ, उस समय वे डिस्कॉम में डायरेक्टर के पद पर थे। ऐसे में उनकी भूमिका पर सवाल उठना स्वाभाविक है। क्या वे भी इस घोटाले में शामिल हैं या उन्होंने इसकी अनदेखी की? यह मुद्दा अब गर्माता जा रहा है, और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग जोर पकड़ रही है।
ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने पहले कहा था कि कंपनी को टर्मिनेट करने का नोटिस जारी किया जाएगा, लेकिन शाम होते-होते बयान बदल गया और कहा गया कि सिर्फ शुरुआती नोटिस जारी किया गया है। यह साफ करता है कि कहीं न कहीं ऊंचे पदों से दबाव आ रहा है, जो सख्त कार्रवाई को रोक रहा है।
DISCOM Scam: यह है पूरा मामला:
कांग्रेस सरकार के अंतिम माह में 42 विद्युत सबस्टेशन के निर्माण और मेंटिनेंस के लिए दो टेंडर जारी किए गए थे, जिन्हें एक ही फर्म को 246 प्रतिशत ज्यादा दर पर दे दिया गया। भाजपा सरकार में इस पर शिकायत दर्ज होने के बाद एसीबी ने जांच शुरू की। जांच में खुलासा हुआ कि फर्म को 237 करोड़ रुपये से अधिक का काम दिया गया था।
इसके बावजूद, डिस्कॉम द्वारा केवल दो नोटिस जारी कर मामले को टालने की कोशिश की जा रही है। सवाल यह भी उठ रहा है कि फर्म मालिकों के सरकार से करीबी रिश्तों के कारण यह घोटाला दबाया जा रहा है।
घोटाले पर सरकार और डिस्कॉम प्रबंधन की चुप्पी ने खड़े किए कई गंभीर सवाल
डिस्कॉम घोटाले पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं, जिनका अब तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला है। विधानसभा में इस मामले से संबंधित प्रश्न उठाए जाने के बाद भी सरकार की ओर से कोई ठोस जवाब क्यों नहीं दिया जा रहा है? पहले से मौजूद कमेटी की रिपोर्ट में 237 करोड़ के घोटाले की पुष्टि हो चुकी है, तो फिर नई कमेटी का गठन क्यों किया गया? क्या यह घोटाले पर पर्दा डालने की कोशिश है, या फिर पहले की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डालने का प्रयास?
वर्तमान में डिस्कॉम के एमडी की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं, क्योंकि जब यह घोटाला हुआ था, तब वे डिस्कॉम में डायरेक्टर थे। बावजूद इसके, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? दोषी अधिकारियों और घोटाले में शामिल फर्म पर कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया जा रहा है? क्या इसके पीछे फर्म के मालिकों के वर्तमान सरकार से नजदीकी संबंध हैं, जिसके कारण इस बड़े घोटाले पर पर्दा डालने का प्रयास किया जा रहा है?
DISCOM Scam: गहलोत के कृपापात्र तत्कालीन एमडी आर एन कुमावत हैं सूत्रधार
अधीक्षण अभियंता आर एन कुमावत के विरुद्ध वर्ष 2017 में तीन-तीन आरोप पत्र दाखिल हुए और जुलाई 2018 में वे रिटायर हो गए। अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री बनते ही चार्जशीटेड इंजीनियर आर. एन. कुमावत को क्लीनचिट देकर रिटायरमेंट के 8 महीने बाद चीफ इंजीनियर के पद पर प्रमोशन दे दिया और उनको प्रमोशन के सारे आर्थिक प्रतिलाभ दिलवाए। चीफ इंजीनियर आर.एन. कुमावत को फरवरी 2023 में गहलोत सरकार ने जयपुर डिस्कॉम का एम.डी. नियुक्त किया। इनकी इस नियुक्ति में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत की महती भूमिका रही।
इस बारे में हमने अजमेर डिस्कॉम के वर्तमान एमडी (मैनेजिंग डायरेक्टर) के पी वर्मा और ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर और जयपुर विद्युत वितरण निगम के पूर्व प्रबंध निदेशक आर.एन. कुमावत से उनका पक्ष जानने का भरसक प्रयास किया गया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं साधा जा सका।
इस सन्दर्भ में वे यदि कुछ कहना चाहते हैं तो उनकी टिप्पणी भी इसमें शामिल कर दी जाएगी।
जारी…
यह भी पढ़ें –
Govt Jobs 2024: सफाई कर्मचारी के 23000 से अधिक पदों पर आवेदन शुरू, बिना परीक्षा लौटरी से होगा चयन
Haryana: प्रचंड जीत के बावजूद हार गए सैनी सरकार के नौ मंत्री, यहां देखें कौन-कौन हैं इस लिस्ट में