Speaker Om Birla: 18वीं लोकसभा के लिए चुने गए कुछ सांसदों ने शपथ लेते समय ‘जय फिलिस्तीन’, ‘जय हिंदू राष्ट्र’ जैसे नारे लगाने पर विवाद खड़ा हो गया था। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शपथ ग्रहण प्रक्रिया को लेकर एक महत्वपूर्ण संशोधन किया है। इस संशोधन के तहत ‘अध्यक्ष के निर्देशों’ में ‘निर्देश-1’ में एक नया खंड जोड़ा गया है, जो पहले नियमों का हिस्सा नहीं था। स्पीकर ओम बिरला ने संसद में शपथ ग्रहण से जुड़े नियमों में बदलाव किए हैं। नए नियमों के तहत सांसद अब शपथ ग्रहण के दौरान ‘जय फिलिस्तीन’, ‘जय हिंदू राष्ट्र’ जैसे नारे नहीं लगा पाएंगे।
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स्पीकर ओम बिरला ने शपथ के नियम में किया बड़ा बदलाव
स्पीकर ओम बिरला के नए नियम के मुताबिक, अब भविष्य में शपथ लेने वाले निर्वाचित सांसदों को संविधान के अंतर्गत शपथ के प्रारूप के अनुसार ही शपथ लेना होगा। अब सांसद शपथ लेते समय न तो नारे लगा पाएंगे और न ही अपने शपथ में कोई और शब्द जोड़ पाएंगे।
शपथ के समय नारे लगाने पर लगाई रोक
लोकसभा अध्यक्ष के निर्देश के अनुसार, लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों (सत्रहवें संस्करण) के नियम 389 में बदलाव किया गया है। नियम 389 के निर्देश-1 में खंड – 2 के बाद अब एक नया खंड-3 जोड़ा है। नए नियमों के अनुसार, एक सदस्य भारत के संविधान की तीसरी अनुसूची में इस उद्देश्य के लिए निर्धारित प्रपत्र के अनुसार, ही शपथ लेगा और उस पर हस्ताक्षर करेगा। बदले गए नियमों के मुताबिक, शपथ के साथ उपसर्ग या प्रत्यय के रूप में कोई भी टिप्पणी या किसी भी अन्य शब्द या अभिव्यक्ति का इजाजत नहीं होगी।
नियमों में बदलाव के मुख्य बिंदु
स्पीकर ओम बिरला द्वारा किए गए इन नियमों के बदलाव से संसद की गरिमा और शपथ ग्रहण की प्रक्रिया की पवित्रता बनाए रखने में मदद मिलेगी। यह कदम सांसदों को अनुशासन और मर्यादा का पालन करने के लिए प्रेरित करेगा, जिससे संसद की कार्यवाही अधिक सुचारू और प्रभावी हो सकेगी।
नारों पर प्रतिबंध
सांसदों के शपथ ग्रहण के दौरान किसी भी प्रकार के धार्मिक, राजनीतिक या अन्य भड़काऊ नारों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसका उद्देश्य संसद की गरिमा और शपथ ग्रहण समारोह की पवित्रता को बनाए रखना है।
शपथ ग्रहण की मर्यादा
स्पीकर ओम बिरला ने यह स्पष्ट किया है कि शपथ ग्रहण एक गंभीर और आधिकारिक प्रक्रिया है, जिसमें अनुशासन और मर्यादा का पालन किया जाना चाहिए। किसी भी प्रकार के नारेबाजी या अनाधिकृत वक्तव्य इस प्रक्रिया की गंभीरता को कम कर सकते हैं।
संसदीय आचार संहिता
नए नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए सांसदों को संसदीय आचार संहिता का पालन करना होगा। यह कदम संसद की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने और सांसदों के बीच अनुशासन बनाए रखने के लिए उठाया गया है।
समर्पण और देशभक्ति
हालांकि, सामान्य देशभक्ति के नारे जैसे ‘जय हिंद’ और ‘वंदे मातरम’ को अभी भी अनुमति है, क्योंकि ये नारे राष्ट्र के प्रति सम्मान और समर्पण को प्रदर्शित करते हैं।
‘जय फिलिस्तीन’ के नारे में हुआ था विवाद
आपको बता दें कि 18वीं लोकसभा के पहले सत्र के दौरान एआईएमआईएम मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने संसद सदस्यता की शपथ लेने के बाद सदन में ‘जय भीम, जय मीम, जय तेलंगाना और सबसे आखिर में ‘जय फिलिस्तीन’ का नारा लगाया था। इसके बाद एक नया विवाद खड़ा कर दिया था। कई नेताओं ने ओवैसी की सदस्यता रद्द करने की मांग तक की थी।