RSS: मोदी सरकार ने सेामवार को एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है, जिसके तहत अब सरकारी कर्मचारी भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रमों में शामिल हो सकते हैं। इस फैसले ने 58 साल पुराने उस आदेश को पलट दिया है जिसमें सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस में शामिल होने से रोका गया था। इस फैसले ने राजनीतिक गलियारों में काफी हलचल मचा दी है और विपक्ष ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में भाग लेने पर प्रतिबंध हटाने के भारत सरकार के आदेश ने विपक्ष और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच राजनीतिक बहस छेड़ दी है। कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि नौकरशाही पर शिकंजा कसा जा सकता है।
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रोक हटाने का फैसला स्वागत योग्य : सुनील आंबेकर
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मोदी सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में शामिल होने पर लगे प्रतिबंध को हटाने के फैसले का स्वागत किया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा है कि आरएसएस पिछले 99 वर्षों से सतत राष्ट्र के पुनर्निर्माण एवं समाज की सेवा में संलग्न है और सरकार का वर्तमान निर्णय भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को पुष्ट करने वाला है।
अब RSS में शामिल हो सकते है सरकारी कर्मचारी
बीजेपी नेता अमित मालवीय ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा, 58 साल पहले, 1966 में जारी असंवैधानिक आदेश, जिसमें सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाया गया था, मोदी सरकार द्वारा वापस ले लिया गया है। मूल आदेश को पहले ही पारित नहीं किया जाना चाहिए था।
मोदी सरकार ने पलटा 58 साल पुराना आदेश
अमित मालवीय ने कहा कि प्रतिबंध इसलिए लगाया गया था क्योंकि 7 नवंबर 1966 को संसद पर गोहत्या के खिलाफ़ एक बड़ा प्रदर्शन हुआ था। आरएसएस-जनसंघ ने लाखों लोगों का समर्थन जुटाया था। पुलिस की गोलीबारी में कई लोग मारे गए। 30 नवंबर 1966 को आरएसएस-जनसंघ के प्रभाव से हिलकर इंदिरा गांधी ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
कांग्रेस ने बताया, बहुत दुर्भाग्यपूर्ण कदम
वहीं, कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कार्मिक मंत्रालय के आदेश को बहुत दुर्भाग्यपूर्ण कदम बताते कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार लोगों के फैसले से कोई सबक नहीं सीख रही है।
यह भारत की अखंडता और एकता के खिलाफ : ओवैसी
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध हटाने के लिए सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि अगर यह सही है, तो यह भारत की अखंडता और एकता के खिलाफ है। आरएसएस पर प्रतिबंध इसलिए है क्योंकि इसने संविधान, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। आरएसएस का हर सदस्य शपथ लेता है कि वह हिंदुत्व को राष्ट्र से ऊपर रखेगा। ओवैसी ने कहा, कोई भी सिविल सेवक राष्ट्र के प्रति वफादार नहीं हो सकता अगर वह आरएसएस का सदस्य है।
जयराम रमेश ने किया केंद्र सरकार पर कड़ा प्रहार
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने केंद्र सरकार पर कड़ा प्रहार करते हुए दावा किया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान भी यह प्रतिबंध बरकरार रखा गया था और इसे 9 जुलाई को हटा लिया गया। फरवरी 1948 में आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने वाले सरदार पटेल को याद करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि अच्छे आचरण के आश्वासन पर प्रतिबंध बाद में हटा लिया गया। उन्होंने कहा, इसके बाद भी, आरएसएस ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया। 1966 में, सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाया गया था – और यह सही भी था।