Anura Kumara Dissanayake: अनुरा कुमारा दिसानायके श्रीलंका के 9वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने वाले पहले वामपंथी नेता हैं। उन्होंने इस पद को ऐसे समय में संभाला है जब श्रीलंका गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि और नीतियां श्रीलंका की दिशा में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती हैं। आइए, उनके व्यक्तित्व और भारत-श्रीलंका संबंधों पर संभावित प्रभावों को समझते हैं।
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राष्ट्रपति चुनाव में 39 उम्मीदवारों ने लिया हिस्सा
श्रीलंका में 2022 के आर्थिक संकट के बाद हुए राष्ट्रपति चुनाव में 39 उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया। मुख्य मुकाबला पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, विपक्षी नेता साजिथ प्रेमदासा और अनुरा कुमारा के बीच था। यह चुनाव देश के राजनीतिक भविष्य के लिए महत्वपूर्ण था, क्योंकि इससे आर्थिक सुधार और स्थिरता की दिशा में कदम बढ़ाने की उम्मीदें जुड़ी थीं।
श्रीलंका और भारत के बीच शांति समझौते का किया था विरोध
अनुरा कुमारा दिसानायके 1987 में चर्चा में आए थे, जब उनकी पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) ने श्रीलंका और भारत के बीच शांति समझौते का विरोध किया था। उनके राष्ट्रपति चुने जाने की संभावना के साथ, भारत और श्रीलंका के संबंधों में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकते हैं। इस स्थिति से संबंधित चिंताओं और संभावित नीतिगत बदलावों पर नज़र रखना महत्वपूर्ण होगा। यदि आपको किसी विशेष पहलू या हालिया विकास के बारे में और जानकारी चाहिए, तो बताएं!
अनुरा कुमारा दिसानायके कौन हैं?
अनुरा कुमारा दिसानायके एक प्रमुख वामपंथी नेता हैं और जनता विमुक्ति पेरमुना (JVP) पार्टी के प्रमुख हैं। JVP श्रीलंका की एक वामपंथी, समाजवादी पार्टी है, जो अपने मार्क्सवादी-लेनिनवादी विचारधारा के लिए जानी जाती है। दिसानायके लंबे समय से श्रीलंका की राजनीति में सक्रिय हैं और गरीबों और मजदूरों के अधिकारों के लिए काम करते रहे हैं। उनकी पार्टी ऐतिहासिक रूप से सत्ता में नहीं रही, लेकिन हाल के वर्षों में आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता ने वामपंथी दलों की ओर जनता का ध्यान खींचा।
भारत-श्रीलंका के रिश्तों पर प्रभाव
अनुरा कुमारा दिसानायके के राष्ट्रपति बनने से भारत-श्रीलंका संबंधों पर कुछ संभावित प्रभाव हो सकते हैं। दिसानायके की वामपंथी नीतियां और भारत-श्रीलंका के ऐतिहासिक संबंधों के आधार पर दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और आर्थिक सहयोग को नए आयाम मिल सकते हैं। हालांकि, श्रीलंका की आर्थिक चुनौतियां और क्षेत्रीय भू-राजनीति के बीच संतुलन बनाना उनके लिए एक कठिन कार्य होगा।
भारत के साथ आर्थिक सहयोग
श्रीलंका के वर्तमान आर्थिक संकट को देखते हुए, भारत-श्रीलंका के संबंधों में आर्थिक सहयोग एक महत्वपूर्ण बिंदु रहेगा। भारत ने हाल के वर्षों में श्रीलंका को कर्ज और राहत पैकेज मुहैया कराए हैं, और दिसानायके की सरकार के लिए यह सहयोग जारी रखना महत्वपूर्ण होगा।
चीन के साथ संबंध
श्रीलंका में चीन का प्रभाव एक संवेदनशील मुद्दा रहा है। दिसानायके की वामपंथी नीतियां संभवतः चीन के साथ संबंधों को नए नजरिए से देख सकती हैं, लेकिन साथ ही, उन्हें भारत के साथ संतुलन बनाना भी जरूरी होगा। भारत के लिए यह महत्वपूर्ण है कि श्रीलंका का झुकाव चीन की ओर ज्यादा न हो।
आंतरिक सुधार और स्थिरता
दिसानायके का मुख्य फोकस आंतरिक सुधार और भ्रष्टाचार को खत्म करना हो सकता है। अगर वह श्रीलंका की राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित कर पाते हैं, तो भारत के साथ द्विपक्षीय सहयोग मजबूत हो सकता है।