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ट्रंप-मस्क ब्रेकअप: कहानी तकनीक, सत्ता और जवाबदेही के टकराव की – सत्ता हार गई या मस्क थक गए?

Elon Musk Exits Trump Team: यह सिर्फ़ इस्तीफा नहीं, तकनीक, लोकतंत्र और कॉर्पोरेट विचारधारा के टकराव की कहानी है। पढ़ें गिरिराज शर्मा की ये तीखी विश्लेषणात्मक टिप्पणी –

Elon Musk Exits Trump Team: एलन मस्क का ट्रंप की टीम से जाना सिर्फ़ एक VIP के इस्तीफे की खबर नहीं है। यह घटना गहरी राजनीतिक और प्रशासनिक परतों को उघाड़ती है। सतह पर यह एक ‘बिग ब्यूटीफुल बिल’ पर असहमति का मामला है, लेकिन असल में यह कहानी उस संघर्ष की है जो तकनीक और सत्ता के बीच चल रही है। यह कहानी है उस सीमा की, जहाँ कॉर्पोरेट स्टाइल की कार्यप्रणाली लोकतांत्रिक संस्थाओं की पारदर्शिता और जवाबदेही से टकराती है।

ट्रंप ने एलन मस्क को अपनी सरकार में इसलिए जगह दी क्योंकि उन्हें लगता था कि वह ‘सिस्टम को हिला देने वाला’ व्यक्ति है। मस्क को सरकार में DOGE (Department of Government Efficiency) का प्रमुख बनाया गया। काम था सरकारी खर्च में कटौती करना, भ्रष्टाचार को रोकना, और ‘प्राइवेट सेक्टर जैसी चुस्ती’ लाना।

लेकिन मस्क जैसे इनोवेटर के लिए शासन चलाना वैसा नहीं था जैसा स्पेस लॉन्च करना या ट्विटर (अब X) संभालना। प्रशासन में हर कदम पर जवाबदेही है, नियम हैं, और विरोध है – जिनसे मस्क अक्सर दूर ही रहे हैं।

कॉर्पोरेट तर्ज पर शासन: एक प्रयोग जो विफल रहा?

मस्क ने आते ही 50,000 से ज़्यादा सरकारी कर्मचारियों की छंटनी कर दी। कई अहम योजनाओं की फंडिंग रोक दी। अपने स्टार्टअप अंदाज़ में उन्होंने अफसरों को ईमेल कर उनके आउटपुट की रिपोर्ट मांगी – जैसे सरकार कोई टेक कंपनी हो।
नतीजा? देशभर में “Hands Off” विरोध शुरू हुआ। अफसर, यूनियन, NGOs और आम जनता सड़कों पर उतर आई। नौकरशाही को डराने का यह तरीका उल्टा पड़ गया।

बिग ब्यूटीफुल बिल: टकराव की जड़

जब ट्रंप ने ‘Big Beautiful Bill’ को पास कराया, मस्क को यह सीधे DOGE के उद्देश्यों के खिलाफ लगा। यह बिल टैक्स घटाता है लेकिन रक्षा खर्च बढ़ाता है, सरकारी कर्ज सीमा बढ़ाता है लेकिन खर्च में पारदर्शिता की बात नहीं करता।

मस्क को समझ आ गया – उनका विजन और ट्रंप की राजनीति दो अलग दिशाओं में जा रहे हैं।

यह सिर्फ इस्तीफा नहीं, एक चेतावनी है

एलन मस्क का जाना सिर्फ टूटे हुए राजनीतिक गठबंधन की कहानी नहीं है – यह बताता है कि टेक्नोलॉजी के महारथियों के पास भले ही विचार हों, संसाधन हों, लेकिन लोकतंत्र को चलाने के लिए सिर्फ इनोवेशन काफी नहीं होता। जवाबदेही और सामूहिक सहमति लोकतंत्र के मूल तत्व हैं, जिन्हें मस्क समझने में विफल रहे।

मस्क का असर खत्म नहीं होगा

भले ही मस्क अब ‘राजनीति से बाहर’ जाने की बात कर रहे हों, लेकिन उनका प्रभाव बना रहेगा। चाहे वो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हो, स्पेस टेक्नोलॉजी हो या डिजिटल प्लेटफॉर्म्स – एलन मस्क आज भी पब्लिक लाइफ को गहराई से प्रभावित करते हैं। वे एक ट्रेंडसेटर हैं, एक विचारधारा हैं, एक विरोधाभास हैं।

ट्रंप-मस्क ब्रोमेंस अब खत्म है

इस घटनाक्रम से एक बात साफ है – ट्रंप और मस्क का ‘ब्रोमेंस’ आधिकारिक रूप से खत्म हो चुका है। तकनीक और सत्ता का यह गठबंधन ज़्यादा दिन नहीं टिक पाया।
मस्क अब वापस अपने स्पेसशिप और सर्वर रूम की दुनिया में लौटेंगे, लेकिन जो सवाल वो छोड़ गए हैं – शासन, जवाबदेही और तकनीक के बीच संतुलन का – उनका जवाब ढूंढ़ना बाकी है।

Giriraj Sharma Opinion

यह भी पढ़ें – ट्रंप-मस्क की जोड़ी में दरार: मस्क का इस्तीफा, ट्रंप की नीतियों पर जताई खुलकर नाराज़गी

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Giriraj Sharma
Giriraj Sharmahttp://hindi.bynewsindia.com
ढाई दशक से सक्रिय पत्रकारिता में। राजनीतिक व सामाजिक विषयों पर लेखन, पर्यावरण, नगरीय विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि विषयों में रूचि। [ पूर्व संपादक (एम एंड सी) ज़ी रीजनल चैनल्स | कोऑर्डिनेटिंग एडिटर, ईटीवी न्यूज़ नेटवर्क/न्यूज़18 रीजनल चैनल्स | स्टेट एडिटर, पत्रिका छत्तीसगढ़ | डिजिटल कंटेंट हेड, पत्रिका.कॉम | मीडिया कंसलटेंट | पर्सोना डिज़ाइनर ]
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