Sulakshana Pandit Death: हिंदी सिनेमा के स्वर्णिम युग की मधुर आवाज सुलक्षणा पंडित का गुरुवार शाम मुंबई के नानावती अस्पताल में निधन हो गया। 71 वर्षीय सुलक्षणा लंबे समय से बीमार चल रही थीं और कार्डियक अरेस्ट से उनका निधन हुआ। उनके भाई, संगीतकार ललित पंडित ने मिड-डे को पुष्टि करते हुए बताया, वह आज शाम करीब 8 बजे चली गईं। अंतिम संस्कार शुक्रवार को किया जाएगा।
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Sulakshana Pandit Death: लंबी बीमारी के बाद दुखद अंत
रिपोर्ट्स के अनुसार, सुलक्षणा उम्र संबंधी जटिलताओं से जूझ रही थीं। परिवार ने अभी तक आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन ललित पंडित ने समाचार माध्यमों को सूचित किया। बॉलीवुड हस्तियों ने सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त किया है। अनुपम खेर ने ट्वीट किया, ‘सुलक्षणा जी की आवाज और सादगी हमेशा याद रहेगी।’ यह निधन संजीव कुमार की पुण्यतिथि (6 नवंबर 1985) पर हुआ, जो सुलक्षणा के जीवन का एक दुखद संयोग है।
Sulakshana Pandit Death: संगीतमय परिवार में जन्म
सुलक्षणा पंडित का जन्म 12 जुलाई 1954 को छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में एक संगीतमय परिवार में हुआ था। हरियाणा के हिसार से ताल्लुक रखने वाले इस परिवार में पंडित जसराज उनके चाचा थे। सुलक्षणा ने मात्र 9 वर्ष की आयु में गाना शुरू कर दिया। उनके भाई मांडीर पंडित के साथ संगीत की शुरुआत हुई। वे जतिन-ललित (संगीतकार जोड़ी) और अभिनेत्री विजयता पंडित की बहन थीं।
Sulakshana Pandit Death: गायकी की दुनिया में धमाकेदार डेब्यू
सुलक्षणा की गायकी का सफर 1967 में फिल्म ‘तकदीर’ से शुरू हुआ। लता मंगेशकर के साथ डुएट ‘सात समंदर पार से’ ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया। मात्र 13 वर्ष की उम्र में यह गीत सुपरहिट रहा। 1970-80 के दशक में उन्होंने किशोर कुमार, हेमंत कुमार और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल जैसे दिग्गजों के साथ काम किया।
उनकी आवाज की मिठास ने कई यादगार गीत रचे। 1976 में फिल्म ‘संकल्प’ के गाने ‘तू ही सागर तू ही किनारा’ (संगीत: खय्याम) के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। यह गीत उनकी ऊंचे सुरों की महारत का प्रतीक था। अन्य हिट गाने जैसे ‘बेकरार दिल तू गये जा’ (लाहौर, किशोर कुमार के साथ) और ‘सोमवार को हम मिले मंगलवार को नैन’ ने उन्हें प्लेबैक सिंगर के रूप में अमर कर दिया।
अभिनय में प्रवेश: उलझन से डेब्यू
1975 में सुलक्षणा ने अभिनय की दुनिया में कदम रखा। फिल्म ‘उलझन’ में संजीव कुमार के अपोजिट डेब्यू किया, जो एक सस्पेंस थ्रिलर थी। इसके बाद उन्होंने ‘हेरा फेरी’, ‘अपनापन’, ‘खानदान’, ‘वक्त की दीवार’, ‘धर्म कांटा’, ‘रजा’, ‘फांसी’, ‘बंडलबाज’, ‘संकुच’ और ‘चेहरा पे चेहरा’ जैसी फिल्मों में काम किया।
वे राजेश खन्ना, जितेंद्र, विनोद खन्ना, शशि कपूर, शत्रुघ्न सिन्हा और ऋषि कपूर जैसे सुपरस्टार्स के साथ स्क्रीन शेयर की। 1978 में बंगाली फिल्म ‘बांदिए’ में उत्तम कुमार के साथ काम कर अपनी बहुमुखी प्रतिभा दिखाई। कुछ फिल्मों में उन्होंने अभिनय के साथ प्लेबैक भी दिया।
संजीव कुमार से अनकही प्रेम कहानी
सुलक्षणा का जीवन एक दुखांत प्रेम कहानी से जुड़ा रहा। ‘उलझन’ के सेट पर संजीव कुमार से उनका प्यार हो गया। संजीव हेमामालिनी से प्रेम करते थे, जिन्होंने उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया। सुलक्षणा ने संजीव को प्रपोज किया, लेकिन उन्होंने अस्वीकार कर दिया। इस असफलता से आहत सुलक्षणा ने कभी शादी नहीं की। संजीव के 1985 में निधन के बाद वे डिप्रेशन में चली गईं और फिल्म इंडस्ट्री से दूर हो गईं। दिलचस्प संयोग, दोनों की मृत्यु 6 नवंबर को हुई।
आखिरी गीत और विरासत
सुलक्षणा का अंतिम प्लेबैक गाना 1996 की फिल्म ‘खामोशी: द म्यूजिकल’ में था, जिसे उनके भाई जतिन-ललित ने संगीतबद्ध किया। बॉलीवुड ने उन्हें एक ऐसी कलाकार के रूप में याद किया जो गायकी और अभिनय दोनों में उत्कृष्ट थी। उनकी आवाज आज भी युवा पीढ़ी को प्रेरित करती है।
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