NEET UG 2024: नीट यूजी 2024 के नतीजों के बाद जैसे ही मेडिकल कॉलेजों में दाखिले की प्रक्रिया शुरू हुई, उसी के साथ जालसाज भी सक्रिय हो गए हैं। हर साल की तरह इस बार भी ठगों ने उन छात्र-छात्राओं और उनके परिजनों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है, जिन्हें अपेक्षा से कम अंक मिले हैं या जिनकी रैंक सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए पर्याप्त नहीं है। ऐसे ही एक मामले में छत्तीसगढ़ की राजधानी नवा रायपुर की एक छात्रा से एमबीबीएस में दाखिले का झांसा देकर 10 लाख रुपये से ज्यादा की ठगी की गई है।
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NEET UG 2024: क्या है पूरा मामला?
नवा रायपुर के सेक्टर-30 में रहने वाली वीणा सिंह की बेटी अक्षिता सिंह ने वर्ष 2024 में नीट यूजी की परीक्षा दी थी। हालांकि उसके अंक इतने नहीं थे कि सरकारी मेडिकल कॉलेज में सीट मिल सके। इसी दौरान वीणा सिंह से एक युवक मोहित सामोरिका ने संपर्क किया। उसने खुद को मेडिकल एडमिशन एजेंट बताते हुए दावा किया कि वह सरकारी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में सीट दिला सकता है।
NEET UG 2024: वीणा सिंह से मांगे 10 लाख
मोहित ने इसके लिए वीणा सिंह से 10 लाख 11 हजार रुपये की मांग की। बेटी के भविष्य को लेकर चिंतित वीणा सिंह ने बिना ज्यादा जांच-पड़ताल किए, मोहित की बातों पर भरोसा कर लिया और उसे पूरी राशि ट्रांसफर कर दी। लेकिन जब लंबे समय तक कोई दाखिला नहीं हुआ और मोहित से संपर्क करना मुश्किल हो गया, तो उन्हें ठगी का अहसास हुआ। आरोपी ने वीणा सिंह के पैसे भी वापस करने से इनकार कर दिया और फिर मोबाइल फोन बंद कर गायब हो गया।
NEET UG 2024: अभी तक आरोपी की गिरफ्तारी नहीं
अब इस मामले में वीणा सिंह की शिकायत पर राखी पुलिस ने आरोपी मोहित सामोरिका के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत अपराध दर्ज कर लिया है। हालांकि अभी तक आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।
हर साल होते हैं ऐसे सैकड़ों मामले
नीट यूजी एक हाई-प्रेशर प्रतियोगी परीक्षा है। भारत में सीमित मेडिकल सीटों और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण हजारों छात्र-छात्राओं को हर साल प्राइवेट कॉलेज या मैनेजमेंट कोटा का सहारा लेना पड़ता है। इसी असुरक्षा और जल्दबाजी का फायदा ठग उठाते हैं। वे ऐसे परिवारों को निशाना बनाते हैं जो किसी भी कीमत पर अपने बच्चों का एडमिशन कराना चाहते हैं। अक्सर अभिभावक ‘काउंसलिंग में शामिल हुए बिना सीट दिलाने’ के झांसे में आ जाते हैं।
ठगी से कैसे बचें? अपनाएं ये 7 जरूरी उपाय
काउंसलिंग प्रक्रिया का पालन करें:
भारत में मेडिकल प्रवेश की एकमात्र वैध प्रक्रिया राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) और संबंधित राज्य सरकारों की काउंसलिंग के जरिए होती है। कभी भी किसी एजेंट या बिचौलिए के जरिए दाखिले की कोशिश न करें।
‘सीट कन्फर्म’ जैसी भाषा से सतर्क रहें:
कोई भी ईमानदार कॉलेज या एजेंसी यह दावा नहीं कर सकती कि “सीट पक्की है।” ऐसे शब्द धोखाधड़ी की पहली पहचान हैं।
कभी न करें कैश ट्रांजैक्शन:
एजेंट द्वारा मांगे गए भारी-भरकम नकद भुगतान से बचें। हमेशा डिजिटल या बैंक के जरिए ही भुगतान करें और रसीद लें।
कॉलेज और एजेंट की पृष्ठभूमि जांचें:
जिस कॉलेज का नाम लिया जा रहा है, उसकी आधिकारिक वेबसाइट, एनएमसी लिस्ट और राज्य सरकार की काउंसलिंग वेबसाइट पर जाकर सत्यापन करें।
किसी भी अनधिकृत कॉल या मैसेज से सतर्क रहें:
नीट रिजल्ट आते ही कॉल या मैसेज आने लगते हैं कि “आपके बच्चे का नाम सीट के लिए शॉर्टलिस्ट हुआ है” – ये फर्जी होते हैं। कोई भी बड़ा भुगतान करने से पहले वकील या काउंसलिंग एक्सपर्ट से सलाह लें: ठग भावनाओं का फायदा उठाते हैं, इसलिए निष्पक्ष सलाह बहुत जरूरी है।
संभव हो तो सभी संवाद रिकॉर्ड करें:
बातचीत, भुगतान, मैसेज या कॉल को सुरक्षित रखें, ताकि पुलिस शिकायत में सबूत पेश किए जा सकें।
सरकार और पुलिस क्या कर रही है?
इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए साइबर पुलिस और शिक्षा विभागों को मिलकर काम करना चाहिए। राज्यों में हेल्पलाइन नंबर और फर्जीवाड़े की पहचान के लिए अभियान चलाए जाने चाहिए। साथ ही नीट परीक्षा के बाद छात्रों और अभिभावकों को जागरूक करने की आवश्यकता है कि केवल आधिकारिक चैनलों से ही दाखिला लें।
मेडिकल प्रवेश में ठगी का यह कोई पहला मामला नहीं है, लेकिन हर बार पीड़ित परिवारों के लिए यह व्यक्तिगत और आर्थिक दोनों ही स्तर पर गहरा आघात होता है। बच्चों का भविष्य संवारने की कोशिश उन्हें आर्थिक बर्बादी और मानसिक तनाव में बदल देती है। इसलिए बेहद जरूरी है कि सभी छात्र और अभिभावक सजग और सतर्क रहें, ताकि वे किसी भी झांसेबाज के जाल में न फंसें।
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