Ballistic Missile: बैलिस्टिक मिसाइल टेक्नोलॉजी अब सिर्फ एक सैन्य हथियार नहीं, बल्कि किसी देश की रणनीतिक क्षमता, वैज्ञानिक विकास और वैश्विक प्रभाव का प्रतीक बन चुकी है। खासकर इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल्स (ICBMs) की रेंज और मारक क्षमता इतनी जबरदस्त होती है कि ये एक ही हमले में कई शहरों को तबाह कर सकती हैं। 2025 की ताज़ा ग्लोबल डिफेंस रिपोर्ट्स के मुताबिक, दुनिया के तीन देश – रूस, चीन और अमेरिका – इस टेक्नोलॉजी की सर्वोच्च दौड़ में सबसे आगे हैं।
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Ballistic Missile: बैलिस्टिक मिसाइलों में कौन सबसे आगे?
2025 की ग्लोबल सैन्य विश्लेषण रिपोर्ट के अनुसार, रूस इस समय दुनिया की सबसे उन्नत बैलिस्टिक मिसाइल RS-28 Sarmat (जिसे Satan II भी कहा जाता है) का स्वामी है। यह मिसाइल लगभग 18,000 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है और एकसाथ कई परमाणु हथियार अलग-अलग लक्ष्यों पर गिरा सकती है। इसे ‘डूम्सडे मिसाइल’ भी कहा जाता है।
इसके बाद चीन की DF-41 आती है जिसकी अधिकतम रेंज 15,000 किमी है। वहीं अमेरिका की नई LGM-35 Sentinel और Submarine-based Trident II D5 मिसाइलें न केवल दूर तक मार कर सकती हैं, बल्कि बहुत अधिक सटीक भी हैं।
Ballistic Missile: 2025 की टॉप 10 ICBMs की लिस्ट
- RS-28 Sarmat – रूस
- DF-41 – चीन
- LGM-35 Sentinel – अमेरिका
- Trident II D5 – अमेरिका / ब्रिटेन
- RS-24 Yars – रूस
- M51 – फ्रांस
- R-29RMU2.1 Layner – रूस
- LGM-30G Minuteman III – अमेरिका
- JL-2 – चीन
- Agni-V – भारत
इन मिसाइलों में अधिकतर ICBM श्रेणी की हैं, जिनकी रेंज 5,000 किमी से अधिक है और जो आमतौर पर परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हैं।
Ballistic Missile: मुस्लिम देश क्यों नहीं हैं टॉप 10 में?
इस सूची में ध्यान देने वाली बात यह है कि कोई भी मुस्लिम देश — जैसे पाकिस्तान, ईरान, तुर्की या सऊदी अरब — इस सूची में नहीं है। हालांकि कुछ मुस्लिम देशों के पास शॉर्ट और मीडियम रेंज बैलिस्टिक मिसाइलें हैं, लेकिन वे ICBM की श्रेणी में नहीं आतीं।
उदाहरण के लिए… पाकिस्तान के पास Shaheen और Ghauri जैसी मिसाइलें हैं, जिनकी अधिकतम रेंज लगभग 2,500–3,000 किमी है। ईरान की Shahab और Sejjil सीरीज की मिसाइलें भी मिड-रेंज कैटेगरी में आती हैं, लेकिन इनकी रेंज भी 3,000 किमी से कम है।
क्या भविष्य में कोई मुस्लिम देश इस लिस्ट में आ सकता है?
वर्तमान में, मुस्लिम देशों की टेक्नोलॉजिकल कैपेसिटी, रक्षा बजट और वैज्ञानिक संसाधन अभी इस स्तर पर नहीं हैं कि वे ICBM जैसी जटिल तकनीक को विकसित कर सकें। हालांकि पाकिस्तान और ईरान लगातार स्वदेशी मिसाइल विकास कार्यक्रम पर काम कर रहे हैं, लेकिन उनके लिए ICBM डेवलप करना अभी भी एक लंबी रणनीतिक प्रक्रिया है।
सऊदी अरब और यूएई जैसे देश सैन्य उपकरणों की खरीद पर अरबों डॉलर खर्च कर रहे हैं, लेकिन अभी वे मिसाइल निर्माण में आत्मनिर्भर नहीं हैं।
भारत की स्थिति और उपलब्धि
इस सूची में भारत का नाम भी गौर करने लायक है। भारत की Agni-V मिसाइल की रेंज 5,000 से 8,000 किमी के बीच है। यह मिसाइल न केवल देश की परमाणु नीति का हिस्सा है, बल्कि यह भारत को चीन और यूरोप तक पहुंचने की क्षमता भी देती है। भारत ICBM तकनीक में लगातार प्रगति कर रहा है और आने वाले वर्षों में Agni-VI की भी उम्मीद की जा रही है, जिसकी रेंज 10,000 किमी से अधिक हो सकती है।
2025 में बैलिस्टिक मिसाइल टेक्नोलॉजी की दौड़ में रूस, चीन और अमेरिका ने स्पष्ट बढ़त बना रखी है। मुस्लिम देश अभी इस रणनीतिक रेस में पीछे हैं। इसके पीछे तकनीकी विशेषज्ञता की कमी, अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध और राजनीतिक अस्थिरता जैसे कई कारण हैं। लेकिन यदि मुस्लिम देश भविष्य में अपने रक्षा बजट और अनुसंधान को बढ़ाते हैं, तो यह संभव है कि अगले एक दशक में उनकी गिनती भी इस लिस्ट में हो।
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