Naxalite Encounter: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में गुरुवार को सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई भीषण मुठभेड़ में 10 नक्सलियों के मारे जाने की खबर है। इस ऑपरेशन में एक करोड़ रुपये का इनामी नक्सली कमांडर मनोज भी ढेर हुआ। मैनपुर थाना क्षेत्र के जंगलों में सुबह से शुरू हुई यह मुठभेड़ नक्सलियों के खिलाफ एक बड़ी सफलता मानी जा रही है। पुलिस ने मौके से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किए हैं, जबकि क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन अभी भी जारी है।
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Naxalite Encounter: मैनपुर के जंगलों में मुठभेड़
गरियाबंद जिले के मैनपुर थाना क्षेत्र के घने जंगलों में गुरुवार सुबह सुरक्षा बलों को नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी। इसके आधार पर जिला रिजर्व गार्ड (DRG), विशेष कार्य बल (STF), और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की संयुक्त टीम ने ऑपरेशन शुरू किया। सुबह करीब 6 बजे नक्सलियों के साथ मुठभेड़ शुरू हुई, जो कई घंटों तक चली। पुलिस के अनुसार, नक्सलियों ने पहले फायरिंग शुरू की, जिसका सुरक्षा बलों ने मुंहतोड़ जवाब दिया। इस मुठभेड़ में 10 नक्सलियों के शव बरामद किए गए, जिनमें एक करोड़ रुपये का इनामी कमांडर मनोज भी शामिल है।
Naxalite Encounter: हथियार और गोला-बारूद बरामद
मुठभेड़ के बाद सर्च ऑपरेशन के दौरान सुरक्षा बलों ने मौके से कई हथियार बरामद किए, जिनमें एके-47, इंसास राइफल, और सेल्फ-लोडिंग राइफल (SLR) शामिल हैं। इसके अलावा, भारी मात्रा में गोला-बारूद और नक्सली साहित्य भी जब्त किया गया। पुलिस ने बताया कि मारे गए नक्सलियों की पहचान की प्रक्रिया जारी है, और यह माना जा रहा है कि मृतकों में कई वरिष्ठ नक्सली कमांडर शामिल हो सकते हैं। ऑपरेशन की सफलता को देखते हुए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने सुरक्षा बलों को बधाई दी है।
Naxalite Encounter: नक्सलियों के खिलाफ बढ़ता अभियान
छत्तीसगढ़ में इस साल नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा बलों का अभियान तेज हुआ है। दंतेवाड़ा पुलिस के अनुसार, 2025 में अब तक विभिन्न मुठभेड़ों में 154 नक्सली मारे जा चुके हैं। हाल के महीनों में बस्तर क्षेत्र में कई बड़े ऑपरेशन हुए हैं, जिनमें अप्रैल 2024 में कांकेर में 29 नक्सलियों को मार गिराया गया था। जनवरी 2025 में बीजापुर में 12 नक्सलियों को ढेर किया गया, और नवंबर 2024 में सुकमा में 10 नक्सलियों को मारा गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अगस्त 2024 में दावा किया था कि मार्च 2026 तक भारत को नक्सलवाद से मुक्त कर दिया जाएगा।
सुरक्षा बलों की रणनीति
इस ऑपरेशन की सफलता के पीछे सटीक खुफिया जानकारी और उन्नत तकनीक का उपयोग बताया जा रहा है। सैटेलाइट तस्वीरों और ड्रोन की मदद से नक्सलियों के मूवमेंट को ट्रैक किया गया। स्थानीय ग्रामीणों का विश्वास जीतने और पुलिस के खुफिया तंत्र की मजबूती ने इस ऑपरेशन को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई। बस्तर रेंज के IG सुंदरराज पी ने बताया कि ऑपरेशन में शामिल सभी जवान सुरक्षित हैं, और क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन जारी है।
नक्सलियों में भय का माहौल
इस मुठभेड़ ने नक्सलियों के बीच भय का माहौल पैदा कर दिया है। एक करोड़ रुपये का इनामी कमांडर मनोज का मारा जाना नक्सली संगठनों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। मनोज पर कई बड़े हमलों और आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने का आरोप था। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की कार्रवाइयां नक्सलियों के मनोबल को तोड़ने में महत्वपूर्ण हैं और बस्तर क्षेत्र में शांति स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं।
स्थानीय लोगों में उम्मीद
गरियाबंद और बस्तर जैसे क्षेत्रों में नक्सलवाद के कारण लंबे समय से विकास कार्य प्रभावित हुए हैं। इस ऑपरेशन की सफलता से स्थानीय लोगों में उम्मीद जगी है कि क्षेत्र में शांति और विकास की प्रक्रिया तेज होगी। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने हाल ही में बस्तर में 200 करोड़ रुपये के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के लिए MoU साइन किया है, जो क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करेगा।
मुठभेड़ सुरक्षा बलों के लिए बड़ी सफलता
हालांकि यह मुठभेड़ सुरक्षा बलों के लिए बड़ी सफलता है, लेकिन नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करने की चुनौती अभी बाकी है। बस्तर और गरियाबंद जैसे क्षेत्रों में नक्सलियों की मौजूदगी अब भी एक खतरा बनी हुई है। पुलिस और प्रशासन को स्थानीय लोगों का विश्वास जीतने के साथ-साथ विकास कार्यों को बढ़ावा देना होगा ताकि नक्सलवाद की जड़ें कमजोर हो सकें।
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