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Friday, April 18, 2025
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अमेरिका की नई टैरिफ पॉलिसी से क्यों कांपे दुनिया के बाजार! क्या भारत भी संकट में है? क्या दुनिया फिर देखेगी 1987 जैसा ‘ब्लैक मंडे’?

Trump Tariffs: अमेरिका की 'रेसिप्रोकल टैरिफ पॉलिसी' से वैश्विक शेयर बाजारों में भारी गिरावट, भारत में ₹19 लाख करोड़ का नुकसान। जानें पूरी कहानी।

Trump Tariffs: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 5 अप्रैल से ‘बेसलाइन टैरिफ’ और 9 अप्रैल से ‘रेसिप्रोकल टैरिफ पॉलिसी’ लागू करने की घोषणा की। इसका सीधा असर दुनियाभर के शेयर बाजारों पर पड़ा। निवेशकों की चिंताएं इतनी गहरी थीं कि भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे देशों के बाजार एक ही दिन में बुरी तरह लड़खड़ा गए।

ट्रंप की यह नई नीति ‘Reciprocal Tariff’ उन देशों के लिए है जो अमेरिका से आयातित वस्तुओं पर भारी टैक्स लगाते हैं। अब अमेरिका भी उन्हें उतना ही टैक्स देगा।

भारतीय बाजार में क्या हुआ?

भारत में निवेशकों को एक ही दिन में ₹19 लाख करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा। यह गिरावट 10 महीनों में सबसे बड़ी मानी जा रही है:

  • सेंसेक्स: 3000 अंक गिरकर 72,300 पर आ गया
  • निफ्टी: 900 अंकों की गिरावट के साथ 22,000 से नीचे
  • लगभग सभी ब्लूचिप कंपनियों के स्टॉक्स लाल निशान में गए — जैसे रिलायंस, TCS, HDFC, आदि

एशिया और अमेरिका में कैसा रहा असर?

एशियाई बाजार:

  • जापान (Nikkei) – 6% की गिरावट
  • दक्षिण कोरिया (KOSPI) – 4.5%
  • चीन (Shanghai) – 6.5%
  • हांगकांग (Hang Seng) – 10% (सबसे अधिक प्रभावित)

अमेरिकी बाजार:

  • Dow Jones – 2 दिनों में 9% गिरा
  • NASDAQ – 5.97%
  • S&P 500 – 6%
  • Market Cap – $5 ट्रिलियन का नुकसान

किन देशों पर कितना टैरिफ लगाया अमेरिका ने?

देशअमेरिका पर टैक्स (%)अमेरिका का जवाबी टैक्स (%)
कंबोडिया97%49%
वियतनाम90%46%
श्रीलंका88%44%
बांग्लादेश74%37%
थाईलैंड72%36%
चीन67%34%
ताइवान64%32%
इंडोनेशिया64%32%
दक्षिण अफ्रीका60%30%
पाकिस्तान58%29%
दक्षिण कोरिया50%25%
मलेशिया47%24%
जापान46%24%
यूरोपीय यूनियन39%20%

बाजार में गिरावट के 4 सबसे बड़े कारण

1. वैश्विक मंदी की आहट

रेसिप्रोकल टैरिफ के कारण सामान महंगा होगा, जिससे ग्राहक कम खरीदेंगे, कंपनियों का मुनाफा घटेगा और नौकरियों पर असर पड़ेगा। इससे वैश्विक मंदी (Global Recession) की स्थिति बन सकती है।

2. ट्रेड वॉर की शुरुआत

चीन ने भी अमेरिका पर 34% टैरिफ लगाने का जवाब दिया है। अगर अन्य देश भी ऐसा करते हैं तो ग्लोबल सप्लाई चेन बाधित होगी और ट्रेड वॉर और भी गंभीर हो जाएगा।

3. निवेशकों की घबराहट

ट्रंप का बयान – “कभी-कभी कड़वी दवा ज़रूरी होती है” – ने निवेशकों को और डरा दिया। इससे मार्केट में पैनिक सेलिंग शुरू हो गई।

4. RBI की बैठक

7-9 अप्रैल के बीच RBI की MPC बैठक हो रही है। इसमें 25 बेसिस पॉइंट की रेट कट संभव है। यदि ऐसा हुआ तो बाजार को थोड़ी राहत मिल सकती है।

क्या आरबीआई बचाव के लिए आएगा? भारत की मौद्रिक नीति का दांव

आरबीआई की एमपीसी बैठक (7-9 अप्रैल) अब पूरी तरह से चर्चा में है। निवेशकों की चिंता कम करने के लिए 25 आधार अंकों की दर कटौती की उम्मीद है। 11 अप्रैल को खुदरा मुद्रास्फीति और आईआईपी डेटा जारी होने पर और स्पष्टता आएगी। यदि संख्याएँ अनुकूल हैं, तो इससे बाजार में कुछ विश्वास बहाल हो सकता है।

भारत के लिए खतरा या अवसर?

नुकसान:

  • टेक्सटाइल, फूड प्रोसेसिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों को नुकसान
  • निर्यात घटने से नौकरियों पर असर
  • FPI और FDI घट सकते हैं

अवसर:

  • अमेरिका चीन से दूरी बनाए तो भारत को आपूर्ति का विकल्प बनने का मौका
  • बायलेट्रल ट्रेड डील के ज़रिए भारत अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है

क्या 1987 जैसा ‘ब्लैक मंडे’ दोहराएगा इतिहास?

CNBC के लोकप्रिय शो ‘Mad Money’ के होस्ट जिम क्रैमर ने चेताया है: “अगर ट्रंप ने नियमों का पालन करने वाले देशों को रियायत नहीं दी, तो 1987 जैसा ब्लैक मंडे दोहराया जा सकता है।”

1987 के ब्लैक मंडे में क्या हुआ था?

  • अमेरिकी बाजार 22% तक गिरा
  • निवेशकों को अरबों डॉलर का नुकसान
  • वैश्विक अर्थव्यवस्था हिल गई थी

जिम क्रैमर की भविष्यवाणियाँ – सटीक या असफल?

मैड मनी के होस्ट सीएनबीसी के जिम क्रेमर ने दो दिन पहले ही 1987 जैसी दुर्घटना की चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा:

“अगर ट्रम्प कानून का पालन करने वाले देशों को राहत नहीं देते हैं, तो हम ब्लैक मंडे की पुनरावृत्ति देख सकते हैं। हमें यह जानने के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।”

क्रैमर का ट्रैक रिकॉर्ड मिला-जुला है, लेकिन उनकी 47% की भविष्यवाणी सटीकता दर ने निवेशकों को चौंका दिया है और ध्यान आकर्षित किया है। उनकी पिछली भविष्यवाणियाँ भविष्यसूचक और विनाशकारी दोनों रही हैं।

सटीक भविष्यवाणियाँ:

  • Nvidia (2023) – $15 से $150 तक
  • S&P 500 (2009) – 23.5% उछाल
  • मार्केट क्रैश (2022) – सही अनुमान

गलत भविष्यवाणियाँ:

  • Bear Stearns (2008) – कहा ‘सब ठीक है’, 5 दिन में कंपनी डूबी
  • HP और Best Buy (2012) – बेचने की सलाह, 100% से अधिक रिटर्न मिला

उनकी कुल सटीकता रेटिंग: 47%

अब आगे क्या होगा?

  • 5 अप्रैल से 10% बेसलाइन टैरिफ लागू
  • 9 अप्रैल से Reciprocal Tariff लागू
  • 11 अप्रैल को भारत की रिटेल महंगाई और IIP आंकड़े आएंगे

दुनिया भर के वित्तीय विश्लेषक सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं। 9 अप्रैल से पारस्परिक टैरिफ लागू होने के साथ, इस सप्ताह और अधिक अस्थिरता की उम्मीद है। जबकि ब्याज दरों में कटौती और केंद्रीय बैंक के हस्तक्षेप से अल्पकालिक राहत मिल सकती है, वैश्विक व्यापार युद्ध का दीर्घकालिक खतरा मंडरा रहा है।

निवेशकों को सलाह दी जाती है कि:

  • पोर्टफोलियो में विविधता लाएं
  • घबराहट में बेचने से बचें
  • नीति संकेतों पर बारीकी से नज़र रखें

ByNews-Views

रेसिप्रोकल टैरिफ केवल एक व्यापार नीति नहीं, बल्कि वैश्विक आर्थिक अस्थिरता का ट्रिगर है। अमेरिका के इस फैसले का असर पूरी दुनिया पर पड़ा है। भारत को इस समय सतर्क रहकर रणनीतिक निर्णय लेने की आवश्यकता है – यह समय सावधानी, अवसर की पहचान और नीतिगत चतुराई का है।

ट्रम्प के आक्रामक टैरिफ कदम के पीछे घरेलू राजनीतिक उद्देश्य हो सकते हैं, लेकिन इसके वैश्विक आर्थिक परिणाम वास्तविक हैं। पिछले दो दिनों में बाजार में जो उथल-पुथल मची है, वह इस बात की याद दिलाती है कि आज की अर्थव्यवस्थाएं कितनी गहराई से जुड़ी हुई हैं। अगर अमेरिका अपने रुख को नरम नहीं करता या बेहतर व्यापार शर्तों पर बातचीत नहीं करता, तो दुनिया 1987 की वित्तीय स्थिति को फिर से देख सकती है।

भारत के लिए, मुख्य बात आरबीआई की कार्रवाई, घरेलू आर्थिक संकेतक और वैश्विक व्यापार गतिशीलता में निहित है। एक बात तो तय है- निवेशकों को अपनी सीटबेल्ट बांध लेनी चाहिए।


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