Wholesale Inflation Rate: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने 15 दिसंबर 2025 को नवंबर महीने की थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित महंगाई दर के आंकड़े जारी किए। नवंबर में थोक महंगाई दर सालाना आधार पर -0.32 प्रतिशत रही। यह लगातार नकारात्मक दायरे में बनी हुई है, हालांकि अक्टूबर के -1.21 प्रतिशत से इसमें सुधार दिखा। नकारात्मक रहने का मुख्य कारण खाद्य उत्पादों, मिनरल ऑयल, क्रूड पेट्रोलियम एवं नेचुरल गैस, बेसिक मेटल्स के निर्माण और बिजली की कीमतों में कमी है।
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Wholesale Inflation Rate: मंत्रालय ने जारी किए आंकड़े
मंत्रालय के अनुसार, प्राथमिक वस्तुओं (Primary Articles) की महंगाई दर सालाना -2.93 प्रतिशत रही। ईंधन एवं ऊर्जा समूह (Fuel & Power) में यह -2.27 प्रतिशत दर्ज की गई। फूड इंडेक्स की महंगाई दर अक्टूबर के -5.04 प्रतिशत से सुधरकर -2.60 प्रतिशत पर पहुंच गई। मासिक आधार पर हालांकि कुछ वस्तुओं में बढ़ोतरी हुई—मिनरल्स में 4.50 प्रतिशत, खाद्य उत्पादों में 2.5 प्रतिशत और गैर-खाद्य पदार्थों में 1.28 प्रतिशत। कच्चे तेल एवं नेचुरल गैस की थोक महंगाई दर अक्टूबर के -1.62 प्रतिशत से और कम हुई।
Wholesale Inflation Rate: खुदरा महंगाई में बढ़ोतरी
इससे पहले 12 दिसंबर को सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने नवंबर के खुदरा महंगाई (CPI) आंकड़े जारी किए। खुदरा महंगाई दर अक्टूबर के 0.25 प्रतिशत से बढ़कर 0.71 प्रतिशत हो गई, जो 46 आधार अंकों की वृद्धि है। यह आरबीआई के 4 प्रतिशत लक्ष्य से काफी नीचे है और लगातार कई महीनों से कम बनी हुई है।
Wholesale Inflation Rate: सब्जियों की कीमतों में भारी गिरावट
नवंबर में शहरी क्षेत्रों में महंगाई दर 1.40 प्रतिशत रही, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 0.10 प्रतिशत। खाद्य महंगाई दर नकारात्मक दायरे में बनी रही और -3.91 प्रतिशत दर्ज की गई। ग्रामीण क्षेत्रों में यह -4.05 प्रतिशत, जबकि शहरी क्षेत्रों में -3.60 प्रतिशत रही। खाद्य वस्तुओं में सब्जियों की कीमतों में भारी गिरावट के कारण समग्र खाद्य महंगाई नकारात्मक बनी हुई है।
हालांकि, सालाना आधार पर कुछ खाद्य वस्तुओं में बढ़ोतरी दर्ज की गई। अनाज की कीमतों में 0.10 प्रतिशत, मांस एवं मछली में 2.50 प्रतिशत, अंडों में 3.77 प्रतिशत, दूध एवं उत्पादों में 2.45 प्रतिशत, तेल एवं वसा में 7.87 प्रतिशत, फलों में 6.87 प्रतिशत, चीनी एवं कन्फेक्शनरी में 4.02 प्रतिशत और गैर-अल्कोहल पेय पदार्थों में 2.92 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
Wholesale Inflation Rate: आर्थिक विश्लेषण और प्रभाव
कम थोक एवं खुदरा महंगाई अर्थव्यवस्था के लिए राहत भरी खबर है। थोक महंगाई का नकारात्मक रहना उत्पादकों के मार्जिन पर दबाव डाल सकता है, लेकिन उपभोक्ताओं के लिए कीमतें स्थिर रखता है। वैश्विक स्तर पर क्रूड ऑयल की कीमतों में नरमी और भारत में रबी फसल की अच्छी बुआई के कारण खाद्य कीमतें नियंत्रण में हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति आरबीआई को नीतिगत ब्याज दरों में कटौती का मौका देती है, जिससे आर्थिक विकास को बल मिल सकता है।
Wholesale Inflation Rate: जीडीपी ग्रोथ के लिए सकारात्मक
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई अनुमान को घटाकर औसतन 2-3 प्रतिशत के दायरे में रखा है। कम महंगाई से उपभोक्ता खर्च बढ़ सकता है, जो जीडीपी ग्रोथ के लिए सकारात्मक है। हालांकि, रुपये की कमजोरी और मौसमी कारकों से दिसंबर-जनवरी में मामूली बढ़ोतरी की आशंका है।
सरकार का दावा है कि खाद्य प्रबंधन और सप्लाई चेन सुधार से महंगाई पर काबू पाया गया है। अगले महीने के आंकड़े 14 जनवरी 2026 को जारी होंगे। अर्थशास्त्री इसे ‘आदर्श आर्थिक स्थिति’ करार दे रहे हैं, जहां विकास दर ऊंची और महंगाई नीची बनी हुई है।
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