Emergency Fund: जीवन में कभी-कभी ऐसी इमरजेंसी आ जाती है जब तुरंत पैसों की व्यवस्था करनी पड़ती है—चाहे वह मेडिकल खर्च हो, अचानक यात्रा हो या घरेलू संकट। ऐसे में पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड और बैंक ओवरड्राफ्ट जैसे विकल्प सामने आते हैं। लेकिन कौन सा सबसे सुरक्षित और किफायती है? वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार, हर विकल्प की अपनी खासियतें हैं। पर्सनल लोन बड़ी राशि के लिए उपयुक्त है, क्रेडिट कार्ड तत्काल खरीदारी के लिए और ओवरड्राफ्ट विश्वसनीय ग्राहकों के लिए। एक रिपोर्ट में इनकी विस्तृत तुलना की गई है, जो बताती है कि ब्याज दरों, पात्रता और चुकौती शर्तों को ध्यान में रखकर ही फैसला लें। गलत चुनाव से कर्ज का बोझ बढ़ सकता है।
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Emergency Fund: पर्सनल लोन: बड़ी राशि के लिए सुरक्षित लेकिन प्रक्रिया लंबी
पर्सनल लोन इमरजेंसी के लिए एक लोकप्रिय विकल्प है, खासकर जब एकमुश्त बड़ी राशि की जरूरत हो। जैसे, शादी-ब्याह, उच्च शिक्षा या मेडिकल इमरजेंसी में 5 लाख से 50 लाख तक का लोन आसानी से मिल सकता है। बैंक या एनबीएफसी (नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी) आवेदक की सिबिल स्कोर (क्रेडिट हिस्ट्री), मासिक आय और नौकरी की स्थिरता पर मंजूरी देते हैं। नौकरीपेशा लोगों के लिए यह आदर्श है, क्योंकि ईएमआई (इक्वेटेड मंथली इंस्टॉलमेंट) सैलरी के अनुरूप तय होती है। ब्याज दरें 10.5% से 24% सालाना तक होती हैं, जो राशि और अवधि पर निर्भर करती हैं। चुकौती अवधि 1 से 5 साल तक हो सकती है।
फायदे: कोई सिक्योरिटी (गारंटी) नहीं चाहिए
नुकसान: मंजूरी में 2-7 दिन लग सकते हैं, और ऊंची दरों पर कुल ब्याज बोझिल हो जाता है। उदाहरण के तौर पर, अगर 2 लाख का लोन 12% ब्याज पर 3 साल के लिए लें, तो मासिक ईएमआई करीब 6,600 रुपये होगी, कुल चुकौती 2.37 लाख होगी। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि सिबिल स्कोर 700 से ऊपर हो तो ही आवेदन करें।
Emergency Fund: क्रेडिट कार्ड: तुरंत राहत लेकिन देरी पर महंगा कर्ज
क्रेडिट कार्ड इमरजेंसी में सबसे तेज विकल्प है। इससे तुरंत सामान खरीद सकते हैं या बिल चुकता कर सकते हैं, बिना नकद के। हर कार्ड की क्रेडिट लिमिट (उपयोग सीमा) होती है, जो 20,000 से 10 लाख तक हो सकती है। पात्रता आय प्रमाण, क्रेडिट स्कोर और बैंक रिलेशनशिप पर आधारित है। फिक्स्ड सैलरी वालों के लिए उपयुक्त, अगर अगले महीने भुगतान का प्लान हो।
ग्रेस पीरियड (ब्याज मुक्त अवधि) 20-50 दिन का होता है, उसके बाद ब्याज 2.5-3.5% मासिक (36-42% सालाना) लगता है—सबसे ऊंची दर। चुकौती मासिक न्यूनतम राशि (5-10%) हो सकती है, लेकिन पूरा भुगतान न करने पर ब्याज बढ़ जाता है।
फायदे: तत्काल उपलब्धता, रिवॉर्ड पॉइंट्स और कैशबैक।
नुकसान: देरी पर कर्ज का जाल बुन जाता है, और क्रेडिट स्कोर खराब होता है। उदाहरण: 50,000 का खर्च अगर 30 दिन में चुकाएं तो ब्याज शून्य, लेकिन 60 दिन में 3% मासिक ब्याज से 1,500 रुपये अतिरिक्त। वित्तीय सलाहकार चेताते हैं कि अगर आय अस्थिर है, तो क्रेडिट कार्ड से दूर रहें।
Emergency Fund: ओवरड्राफ्ट: लचीला लेकिन सीमित पहुंच वाला
बैंक ओवरड्राफ्ट (OD) सबसे विश्वसनीय ग्राहकों के लिए है। सेविंग्स या करेंट अकाउंट में बैलेंस से ज्यादा निकासी की अनुमति मिलती है। जैसे, खाते में 50,000 हैं और OD लिमिट 1 लाख है, तो कुल 1.5 लाख निकाल सकते हैं। ब्याज केवल उपयोग की गई अतिरिक्त राशि पर लगता है, जो 7-15% सालाना होता है। पात्रता बैंक के साथ लंबे रिलेशन, अच्छे ट्रांसजेक्शन रिकॉर्ड और सिबिल स्कोर पर निर्भर है। चुकौती लचीली है—जब भी पैसा जमा करें, ब्याज कम हो जाता है। कोई फिक्स्ड टेन्योर नहीं।
फायदे: तुरंत उपलब्ध, कोई अतिरिक्त दस्तावेज नहीं।
नुकसान: लिमिट कम (आमतौर पर 2-5 लाख), और सभी ग्राहकों को नहीं मिलती। देरी पर पेनल्टी लगती है। उदाहरण: 20,000 का OD उपयोग 10% ब्याज पर एक महीने के लिए सिर्फ 167 रुपये ब्याज। यह अल्पकालिक इमरजेंसी (जैसे अचानक खर्च) के लिए बेस्ट है।
Emergency Fund: कौन सा विकल्प सबसे बेहतर?
तीनों विकल्पों की तुलना करें तो पर्सनल लोन (ब्याज 10-24%, अवधि लंबी) बड़ी जरूरत के लिए, क्रेडिट कार्ड (ब्याज 36-42%, तुरंत) छोटी खरीदारी के लिए, और OD (ब्याज 7-15%, लचीला) कम समय के लिए उपयुक्त हैं। कुल मिलाकर, OD सबसे सस्ता है अगर आप विश्वसनीय ग्राहक हैं। क्रेडिट कार्ड जोखिम भरा है, जबकि पर्सनल लोन सुरक्षित लेकिन धीमा है। वित्तीय प्लानर राजेश कुमार कहते हैं, ‘इमरजेंसी फंड पहले से बनाएं—6 महीने की सैलरी बचत करें। विकल्प चुनते समय सिबिल चेक करें और वित्तीय सलाह लें।’ रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में डिजिटल लोन ऐप्स से प्रक्रिया तेज हुई है, लेकिन सावधानी बरतें। याद रखें, कोई भी कर्ज चुकाने की क्षमता से ऊपर न लें।
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