Karwa Chauth: उत्तराखंड की महिलाओं के लिए करवा चौथ का त्योहार इस बार और भी खास होने वाला है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने महिलाओं को ‘विशेष तोहफा’ देते हुए घोषणा की है कि राज्य की सभी महिला कर्मचारियों को करवा चौथ पर सार्वजनिक अवकाश रहेगा। यह छुट्टी सरकारी कार्यालयों, गैर-सरकारी संस्थानों और शैक्षणिक संस्थानों में कार्यरत सभी महिलाओं के लिए लागू होगी। यह कदम उत्तराखंड सरकार की महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है, जो सांस्कृतिक महत्व को आधुनिक कार्य जीवन के साथ जोड़ने का प्रयास है।
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Karwa Chauth: महिलाएं रखेंगी अपने पतियों के लिए निर्जला व्रत
आज (10 अक्टूबर) को मनाया जा रहा करवा चौथ पर महिलाएं अपने पतियों के लंबे जीवन के लिए निर्जला व्रत रखेंगी, और अब वे पूरे दिन रस्में निभाने और परिवार के साथ समय बिताने पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगी। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के अनुसार, यह निर्णय महिलाओं को त्योहार की परंपराओं को पूर्ण रूप से निभाने का अवसर प्रदान करेगा। घोषणा के साथ ही देहरादून सहित राज्य भर में बाजारों में उत्साह का दौर चल पड़ा है, जहां महिलाएं मेहंदी, साड़ियां, आभूषण और सौंदर्य प्रसाधनों की खरीदारी में जुटी हैं।
Karwa Chauth: सभी महिला कर्मचारियों को पूर्ण अवकाश
मुख्यमंत्री धामी की इस पहल से राज्य की लाखों महिलाएं लाभान्वित होंगी। छुट्टी सरकारी विभागों से लेकर निजी क्षेत्रों तक सभी में लागू होगी, जिसमें स्कूल-कॉलेजों की महिला शिक्षिकाएं और कर्मचारी भी शामिल हैं। सीएमओ ने स्पष्ट किया कि यह अवकाश विशेष रूप से करवा चौथ के व्रत और रस्मों को ध्यान में रखकर लिया गया है। महिलाएं सुबह से चंद्रमा दर्शन तक की सभी परंपराओं—जैसे Sargi ग्रहण, मेहंदी लगाना, सोलह श्रृंगार और कथा सुनना—को बिना किसी बाधा के निभा सकेंगी। यह छुट्टी 10 अक्टूबर को ही प्रभावी होगी, जो हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को पड़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह निर्णय न केवल सांस्कृतिक संरक्षण को बढ़ावा देगा, बल्कि कार्यस्थलों पर लिंग समानता को भी मजबूत करेगा।
Karwa Chauth: पतियों के लिए व्रत की परंपरा को सम्मान
करवा चौथ हिंदू समाज का एक प्रमुख वैवाहिक त्योहार है, जहां सुहागिनें अपने पतियों के लिए सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत की कथा गौरी-शंकर से जुड़ी है, जहां पार्वती ने शिवजी के लिए व्रत रखा था। उत्तराखंड में यह त्योहार विशेष उत्साह से मनाया जाता है, खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में जहां महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सजती-संवरती हैं। सीएमओ ने कहा, महिलाओं को व्रत की रस्में निभाने और परिवार के साथ समय बिताने का पूर्ण अवसर मिलेगा। यह घोषणा पिछले वर्षों की परंपरा को आगे बढ़ाती है, जब सरकार ने अन्य त्योहारों पर भी छुट्टियां घोषित की थीं। मुख्यमंत्री धामी ने इसे महिलाओं के सशक्तिकरण का हिस्सा बताते हुए कहा कि राज्य सरकार सांस्कृतिक मूल्यों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
Karwa Chauth: बाजारों में हलचल: मेहंदी, आभूषण और साड़ियों की भारी खरीदारी
करवा चौथ की पूर्व संध्या पर देहरादून के बाजारों में रौनक छाई हुई है। पलटन बाजार, राजपुर रोड और मॉल्स में महिलाओं की भीड़ उमड़ी हुई है। सुबह से रात तक मेहंदी लगवाने के केंद्रों पर लंबी कतारें लगी रहीं। मेहंदी व्यवसायी सुरेश ने बताया, इस वर्ष व्यवसाय में 200 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। डिजाइन के आधार पर मेहंदी की कीमत 500 से 2000 रुपये तक है। ब्यूटी पार्लर और सैलून पूरी तरह बुक हो चुके हैं, कई जगह होम सर्विस भी उपलब्ध कराई जा रही है। आभूषण बाजार में भी तेजी आई है—पति अपनी पत्नियों के लिए हीरे के गहने खरीद रहे हैं। ज्वेलर सुनिल मेसन ने कहा, पिछले तीन दिनों में डायमंड ज्वेलरी की मांग में 20-30 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है, भले ही सोने के दाम आसमान छू रहे हों। बंगले, झुमके और नेकलेस सबसे लोकप्रिय हैं। महिलाएं साड़ियां, लहंगे, बिंदी, चूड़ियां और श्रृंगार सामग्री खरीद रही हैं, जिससे बाजारों में खुशी का माहौल है।
अधिकारियों के बयान: सांस्कृतिक महत्व पर जोर
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा, करवा चौथ के पावन अवसर पर उत्तराखंड की सभी महिला कर्मचारियों को छुट्टी का तोहफा। यह निर्णय हमारी सांस्कृतिक धरोहर को मजबूत करने का प्रयास है।” सीएमओ के एक अधिकारी ने बताया, यह छुट्टी महिलाओं को व्रत की पूरी विधि-विधान निभाने में मदद करेगी। सरकार परिवारिक मूल्यों को प्राथमिकता देती है। पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भी सराहना की, यह महिलाओं के प्रति संवेदनशील कदम है। विपक्षी दलों ने भी इसे सकारात्मक बताया, हालांकि कुछ ने इसे ‘चुनावी तोहफा’ करार दिया।
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