Diwali 2024: दिल्ली-एनसीआर में दिवाली से पहले ही वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंचने लगा है, जो लोगों की सेहत के लिए गंभीर चिंता का कारण बन गया है। खासकर सर्दियों की शुरुआत के साथ ही हवा में धूल, धुआं, और वाहनों का धुआं मिलकर प्रदूषण को और बढ़ा देते हैं। हर साल इस समय पर पराली जलाने, निर्माण कार्यों, और पटाखों के कारण हालात और गंभीर हो जाते हैं। लोग वायु प्रदूषण से बहुत परेशान है। लोगों को फिक्र है कि दिवाली के बाद इसमें और बढ़ोतरी होगी। ज्यादातर लोगों की अपील है कि पर्यावरण का ख्याल रख ग्रीन पटाखे जलाए जाएं।
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लोगों की सेहत पर गंभीर प्रभाव
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर आम लोगों का मानना है कि इसके मुख्य कारणों में अवैध फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं भी शामिल है। ये फैक्ट्रियां बिना पर्यावरणीय मानकों का पालन किए काम कर रही हैं, जिससे वायु की गुणवत्ता में तेज़ी से गिरावट आ रही है। फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं और रासायनिक पदार्थ न केवल वायु को दूषित करते हैं बल्कि आसपास के लोगों की सेहत पर भी गंभीर प्रभाव डालते हैं।
प्रदूषण मुक्त दिवाली मनाने की सलाह
प्रदूषण को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच, कई लोगों ने सुझाव दिया है कि इस साल दिवाली को प्रदूषण मुक्त मनाया जाए। ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल, घर पर दीप जलाना, और सजावट में प्राकृतिक तरीकों का उपयोग ऐसे कदम हो सकते हैं जो पर्यावरण को सुरक्षित रखते हुए त्योहार की खुशियों को बनाए रख सकते हैं।
अवैध फैक्ट्रियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग
साथ ही, लोगों ने अधिकारियों से अवैध फैक्ट्रियों पर कड़ी कार्रवाई करने और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी कदम उठाने की मांग की है ताकि दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता में सुधार हो और नागरिकों को बेहतर वातावरण मिल सके।
बढ़ते प्रदूषण को लेकर चिंता
यूपी के कानपुर निवासी आशीष वाजपेई ने बढ़ते प्रदूषण को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है, विशेष रूप से बच्चों, वयस्कों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर इसके नकारात्मक प्रभावों को लेकर। उन्होंने कहा कि हालांकि सरकार प्रदूषण कम करने के लिए कुछ कदम उठाती है और कई चीजों पर प्रतिबंध लगाती है, फिर भी बड़ी संख्या में अवैध फैक्ट्रियां बिना किसी सख्त नियंत्रण के काम कर रही हैं, और डीजल गाड़ियों से निकलने वाले धुएं पर भी ध्यान नहीं दिया जाता है।
दीपावली पर ग्रीन पटाखे जलाने की अपील
वाजपेई का मानना है कि इस समय विशेषकर दीपावली पर पटाखों के विरोध में दिशानिर्देश जारी कर दिए जाते हैं, लेकिन सालभर के अन्य प्रदूषणकारी तत्वों पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता। फैक्ट्रियों और वाहनों से निकलने वाला धुआं वायु गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित करता है और इससे सालभर स्वास्थ्य पर असर पड़ता है, फिर भी इस पर सख्त दिशानिर्देश या कार्यवाही नहीं देखने को मिलती है। उन्होंने लोगों से अपील की कि दीपावली पर ग्रीन पटाखे जलाएं, वो इतने हानिकारक नहीं होते हैं।
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ग्रीन पटाखे से कम होता हैं प्रदूषण
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण और खराब हो रहे वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) को देखते हुए पटाखे जलाने पर बैन लगाया गया है। इस पर एक राहगीर, रवि अग्निहोत्री, ने नागरिकों से अपील की है कि वे प्रदूषण को नियंत्रित करने में सहयोग करें और इस दिवाली ग्रीन पटाखों का ही उपयोग करें। उन्होंने सुझाव दिया कि लोग अपने घर में बच्चों के लिए ग्रीन पटाखे लाएं, जो कम प्रदूषण पैदा करते हैं, और पारंपरिक पटाखों का इस्तेमाल यथासंभव कम करें।
पर्यावरण का ख्याल रखते हुए मनाएं त्योहार
अग्निहोत्री का मानना है कि यदि लोग जिम्मेदारी से ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल करें और पटाखों से दूरी बनाए रखें, तो दिल्ली के प्रदूषण में कुछ हद तक कमी आ सकती है। उनके अनुसार, यह हर नागरिक का कर्तव्य है कि पर्यावरण का ख्याल रखते हुए इस त्योहार को मनाएं, ताकि आने वाली पीढ़ियों को भी स्वच्छ वातावरण मिल सके।