Maharashtra: महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए गाय को ‘राजमाता’ का दर्जा प्रदान किया है। सोमवार को राज्य सरकार ने इस फैसले को लेकर एक आधिकारिक आदेश जारी किया। गाय को ‘राजमाता’ का दर्जा दिए जाने का उद्देश्य भारतीय संस्कृति और परंपराओं में गाय की महत्ता को बढ़ावा देना और उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है। यह निर्णय धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, और चुनाव से पहले इसे एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम के रूप में भी देखा जा रहा है।
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चुनाव से पहले महाराष्ट्र सरकार का बड़ा फैसला
सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में एकनाथ शिंदे सरकार ने गाय को ‘राजमाता’ का दर्जा देने का निर्णय लिया। इस फैसले को लेकर सरकार द्वारा जारी आदेश में बताया गया है कि प्राचीन काल से ही गाय का मानव जीवन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आदेश के अनुसार, वैदिक काल से गायों को धार्मिक, वैज्ञानिक, और आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना गया है, और उन्हें “कामधेनु” के रूप में सम्मानित किया जाता था। गाय को इस दर्जा दिए जाने का उद्देश्य इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को और अधिक मान्यता देना है, जिससे गायों की सुरक्षा और संवर्धन को बढ़ावा मिल सके।
देशी गायों की पाई जाती हैं विभिन्न नस्लें
राज्य के कुछ हिस्सों में देशी गायों की विभिन्न नस्लें पाई जाती हैं, जिनमें लाल कंधारी, देवनी, खिल्लार, डांगी, और गवलाऊ शामिल हैं। हालांकि, इन देशी गायों की संख्या दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है, जो कि कृषि और पारंपरिक जीवन के लिए एक चिंता का विषय बन गई है। देशी गायों का गोबर और मूत्र कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि ये जैविक खाद और कीटनाशक के रूप में उपयोग किए जाते हैं। इस गिरावट को देखते हुए सरकार और संबंधित संस्थाएं इन गायों के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रयास कर रही हैं। गायों की इन नस्लों के संरक्षण से न केवल कृषि के लिए लाभ होगा, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं को भी संरक्षित करने में मदद करेगा।
स्वदेशी गाय को अब राजमाता-गौमाता का दर्जा
सरकार ने निर्णय लिया है कि देशी गायों को पालने के लिए किसानों को प्रेरित करने के उद्देश्य से इन्हें ‘राजमाता’ का दर्जा दिया जाएगा। इस फैसले में कहा गया है कि वैदिक काल से भारतीय संस्कृति में देशी गायों का एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। गायों के विभिन्न लाभों को ध्यान में रखते हुए, जैसे: आयुर्वेद चिकित्सा में इनकी उपयोगिता। गाय के दूध और घी का मानव आहार में महत्व। पंचगव्य उपचार प्रणाली। गाय के गोबर और गोमूत्र का जैविक खेती में उपयोग। इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, देशी गायों को ‘राजमाता’ के रूप में मान्यता देने का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय न केवल गायों के संरक्षण के लिए बल्कि किसानों के लिए भी लाभदायक साबित होगा।
साल के अंत में होने वाला हैं विधानसभा चुनाव
महाराष्ट्र में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसमें 288 सीटें हैं। पिछला विधानसभा चुनाव अक्टूबर 2019 में आयोजित किया गया था, जब भाजपा और शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा और उन्हें पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ था। हालांकि, सरकार बनाने को लेकर दोनों दलों के बीच मतभेद बढ़ गए, जिससे वे अलग हो गए। इस बार के चुनाव में विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच गठबंधन और रणनीतियों में बदलाव देखने को मिल सकता है। राजनीतिक परिस्थितियों के बदलते माहौल को देखते हुए, यह चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण है और विभिन्न पार्टियों के लिए एक बड़ा मौका हो सकता है।