Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध को तीन साल पूरे हो गए हैं, जिसमें विनाश का सिलसिला, वैश्विक शक्ति में बदलाव और तीव्र राजनीतिक हलचलें सामने आई हैं। तीन लाख से ज्यादा जानें चली गईं, और अब सवाल यह उठता है—सच में क्या हासिल हुआ? और सबसे बड़ा सवाल—क्या पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने यूक्रेन के साथ धोखा किया? और इस सारे संघर्ष के बीच, युद्ध ने वैश्विक राजनीति को कैसे बदल दिया? भारत की कूटनीतिक जीत को क्यों नजरअंदाज किया जा रहा है?
आइए, हम युद्ध के अहम घटनाक्रम और भविष्य के प्रभावों को समझते हैं–
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Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत कैसे हुई
24 फरवरी 2022 को, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन में ‘विशेष सैन्य अभियान’ शुरू किया, जो एक तीव्र संघर्ष की शुरुआत थी। दुनिया ने इसका विरोध किया, और पश्चिमी देशों ने, जो उस समय अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के नेतृत्व में थे, रूस पर कड़ी आर्थिक पाबंदियाँ लगाईं। सैन्य और वित्तीय सहायता यूक्रेन को भेजी गई, जो रूस के आक्रमण का विरोध करने के लिए मददगार साबित हुई।
ट्रम्प की वापसी और विवादास्पद रुख
2024 में, डोनाल्ड ट्रम्प ने राजनीतिक वापसी की और अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद यूक्रेन पर अपना रुख बदल लिया। ट्रम्प ने खुले तौर पर बाइडन प्रशासन की आलोचना की और संकेत दिए कि वे यूक्रेन को दी जाने वाली अमेरिकी सहायता को कम कर सकते हैं, साथ ही रूस से सीधी बातचीत शुरू की, जिसमें यूक्रेन को शामिल नहीं किया गया।
इस कदम ने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी—क्या यूक्रेन को अकेला छोड़ दिया जाएगा? ट्रम्प ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेनस्की को “तानाशाह” कहकर, अमेरिकी-यूक्रेन रिश्तों को और भी तनावपूर्ण बना दिया, जिससे यह संभावना जताई गई कि रूस को फायदा मिल सकता है।
Russia-Ukraine War: तीन साल में क्या खोया गया?
मौतें: 300,000 से अधिक सैनिकों और नागरिकों की जानें गईं।
प्रवास: लाखों यूक्रेनी नागरिकों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा।
आर्थिक नुकसान: यूक्रेन की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ, जबकि रूस पश्चिमी पाबंदियों के बावजूद अपने को बनाए रखने में सफल रहा।
वैश्विक प्रभाव: ऊर्जा की कीमतें, महंगाई और खाद्य आपूर्ति श्रृंखलाओं में रुकावट ने दुनिया भर के देशों को प्रभावित किया।
Russia-Ukraine War: कैसे रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक राजनीति को बदल दिया!
युद्ध ने वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य को नाटकीय रूप से बदल दिया है, जिससे गठबंधन, शक्ति के समीकरण और अंतर्राष्ट्रीय नीतियाँ प्रभावित हुई हैं। यहां जानते हैं कि कैसे:
अमेरिकी विदेश नीति में बदलाव
ट्रम्प की यूक्रेन से संबंधित नीतियों में बदलाव, अमेरिका की वैश्विक नेतृत्व की भूमिका पर सवाल खड़े करता है। इस कदम से नाटो के भीतर असमंजस बढ़ा है और यूरोपीय देशों को अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने की जरूरत महसूस हो रही है।
रूस का रणनीतिक शक्ति के रूप में उभार
कड़ी पाबंदियों के बावजूद, रूस अपने आर्थिक संकट से बाहर निकलने में सफल रहा है, जिसका मुख्य कारण चीन और भारत का समर्थन है। यह युद्ध रूस की सहनशक्ति की परीक्षा ले रहा है और उसे पश्चिम के अलावा वैकल्पिक साझेदार खोजने के लिए मजबूर कर रहा है।
ब्रिक्स देशों की शक्ति में वृद्धि
संघर्ष ने ब्रिक्स (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) को वैश्विक राजनीति में एक प्रमुख भूमिका में ला खड़ा किया है। पश्चिमी प्रभुत्व के कमजोर होने के साथ, ये उभरते हुए देश अब वैश्विक व्यापार और कूटनीति में अधिक प्रभाव डाल रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक संस्थाओं पर विश्वास का संकट
युद्ध ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की असफलताओं को उजागर किया है, खासकर संघर्षों को रोकने और त्वरित कूटनीतिक समाधान प्रदान करने में। अब कई देश इन संस्थाओं को पुरानी और अप्रभावी मानते हैं।
ऊर्जा और आर्थिक संबंधों में बदलाव
युद्ध ने वैश्विक ऊर्जा बाजारों को नया आकार दिया है, जहां यूरोपीय देशों ने रूसी गैस पर निर्भरता कम कर दी है और अब मध्य पूर्व और अमेरिकी आपूर्तिकर्ताओं से ऊर्जा खरीद रहे हैं। वहीं, भारत और चीन ने रूस से दीर्घकालिक ऊर्जा सौदे किए हैं, जिससे वैश्विक आर्थिक निर्भरताएँ बदल गई हैं।
क्यों ज़ेलेनस्की ट्रम्प पर विश्वास करते हैं

ट्रम्प फैक्टर: क्या यह धोखा था या रणनीतिक कूटनीति?
कुछ लोग ट्रम्प के रुख को धोखा मानते हैं, जबकि दूसरों का मानना है कि यह युद्ध समाप्त करने के लिए एक रणनीतिक कदम है। रूस के साथ बिना यूक्रेन की भागीदारी के बातचीत का प्रस्ताव, अमेरिकी विदेश नीति में एक बड़ा बदलाव था।
ट्रम्प के नेतृत्व में महत्वपूर्ण घटनाएँ:
गुप्त अमेरिकी-रूसी बातचीत: रिपोर्ट्स के मुताबिक, सऊदी अरब में अमेरिकी और रूसी अधिकारियों के बीच उच्चस्तरीय बैठकें हुईं, जिससे एक समझौते की संभावना जताई गई।
यूक्रेन को अमेरिकी सहायता पर खतरा: ट्रम्प ने यह संकेत दिया कि यूक्रेन अब निरंतर सैन्य और वित्तीय सहायता की उम्मीद नहीं कर सकता।
नाटो में विभाजन: ट्रम्प की नीतियों ने नाटो में आंतरिक असहमतियाँ पैदा कीं, क्योंकि यूरोपीय देशों को डर था कि रूस के सामने उन्हें अकेले ही खड़ा होना पड़ेगा।
भारत की कूटनीतिक जीत!
वैश्विक शक्ति संघर्ष के बीच, भारत ने युद्ध में एक महत्वपूर्ण लेकिन कम ध्यान देने वाली भूमिका निभाई है। पश्चिम के विपरीत, भारत ने रूस और यूक्रेन दोनों के साथ संतुलित रिश्ते बनाए रखे हैं।
न्यूट्रल स्टैंड, रणनीतिक फायदे: भारत ने रूस के साथ ऊर्जा व्यापार जारी रखा और साथ ही यूक्रेन के साथ रिश्ते बनाए रखे।
वैश्विक मध्यस्थ: भारत ने शांति वार्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहां उसने सैन्य संघर्ष के बजाय संवाद का समर्थन किया।
आर्थिक संबंधों को मजबूत करना: भारत की व्यापार नीतियों ने उसे दोनों पक्षों से लाभ उठाने का अवसर दिया, जिससे उसकी वैश्विक स्थिति मजबूत हुई।
Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध का भविष्य… अब आगे क्या?
ट्रम्प की विवादास्पद कूटनीति के प्रभाव के साथ, दुनिया अब एक मोड़ पर खड़ी है। कुछ महत्वपूर्ण सवाल बने हुए हैं:
- क्या ट्रम्प की रणनीति शांति लाएगी या यूक्रेन को और अस्थिर बना देगी?
- क्या यूक्रेन अमेरिकी सहायता के बिना अपनी युद्ध शक्ति बनाए रख सकेगा?
- भारत अपनी कूटनीतिक स्थिति का फायदा भविष्य में कैसे उठाएगा?
- क्या ब्रिक्स एक वैकल्पिक शक्ति ब्लॉक के रूप में उभरेगा?
- यूरोप अपनी ऊर्जा संकट और अमेरिकी सैन्य सहायता पर निर्भरता को कैसे हल करेगा?
बदलती भू-राजनीति: यूक्रेन, ट्रम्प और भारत की रणनीतिक चालें
रूस-यूक्रेन युद्ध अब चौथे वर्ष में प्रवेश कर चुका है, और भविष्य अनिश्चित बना हुआ है। ट्रम्प का रुख एक नया आयाम लेकर आया है, जिससे यह चिंता व्यक्त की जा रही है कि क्या यूक्रेन को खुद को बचाने के लिए छोड़ दिया जाएगा। इस बीच, भारत ने इस संकट में चतुराई से कूटनीतिक जीत हासिल की है, बिना किसी से दुश्मनी किए।
एक बात तो तय है—भू-राजनीति बदल रही है, और देशों को तेजी से अनुकूलित होना होगा। क्या ट्रम्प की कूटनीति एक मास्टरस्ट्रोक साबित होगी या यह एक बड़ी गलती होगी, यह समय ही बताएगा। तब तक, पूरी दुनिया इस संघर्ष, शक्ति, प्रभाव और जीवित रहने के लिए हो रही लड़ाई को देखेगी।
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