16.1 C
New Delhi
Friday, November 22, 2024
Homeउत्तराखंडUCC In Uttarakhand: पति-पत्नी के तलाक का अलग नियम, उत्तराखंड में UCC...

UCC In Uttarakhand: पति-पत्नी के तलाक का अलग नियम, उत्तराखंड में UCC ड्रॉफ्ट में और क्या-क्या? यहां जानें सब कुछ

UCC In Uttarakhand:

UCC In Uttarakhand: समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मसौदा तैयार करने के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा गठित समिति ने शुक्रवार को यहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को मसौदा दस्तावेज सौंपे। आयोजित कार्यक्रम में पांच सदस्यीय समिति की अध्यक्ष एवं सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई ने यूसीसी का मसौदा मुख्यमंत्री धामी को सौंपा. कार्यक्रम में प्रदेश की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी मौजूद रहीं.

इस दौरान जस्टिस देसाई (रिटायर्ड), जस्टिस प्रमोद कोहली (रिटायर्ड) के अलावा सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह और दून यूनिवर्सिटी की कुलपति सुरेखा डंगवाल भी मौजूद रहीं।

यूसीसी पर बिल पारित करने के लिए 5 फरवरी से उत्तराखंड विधानसभा का चार दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया है। विधानसभा में विधेयक के रूप में पेश करने से पहले इस मसौदे पर राज्य कैबिनेट में भी चर्चा की जाएगी.

इस संबंध में उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि समान नागरिक संहिता विधेयक आगामी विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा और जल्द ही इसे कानून के रूप में लागू किया जाएगा. हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “एक भारत-श्रेष्ठ भारत” के दृष्टिकोण को साकार करते हुए राज्य में सभी को समान अधिकार प्रदान करने के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रहे हैं और आज हम यूसीसी के माध्यम से इस संकल्प को पूर्णता की ओर ले जा रहे हैं।

यूसीसी पर सीएम धामी ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस-

यूसीसी को लेकर सीएम धामी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें उन्होंने कहा कि यूसीसी बनाने वाली कमेटी ने आज हमें ड्राफ्ट दिया है, कमेटी ने सबसे पहले गांवों से संवाद शुरू किया है, प्रदेश में 43 जगहों पर संवाद. समिति ने किया, समिति में अनेक विद्वानों ने कार्य किया है, मसौदा 740 पृष्ठों एवं 4 खण्डों में प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि हम 5 फरवरी को होने वाले विशेष सत्र में इस पर चर्चा करेंगे. हम सदन में चर्चा करेंगे, ये हमारा चुनावी संकल्प था, हम सत्ता में आएंगे और इसे लागू करेंगे. 

उत्तराखंड में UCC से क्या होगा?

उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने पर लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ जाएगी। लड़कियों की उम्र अब 18 से बढ़ाकर 21 साल की जाएगी. तलाक के लिए पति-पत्नी दोनों को समान अधिकार होंगे। शादी के बाद रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा. बहुविवाह पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। यदि कोई ऐसा करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बेटा और बेटी दोनों को विरासत में समान अधिकार मिलेगा.

सूत्रों के मुताबिक यूसीसी रिपोर्ट में ये नियम हो सकते हैं-

– समिति की रिपोर्ट में लड़कों के लिए 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष की आयु निर्धारित की गई
– पुरुषों और महिलाओं को तलाक का समान अधिकार दिया गया – इसके लागू होने के बाद
महिला के लिए पुनर्विवाह की कोई शर्त नहीं होगी
कानून, ये हलाला जैसा होगा. मामला सामने आने पर तीन साल की सजा और एक लाख का जुर्माना 
– पति-पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी कर ली जाती थी
– न सिर्फ शादी बल्कि तलाक का भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया 
– तलाक या घरेलू विवाद की स्थिति में पति-पत्नी के बीच, पाँच वर्ष तक। मां को मिलेगी बच्चे की कस्टडी
– सभी वर्ग के बेटे-बेटियों को संपत्ति में समान अधिकार 
– जायज और नाजायज बच्चों को संपत्ति में समान अधिकार 
– महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे को भी संपत्ति अधिकारों में सुरक्षा दी जाती है
– लाइव -पंजीकृत वेब पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा
– पंजीकरण पर आपको एक रसीद मिलेगी, बिना रसीद के आप किराए पर घर पा सकते हैं
– रजिस्ट्रार पंजीकरण कराने वाले जोड़े के माता-पिता को सूचित करेगा
– पंजीकरण न कराने पर छह महीने की सजा। या 25 हजार जुर्माना 
– यूसीसी में गोद लेने के लिए कोई कानून नहीं बनाया गया है –
लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाई जाएगी ताकि वे शादी से पहले ग्रेजुएट हो सकें। 
-शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा. बिना रजिस्ट्रेशन के आपको किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा. ग्राम स्तर पर भी विवाह पंजीकरण की सुविधा होगी। 
-पति-पत्नी दोनों को तलाक के लिए समान आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो आधार पति के लिए लागू होता है वही पत्नी के लिए भी लागू होगा। वर्तमान में पर्सनल लॉ के तहत पति-पत्नी के पास तलाक के लिए अलग-अलग आधार हैं। 
-बहुविवाह या बहुविवाह पर रोक लगेगी. 
-लड़कियों को विरासत में लड़कों के बराबर हिस्सा मिलेगा। अभी तक पर्सनल लॉ के मुताबिक लड़के का हिस्सा लड़की से ज्यादा होता है.
 -नौकरी कर रहे बेटे की मौत पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में बुजुर्ग माता-पिता के भरण-पोषण की जिम्मेदारी भी शामिल है. यदि पत्नी पुनर्विवाह करती है तो पति की मृत्यु पर मिलने वाले मुआवजे में उसके माता-पिता को भी हिस्सा मिलेगा। 
–  भरण-पोषण  – यदि पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता-पिता का कोई सहारा नहीं है, तो उनके भरण-पोषण की जिम्मेदारी पति पर होती है।
–  गोद लेना- -गोद  लेने का अधिकार सभी को मिलेगा. मुस्लिम महिलाओं को भी मिलेगा गोद लेने का अधिकार, आसान होगी गोद लेने की प्रक्रिया. 
-हलाला और इद्दत पर लगेगी रोक. 
-लिव इन रिलेशनशिप की घोषणा जरूरी होगी. यह एक स्व-घोषणा की तरह होगा जिसका एक वैधानिक प्रारूप होगा.
– संरक्षकता-  यदि बच्चा अनाथ है, तो संरक्षकता की प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा। 
-पति-पत्नी के बीच झगड़े की स्थिति में बच्चों की कस्टडी उनके दादा-दादी को दी जा सकती है।
 -जनसंख्या नियंत्रण को अभी शामिल नहीं किया गया है.


Controversy On CAA: सीएए कानून लागू होने के बाद क्या होगा? इससे जुड़े विवाद कौन से हैं? जानिए 10 बड़े सवालों के जवाब: UCC In Uttarakhand: पति-पत्नी के तलाक का अलग नियम, उत्तराखंड में UCC ड्रॉफ्ट में और क्या-क्या? यहां जानें सब कुछ
Giriraj Sharma
Giriraj Sharmahttp://hindi.bynewsindia.com
ढाई दशक से सक्रिय पत्रकारिता में। राजनीतिक व सामाजिक विषयों पर लेखन, पर्यावरण, नगरीय विकास, अपराध, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि विषयों में रूचि। Ex Editor (M&C) Zee Regional Channels, ETV News Network, Digital Content Head Patrika. com, ByNewsIndia.Com Content Strategist, Consultant
RELATED ARTICLES
New Delhi
mist
16.1 ° C
16.1 °
16.1 °
77 %
0kmh
0 %
Thu
22 °
Fri
27 °
Sat
28 °
Sun
29 °
Mon
29 °

Most Popular