Mathura: उत्तर प्रदेश के मथुरा में एक अनोखी और दिलचस्प घटना रोज होती है। ब्रज के लोग यमुना के किनारे स्थित श्याम घाट पर दाऊजी महाराज को प्रतिदिन भांग चढ़ाते हैं। इस दौरान एक खास बंदर, जिसे स्थानीय लोग चीकू के नाम से जानते हैं, भी यहां आता है। यह बंदर दोपहर तीन बजे के करीब घाट पर आता है और भांग पीकर चला जाता है। चतुर्वेदी समाज के लोग इस बंदर को विशेष प्रेम से देखते हैं और उसकी इस अनोखी आदत को लेकर चर्चा करते हैं। यह घटना न केवल स्थानीय लोगों के लिए एक रोचक अनुभव है, बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन चुकी है।
Table of Contents
5 साल से भांग की लत
ब्रज निवासी भूपेंद्र चतुर्वेदी ने कहा कि यह बंदर लगभग चार-पांच साल से हर रोज़ यमुना के किनारे श्याम घाट पर आता है। यह बंदर निश्चित समय पर आता है और भांग के इंतजार में बैठा रहता है। भूपेंद्र के मुताबिक, यह बंदर रोज़ लगभग एक लोटा भांग का घोल पीता है। उसकी यह अनोखी आदत स्थानीय लोगों के बीच चर्चा का विषय बन चुकी है और लोग इसे देखकर हैरानी और मनोरंजन महसूस करते हैं। चीकू की इस लत ने उसे एक तरह से क्षेत्र की पहचान बना दिया है।
सभी बंदरों को मार दिया गया, इकलौता घायल अवस्था में मिला था
भूपेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि चार साल पहले मथुरा में लोग बंदरों को मार रहे थे, और इस दौरान यह बंदर घायल अवस्था में मिला। सभी बंदरों को मार दिया गया, लेकिन यह अकेला बंदर बच गया। उसे बचाने के लिए स्थानीय लोगों ने उसका इलाज किया। इसके बाद, इस बंदर को ब्रज के लोगों का प्यार मिलने लगा, और वह लगातार श्याम घाट पर आने लगा। भूपेंद्र और उनके साथी लोगों ने इसे खाना भी देना शुरू किया, जिससे इसकी और भी घनिष्ठता स्थानीय निवासियों के साथ बढ़ गई। अब यह बंदर हर दिन उसी समय यहां आता है और भांग पीकर चला जाता है, जिससे यह इलाके का एक अनोखा और प्रिय प्रतीक बन गया है।
हर दिन श्याम घाट पर आकर पीता है भांग
भूपेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि वे और अन्य लोग रोजाना भगवान ठाकुर को बिजिया (भांग) चढ़ाते हैं। एक दिन इस अवसर पर यह बंदर भी वहां पहुंच गया। जब उन्होंने उसे भांग दी, तो वह उसे पी गया। तभी से यह बंदर हर दिन श्याम घाट पर आने लगा और लगभग एक लोटा भांग पीकर चला जाता है।
रोज पीता है काजू-बादाम से बनी स्पेशल ठंडाई
भांग की ठंडाई बनाने के लिए वे काजू और अन्य सूखे मेवों को पीसकर उसमें मिलाते हैं, जिससे इसका स्वाद और बढ़ जाता है। इस अनोखी परंपरा के चलते अब यह बंदर न केवल स्थानीय निवासियों का प्रिय है, बल्कि इस घटना ने ब्रज क्षेत्र में एक खास पहचान भी बना ली है। यह परंपरा न केवल स्थानीय लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है, बल्कि यह ब्रज क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत का भी एक हिस्सा बन चुकी है।
गजब है मथुरा का ये भंगेड़ी बंदर
पंडित ने बताया कि वे प्रतिदिन ठाकुरजी को भांग का घोल चढ़ाने के लिए इसे तैयार करते हैं। यह बंदर भी हर दिन यहां आता है और ठंडाई पीकर चला जाता है। उन्होंने बताया कि यह बंदर रोज़ यहाँ आकर चुपचाप बैठ जाता है। जब उसे ठंडाई दी जाती है, तो वह खुशी-खुशी उसे पीता है और फिर चला जाता है।