Mahakumbh 2025: आगामी पूर्ण महाकुंभ मेला, जो 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक आयोजित होगा, देश और विदेश से आने वाले करीब 40 करोड़ श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए संगम नगरी प्रयागराज में जोरों से तैयारियां चल रही हैं। यह मेला हर 12 साल में आयोजित होता है, और इस बार इसे ‘पूर्ण महाकुंभ’ के रूप में मनाया जाएगा, जो आम कुंभ से अधिक भव्य और विस्तृत होगा। पहला प्रमुख स्नान मकर संक्रांति (14 जनवरी) को होगा, जो कुंभ मेला का सबसे महत्वपूर्ण स्नान दिन होता है। इसके अलावा, बसंत पंचमी, माह शिवरात्रि, और राम नवमी जैसे प्रमुख दिनों पर भी स्नान होंगे।
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40 करोड़ श्रद्धालुओं के स्वागत में सज रही संगम नगरी
लगभग 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है, जो इसे विश्व के सबसे बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक मेलों में से एक बनाता है। सुरक्षा, परिवहन, चिकित्सा, और अन्य आधारभूत संरचनाओं की तैयारियां उच्चतम स्तर पर चल रही हैं। तंबू, साधु-संतों के आश्रम, पूजा स्थल और स्नान घाटों का निर्माण तेजी से पूरा हो रहा है। पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
इतिहास का सबसे बड़ा समागम
इस बार के आयोजन में संगम में स्नान के लिए पर्याप्त सुविधा के अलावा श्रद्धालुओं के लिए कुछ ऐसी खास तैयारियां की गई हैं जो लोगों को बेहद आकर्षित करेंगी। न्यूयॉर्क के मैनहटन इलाके के दो तिहाई हिस्से के आकार की बसाई गई अस्थायी कुंभ नगरी में टैंट सिटी के अलावा शिवालय पार्क, बड़े हनुमान मंदिर कॉरिडोर और श्रृंगेवेरपुर में निर्मित भगवान राम और निषादराज की विशाल प्रतिमा बनाई गई है। कुंभ नगरी इतनी विशाल होगी कि इसे अंतरिक्ष से भी देखा जा सकेगा। इसे इतिहास का सबसे बड़ा समागम कहा जा रहा है।
महाकुंभ क्षेत्र में ही होंगे द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन
महाकुंभ मेले में भगवान शिव के प्राचीन सोमेश्वरनाथ मंदिर के पास 17 करोड़ की लागत से शिवालय पार्क का निर्माण किया जा रहा है। अरैल इलाके में 11 एकड़ में बन रहे इस शिवालय पार्क को इस समय भव्य रूप प्रदान किया जा रहा है। जो मेले के पहले पूरी तरह से तैयार हो जाएगा। भारत के नक्शे में बन रहे इस पार्क में बारह ज्योतिर्लिंग स्थापित किए जा रहे हैं।
स्थापित की गई भगवान राम और निषादराज की 51 फीट ऊंची प्रतिमा
महाकुंभ के मद्देनजर श्रृंगवेरपुर गंगाघाट को भी खूब विकसित किया गया है। इस घाट की खासियत को देखते हुए यहां भगवान राम और निषादराज की 51 फीट उंची प्रतिमा स्थापित की गई है। यह वही घाट है, जहां भगवान श्रीराम को वनवास जाते समय निषादराज ने अपनी नाव से गंगा पार कराई थी।
144 साल बाद संयोग
धर्माचार्याें और ज्योतिषाचार्याें के मुताबिक इस बार का महाकुम्भ अक्षय पुण्य लाभ देने वाला होगा। ऐसा दुर्लभ संयोग 144 साल बाद बन रहा है। महाकुम्भ प्रत्येक 12 वर्ष के बाद लगता है, जबकि 12 महाकुंभ के 12 चरण पूरे होने पर जो कुम्भ होता है, उसे पूर्ण महाकुम्भ कहा जाता है। प्रयागराज में इस बार यह विशेष मौका है।
ये हैं तैयार
- 5 सर्किट हाउस – 250 टेंट क्षमता वाले
- 110 कॉटेज – यूपी पर्यटन टैंट
- 2200 कॉटेज – टैंट सेवा प्रदाताओं की ओर ससे
- 150,000 शौचालय
- 68,000 एलईडी लाइट के खंभे
- 50000 लोगों के एक साथ भोजन के लिए सामुदायिक रसोईघर
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