Ramadan 2025: रमजान 2025 का पवित्र महीना शुरू हो चुका है, जो मुसलमानों के लिए रहमत, बरकत और मगफिरत का महीना माना जाता है। यह उपासना, संयम और आत्मशुद्धि का समय होता है। भारत में 2 मार्च 2025 को रमजान की शुरुआत चांद दिखने के बाद हुई।
आइए जानते हैं रमजान का महत्व, उपवास के नियम, अशरों का महत्व और ज़कात व फित्रा का महत्व।
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रमजान 2025 कब शुरू हुआ?
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, रमजान 9वें महीने में आता है और इसकी शुरुआत चांद देखने पर होती है। भारत में इस साल 28 फरवरी 2025 को चांद नहीं दिखा, इसलिए पहला रोज़ा 2 मार्च 2025 को रखा गया। आमतौर पर, सऊदी अरब में चांद एक दिन पहले दिखाई देता है, इसलिए भारत में रमजान की शुरुआत एक दिन बाद होती है।
रमजान के अंत में शव्वाल का चांद दिखाई देने पर ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाता है।
रमजान का महत्व: इस्लाम का सबसे पाक महीना
रमजान इस्लाम में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसी महीने में कुरआन का अवतरण हुआ था। इस महीने में रोज़ा (उपवास), नमाज़ और दुआओं का विशेष महत्व होता है।
रमजान में किए जाने वाले प्रमुख कार्य:
- सूर्योदय से सूर्यास्त तक रोज़ा रखना (सेहरी से इफ्तार तक)
- पांच वक्त की नमाज़ और तरावीह की विशेष नमाज़ पढ़ना
- ज़कात और फित्रा देकर गरीबों की मदद करना
- संयम और आत्मशुद्धि का पालन करना
रोज़ा रखने के नियम: सेहरी और इफ्तार का महत्व
रमजान में सेहरी और इफ्तार बहुत अहम होते हैं:
- सेहरी: यह सूरज उगने से पहले का भोजन होता है, जो फजर की नमाज़ से पहले किया जाता है।
- इफ्तार: यह सूर्यास्त के बाद रोज़ा खोलने का भोजन होता है, जिसे मग़रिब की नमाज़ के बाद किया जाता है। आमतौर पर, खजूर और पानी से रोज़ा खोला जाता है।
रोज़े के दौरान, खाने-पीने और ग़लत कामों से परहेज करना जरूरी होता है।
रमजान के तीन अशरों का महत्व
रमजान को तीन अशरों (10-10 दिनों के भागों) में बांटा गया है:
पहला अशरा (1-10 दिन) – रहमत (दया):
इन दिनों में अल्लाह से रहमत (दया) की दुआ मांगी जाती है।
दूसरा अशरा (11-20 दिन) – बरकत (संपन्नता):
यह समय अधिक इबादत और संयम का होता है।
तीसरा अशरा (21-30 दिन) – मगफिरत (क्षमा):
अंतिम दिनों में अल्लाह से गुनाहों की माफी मांगी जाती है। इस दौरान कई लोग एतिकाफ (मस्जिद में रहकर इबादत) भी करते हैं।
रमजान में ज़कात और फित्रा का महत्व
रमजान में दान करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। ज़कात और फित्रा के जरिए गरीबों की मदद की जाती है।
ज़कात क्या है?
- ज़कात इस्लाम में अनिवार्य दान है, जिसमें मुसलमान अपनी कुल संपत्ति का 2.5% गरीबों को देते हैं।
- यह इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है और इसे संपत्ति की शुद्धि माना जाता है।
फित्रा क्या है?
- फित्रा (ज़कात-अल-फित्र) ईद-उल-फितर से पहले दिया जाने वाला दान है, ताकि गरीब भी ईद मना सकें।
- इसकी राशि मुख्य रूप से गेंहू, जौ, चावल आदि पर आधारित होती है और इसे गरीबों, अनाथों और विधवाओं को दिया जाता है।
ईद-उल-फितर: रमजान का समापन पर्व
रमजान के अंत में ईद-उल-फितर मनाई जाती है। यह खुशी और अल्लाह का शुक्र अदा करने का अवसर होता है।
- ईद की सुबह मुसलमान इत्र लगाकर, नए कपड़े पहनकर और ईदगाह में नमाज़ अदा करने जाते हैं।
- लोग एक-दूसरे को “ईद मुबारक” कहकर बधाई देते हैं।
- सेवइयां और शीर खुरमा जैसे पकवान बनाए जाते हैं।
रमजान: आत्मसंयम और आध्यात्मिक उत्थान का समय
रमजान केवल उपवास का महीना नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक विकास और आत्म-अनुशासन का भी समय है।
- संयम: यह धैर्य, आत्म-नियंत्रण और कृतज्ञता सिखाता है।
- आध्यात्मिक जागरूकता: नमाज़ और कुरआन पढ़ने से ईमान मजबूत होता है।
- सामाजिक सहयोग: गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने से समाज में एकता बढ़ती है।
Ramadan 2025 – इबादत, रोज़ा और दान का महीना
रमजान 2025 का आगाज हो चुका है, और यह महीना ईमान, आत्मसंयम और दान का संदेश देता है। रोज़ा, इबादत और ज़कात के जरिए यह दुनिया और आखिरत में सफलता पाने का जरिया है।
दुआ है कि यह रमजान सभी के लिए शांति, बरकत और रहमत लेकर आए!
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