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Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि पर बनेगा दुर्लभ महासंयोग! जानें शुभ मुहूर्त, जलाभिषेक का समय और चार प्रहर की पूजा का महत्व

Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि 2025 लेकर आ रही है दुर्लभ खगोलीय योग, महाकुंभ का शाही स्नान और शक्तिशाली 4 प्रहर पूजा। जानिए शिव पूजा का सबसे शुभ समय।

Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि 2025 की तारीख और महत्व इस साल महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी 2025 को विशेष योगों के साथ मनाया जाएगा। खास बात यह है कि इस दिन प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ का अंतिम शाही स्नान भी होगा, जिससे इस महाशिवरात्रि का महत्व कई गुना बढ़ जाएगा।

इस महाशिवरात्रि पर कई शुभ योग बन रहे हैं जो इसे और भी खास बना रहे हैं। 26 फरवरी को श्रवण नक्षत्र सुबह से शाम 5:08 बजे तक प्रभावी रहेगा। साथ ही, इस दिन चंद्रमा मकर राशि में रहेगा और सूर्य, बुध और शनि कुंभ राशि में स्थित होंगे। इस दुर्लभ ग्रह संयोग से बुद्धादित्य योग और त्रिग्रही योग बन रहा है। इसके अलावा, शिव योग और परिघ योग भी इस दिन बन रहे हैं, जो समृद्धि और इच्छाओं की पूर्ति का प्रतीक माने जाते हैं। इन शुभ योगों में की गई पूजा का फल कई गुना अधिक मिलता है।

महाशिवरात्रि 2025 पर बन रहे शुभ योग

इस वर्ष महाशिवरात्रि पर दुर्लभ ग्रह संयोग उत्पन्न हो रहे हैं, जो इसके आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व को बढ़ा रहे हैं:

श्रवण नक्षत्र :

  • श्रवण नक्षत्र 26 फरवरी को शाम 5:08 बजे तक रहेगा , जिससे यह शिव पूजा के लिए शुभ समय होगा।
  • ऐसा माना जाता है कि श्रवण नक्षत्र में भगवान शिव की पूजा करने से मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं।

बुधादित्य योग एवं त्रिग्रही योग :

  • सूर्य, बुध और शनि कुंभ राशि में रहेंगे , जबकि चंद्रमा मकर राशि में रहेगा , जिससे बुधादित्य योग और त्रिग्रही योग का दुर्लभ संयोग बनेगा ।
  • यह संरेखण समृद्धि, ज्ञान और आध्यात्मिक विकास को बढ़ाता है।

शिव योग और परिध योग :

  • ये योग सफलता और इच्छाओं की पूर्ति लाते हैं।
  • इन योगों के दौरान उपवास रखने और अनुष्ठान करने से इनके लाभ कई गुना बढ़ जाते हैं।

महाशिवरात्री 2025 क्यों है विशेष?

महाकुंभ का अंतिम शाही स्नान (शाही स्नान)

  • प्रयागराज में महाकुंभ का अंतिम शाही स्नान महाशिवरात्रि के दिन होगा, जिससे यह दिन आध्यात्मिक साधकों के लिए अत्यंत शक्तिशाली बन जाएगा।
  • इस दिन पवित्र नदियों में डुबकी लगाने वाले भक्तों का मानना ​​है कि इससे सभी पाप धुल जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है ।

महाशिवरात्रि 2025: तिथि और तिथि

  • चतुर्दशी तिथि (कृष्ण पक्ष, फाल्गुन माह) प्रारंभ: 26 फरवरी, सुबह 11:08 बजे
  • चतुर्दशी तिथि समाप्त : 27 फरवरी, सुबह 8:54 बजे
  • महाशिवरात्रि पूजा और व्रत : 26 फरवरी, 2025

महाशिवरात्रि का महत्व

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, महाशिवरात्रि भगवान शिव और देवी पार्वती के दिव्य विवाह का प्रतीक है । यह त्यौहार शिव (चेतना) और शक्ति (ऊर्जा) के मिलन का प्रतिनिधित्व करता है , जो जीवन में संतुलन लाता है।

महाशिवरात्रि का धार्मिक महत्व शास्त्रों के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। शिव पुराण के अनुसार, इस दिन व्रत और पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। भोलेनाथ बहुत सरल हृदय के देवता हैं और उनकी पूजा में अधिक सामग्रियों की आवश्यकता नहीं होती। इस दिन श्रद्धा और विधि-विधान से पूजा करने पर धन, सुख-समृद्धि, संतान सुख और उत्तम स्वास्थ्य का वरदान प्राप्त होता है।

Mahashivratri 2025 Mahasanyog, Importance of Jalabhishek and Four Prahar Puja

महाशिवरात्रि 2025 का व्रत और पूजन विधि

महाशिवरात्रि के दिन चतुर्दशी तिथि का विशेष महत्व होता है। इस बार चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी को सुबह 11:08 बजे शुरू होकर 27 फरवरी को सुबह 8:54 बजे तक रहेगी। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की निशीथ काल में पूजा करने का विशेष महत्व होता है। इसलिए, इस वर्ष महाशिवरात्रि का व्रत और उत्सव 26 फरवरी को ही मनाया जाएगा।

महाशिवरात्रि व्रत के लिए शुभ मुहूर्त

महाशिवरात्रि पर पूरे दिन भगवान शिव का जलाभिषेक और पूजा की जाती है, लेकिन रात्रि पूजा का विशेष महत्व होता है। इसके अलावा, ब्रह्म मुहूर्त में शिव आराधना करने से भी विशेष लाभ प्राप्त होता है।

चार प्रहर पूजा का समय (Mahashivratri 2025 Char Prahar Puja Time)

  1. ब्रह्म मुहूर्त पूजा: 26 फरवरी को सुबह 5:17 बजे से 6:05 बजे तक।
  2. पहले प्रहर की पूजा: 26 फरवरी को शाम 6:29 बजे से रात 9:34 बजे तक।
  3. दूसरे प्रहर की पूजा: 26 फरवरी को रात 9:34 बजे से 27 फरवरी को रात 12:39 बजे तक।
  4. तीसरे प्रहर की पूजा: 27 फरवरी को रात 12:39 बजे से 3:45 बजे तक।
  5. चौथे प्रहर की पूजा: 27 फरवरी को सुबह 3:45 बजे से 6:50 बजे तक।

महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक का महत्व

भगवान शिव की पूजा में गंगाजल, दूध, दही, शहद, बेलपत्र, धतूरा और भस्म का विशेष महत्व होता है। इस दिन श्रद्धालु शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं और ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हैं। ऐसा करने से सभी दुखों का नाश होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

महाशिवरात्रि पर व्रत रखने के लाभ

  • जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
  • विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं।
  • स्वास्थ्य और मानसिक शांति मिलती है।
  • मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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