Rajasthan Politics: राजस्थान में 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी को एक बड़ा झटका तब लगा जब वरिष्ठ नेता सुखबीर सिंह चौधरी ने 14 अन्य नेताओं के साथ भाजपा में शामिल होने का फैसला किया। सुखबीर सिंह चौधरी का भाजपा में शामिल होना कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक चुनौती है, खासकर चुनावी समय में, जब पार्टी को अपने आधार को मजबूत करने की आवश्यकता है।
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उपचुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका
इस बदलाव से भाजपा को भी राजनीतिक लाभ मिल सकता है, क्योंकि चौधरी और उनके समर्थकों का कद और प्रभाव क्षेत्र में महत्वपूर्ण हो सकता है। उपचुनाव के नजदीक इस तरह के नेताओं का पार्टी बदलना मतदाता आधार पर असर डाल सकता है और दोनों पार्टियों की चुनावी रणनीतियों को प्रभावित कर सकता है।
सुखबीर सिंह चौधरी सहित कई नेता बीजेपी में शामिल
कांग्रेस के दिग्गज नेता सुखबीर सिंह चौधरी ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ और पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा की उपस्थिति में भाजपा में शामिल होने की औपचारिकता निभाई। इस मौके पर कई अन्य नेता भी मौजूद थे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि लोग अब कांग्रेस की नीतियों से पूरी तरह निराश हो चुके हैं और यही कारण है कि नेता पार्टी छोड़ रहे हैं।
कांग्रेस से निराश हो चुकी है जनता : मदन राठौड़
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कांग्रेस की नीतियों पर आलोचना करते हुए कहा कि जनता अब कांग्रेस से निराश हो चुकी है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कई नेता भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों से प्रेरित होकर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो रहे हैं।
उपचुनाव में बीजेपी को मिलेगी मजबूती
भाजपा के नेताओं ने यह भी बताया कि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के गढ़ खींवसर में भाजपा की स्थिति मजबूत हुई है। इससे साफ़ है कि भाजपा विधानसभा उपचुनावों से पहले अपनी ताकत बढ़ाने के लिए सक्रिय है और स्थानीय नेताओं के शामिल होने से पार्टी की रणनीति को मजबूती मिलेगी।
खींवसर में त्रिकोणीय मुकाबला
राजस्थान के खींवसर विधानसभा क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा, जिसमें भाजपा ने रेवंतराम डांगा, कांग्रेस ने रतन चौधरी, और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) ने हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल को उम्मीदवार बनाया है। यह चुनाव हनुमान बेनीवाल के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनकी पत्नी को आरएलपी की ओर से उम्मीदवार बनाने से उनके राजनीतिक प्रभाव और पार्टी की स्थिति पर भी परीक्षा होगी।
सभी पार्टियों ने झोंक दी है अपनी ताकत
इस सीट पर हो रहे इस मुकाबले से यह स्पष्ट है कि सभी पार्टियों ने अपनी ताकत झोंक दी है और स्थानीय मुद्दों के साथ-साथ व्यक्तिगत नेताओं के प्रभाव को भी ध्यान में रखा गया है। खींवसर विधानसभा क्षेत्र में यह चुनाव न केवल उम्मीदवारों के लिए, बल्कि उन पार्टियों के लिए भी महत्वपूर्ण होगा जो अपने चुनावी आधार को मजबूत करना चाहती हैं।