Phone Tapping: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पूर्व ओएसडी लोकेश शर्मा को दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने सोमवार को फोन टैपिंग मामले में गिरफ्तार कर लिया है। इस मामले ने राजनीतिक और कानूनी स्तर पर काफी ध्यान आकर्षित किया है। लोकेश शर्मा पर आरोप है कि उन्होंने एक फोन टैपिंग घोटाले में शामिल रहकर गैरकानूनी तरीके से नेताओं और अन्य व्यक्तियों की कॉल्स को रिकॉर्ड और लीक किया। यह मामला न केवल कानूनी रूप से बल्कि राजनीतिक रूप से भी गर्म मुद्दा बन सकता है। राजस्थान में कांग्रेस और बीजेपी के बीच सत्ता संघर्ष और आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इस घटना का असर और बढ़ सकता है। लोकेश शर्मा की गिरफ्तारी को कांग्रेस खेमे में राजनीतिक प्रतिशोध के रूप में देखा जा सकता है, जबकि बीजेपी इसे न्यायिक प्रक्रिया के हिस्से के रूप में प्रस्तुत करेगी।
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दिल्ली क्राइम ब्रांच ने कई बार भेजा समन
दिल्ली क्राइम ब्रांच ने लोकेश शर्मा को कई बार पूछताछ के लिए समन भेजा। इस बीच, शर्मा ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने पहले उनकी गिरफ्तारी पर अस्थायी रोक लगाई थी, लेकिन बाद में उन्होंने यह याचिका वापस ले ली।
शिकायत और मामला दर्ज
केंद्र सरकार में संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने लोकेश शर्मा के खिलाफ फोन टैपिंग का मामला दर्ज किया था। इस मामले में सोमवार को शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया। गजेंद्र सिंह शेखावत ने शिकायत में आरोप लगाया कि उनकी बातचीत को अवैध रूप से रिकॉर्ड कर मीडिया में लीक किया गया था। इसके आधार पर लोकेश शर्मा पर फोन टैपिंग और डेटा लीक का मामला दर्ज हुआ।
लोकेश शर्मा का बयान
लोकेश शर्मा ने अपनी गिरफ्तारी के बाद दिए बयान में फोन टैपिंग मामले में अपनी किसी भी भूमिका से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने केवल वह ऑडियो क्लिप आगे बढ़ाई थी, जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें दिया था। इसके अलावा पूरे मामले में उनकी कोई अन्य भूमिका नहीं है।
क्राइम ब्रांच को सौंप दिए है सबूत
लोकेश ने कहा कि मुख्यमंत्री रहते हुए अशोक गहलोत द्वारा दिए गए ऑडियो को आगे बढ़ाने के अलावा उनकी कोई भूमिका नहीं है। उन्होंने कहा कि वह मामले में पहले भी क्राइम ब्रांच का सहयोग कर चुके हैं और आगे भी करेंगे। शर्मा ने कहा कि उन्होंने इस मामले में जो भी साक्ष्य उनके पास थे, वे पहले ही क्राइम ब्रांच को सौंप दिए हैं। वह जांच में पूरी सकारात्मक भूमिका निभाने का वादा कर चुके हैं।
हाई कोर्ट से वापस ली याचिका
लोकेश शर्मा ने एफआईआर निरस्त करने की मांग वाली अपनी याचिका हाई कोर्ट से वापस ले ली थी। उनके अनुसार, 25 सितंबर को उन्होंने दिल्ली पुलिस को पूछताछ के दौरान अपना बयान दर्ज करवा दिया था और इस मामले में संबंधित साक्ष्य भी पुलिस को सौंप दिए थे। शर्मा ने स्पष्ट किया कि उन्होंने पुलिस का सहयोग किया है और आगे भी करेंगे।
पूछताछ में सहयोग
लोकेश शर्मा ने एफआईआर निरस्त करने की याचिका को हाई कोर्ट से वापस ले लिया। इस याचिका में उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी। उन्होंने दिल्ली पुलिस से कहा था कि 25 सितंबर को हुई पूछताछ के दौरान उन्होंने अपना बयान दर्ज कराया था और मामले से संबंधित साक्ष्य भी सौंपे थे। शर्मा ने दावा किया कि वह पुलिस की जांच में पूरी तरह से सहयोग कर रहे हैं और आगे भी करेंगे।
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