Nirmal Choudhary: जयपुर में शनिवार, 21 जून की सुबह एक विवादास्पद घटना सामने आई जब राजस्थान पुलिस ने कांग्रेस विधायक अभिमन्यु पूनिया और छात्र नेता निर्मल चौधरी को परीक्षा केंद्र से जबरन हिरासत में ले लिया। यह घटना उस समय घटी जब दोनों राजस्थान विश्वविद्यालय में पीजी सेमेस्टर परीक्षा देने पहुंचे थे। बताया जा रहा है कि करीब सुबह 8 बजे गांधी नगर पुलिस ने दोनों को परीक्षा केंद्र से बाहर खींचकर गाड़ी में डाल दिया और थाने ले गई। पुलिस की यह कार्रवाई अब राजनीतिक और सामाजिक बहस का विषय बन चुकी है।
Table of Contents
Nirmal Choudhary: परीक्षा के नाम पर गिरफ्तारी?
डीसीपी ईस्ट तेजस्विनी गौतम ने बयान जारी कर बताया कि छात्र नेता निर्मल चौधरी को वर्ष 2022 में दर्ज एक मामले में गिरफ्तार किया गया है, जिसमें उन पर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और राजकार्य में बाधा डालने का आरोप है। वहीं, विधायक अभिमन्यु पूनिया के संबंध में पुलिस ने कहा है कि उन्हें न तो हिरासत में लिया गया है और न ही गिरफ्तार किया गया है। हालांकि, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में पुलिस द्वारा पूनिया को जबरन गाड़ी में डालते हुए देखा जा सकता है।
Nirmal Choudhary: पुलिस एक्शन पर कांग्रेस का फूटा गुस्सा
इस कार्रवाई की कांग्रेस पार्टी समेत कई राजनीतिक दलों और नेताओं ने कड़ी निंदा की है। खुद विधायक पूनिया और छात्र नेता चौधरी ने सोशल मीडिया पर अपने साथ हुई इस घटना की जानकारी दी। इसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, आरएलपी सांसद हनुमान बेनीवाल, और कई अन्य विपक्षी नेताओं ने बयान जारी कर इसे लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ बताया।
लोकतांत्रिक मूल्यों का घोर उल्लंघन: अशोक गहलोत
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि परीक्षा देते समय किसी विधायक और छात्र नेता को हिरासत में लेना न केवल अन्यायपूर्ण है बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों का घोर उल्लंघन भी है। उन्होंने कहा कि यह सरकार जनप्रतिनिधियों की आवाज को दबा रही है। यूथ कांग्रेस अध्यक्ष और विधायक पूनिया की गिरफ्तारी की आलोचना करते हुए उन्होंने राज्य सरकार से तुरंत रिहाई की मांग की।
गोविंद सिंह डोटासरा और टीकाराम जूली ने बताया तानाशाही रवैया
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इसे तानाशाही रवैया करार देते हुए कहा कि यदि दोनों को रिहा नहीं किया गया तो कांग्रेस सड़कों पर आंदोलन करेगी। टीकाराम जूली ने इसे विधायक के संवैधानिक अधिकारों पर हमला बताया और कहा कि एक चुने हुए जनप्रतिनिधि को जनहित के लिए आवाज उठाने पर गिरफ्तार किया जाना निंदनीय है। उन्होंने भी तत्काल रिहाई की मांग की।
हनुमान और सचिन ने भी की घटना की निंदा
आरएलपी सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि पुलिस की यह कार्रवाई राजस्थान विश्वविद्यालय की स्वायत्तता पर सीधा हमला है। उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से तुरंत संज्ञान लेकर दोनों की रिहाई की अपील की। कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने भी घटना की निंदा करते हुए कहा कि भाजपा युवाओं और छात्रों की आवाज को दबाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र के खिलाफ है और कांग्रेस इस मुद्दे को हर स्तर पर उठाएगी।
यह घटना न केवल राजनीतिक दलों में उबाल ला रही है, बल्कि छात्रों और आम नागरिकों में भी नाराजगी फैला रही है। परीक्षा के समय की गई यह पुलिस कार्रवाई न केवल अनुचित मानी जा रही है बल्कि इससे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
यह भी पढ़ें:-
Operation Sindoor: भारत के हमले से कांप गया पाकिस्तान, सऊदी ने 25 बार किया कॉल