28.7 C
New Delhi
Tuesday, July 1, 2025
Homeराजस्थानAjmer Dargah: अजमेर शरीफ दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा, कोर्ट...

Ajmer Dargah: अजमेर शरीफ दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा, कोर्ट ने सभी पक्षधरों को जारी किया नोटिस

Ajmer Dargah: राजस्थान के अजमेर स्थित दरगाह शरीफ से जुड़े विवाद में नया मोड़ आ गया है। हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि दरगाह परिसर में एक प्राचीन शिव मंदिर स्थित था।

Ajmer Dargah: राजस्थान के अजमेर स्थित दरगाह शरीफ से जुड़े विवाद में नया मोड़ आ गया है। हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि दरगाह परिसर में एक प्राचीन शिव मंदिर स्थित था, जिसे बाद में दरगाह में तब्दील कर दिया गया। इस दावे को लेकर निचली अदालत ने याचिका स्वीकार कर ली है और सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया गया है। मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर 2024 को तय की गई है। बता दें कि यह विवाद कई सालों से चल रहा है। हिंदू संगठनों का दावा है कि शिव मंदिर को अजमेर दरगाह में बदल दिया गया था।

अजमेर दरगाह में शिव मंदिर का दावा

हिंदू संगठनों का लंबे समय से मानना है कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह का निर्माण एक प्राचीन शिव मंदिर के स्थल पर किया गया था। यह मुद्दा वर्षों से विवाद का विषय रहा है, लेकिन अब इसे कानूनी रूप से चुनौती दी गई है। याचिका में हिंदू पक्ष ने मंदिर के अस्तित्व की जांच और प्रमाणित करने की मांग की है। अदालत ने याचिका को स्वीकार करते हुए सभी पक्षों से जवाब तलब किया है।

आगे की प्रक्रिया

यह विवाद धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। अदालत के फैसले पर दोनों समुदायों की कड़ी नजर है, क्योंकि यह ऐतिहासिक स्थलों के दावों और विरासत की परिभाषा को प्रभावित कर सकता है। मामले की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों द्वारा ऐतिहासिक प्रमाण, दस्तावेज़ और विशेषज्ञों के बयान प्रस्तुत किए जा सकते हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अदालत इस विवाद पर क्या निर्णय लेती है।

कोर्ट ने संबंधित पक्षों को जारी किया नोटिस

अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर विवादित याचिका में बड़ा अपडेट सामने आया है। दिल्ली निवासी और हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने याचिका दायर कर दावा किया कि दरगाह के स्थान पर पहले संकट मोचन महादेव का मंदिर था। इस याचिका में विभिन्न साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए मंदिर के पुनर्स्थापन की मांग की गई है। अजमेर की निचली अदालत ने बुधवार को इस याचिका को स्वीकार कर लिया और इसे सुनवाई के लिए योग्य माना। अदालत ने संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर उनका पक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

वादी पक्ष के अधिवक्ता का बयान

अजमेर दरगाह के स्थान को लेकर विवाद में वादी पक्ष के अधिवक्ता रामस्वरूप बिश्नोई ने एक अहम बयान दिया है। उन्होंने बताया कि अदालत ने इस मामले में तीन प्रतिवादियों, यानी दरगाह कमेटी, भारतीय अल्पसंख्यक मंत्रालय, और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को नोटिस और समन जारी किया है। यह मामला धार्मिक महत्व के साथ-साथ ऐतिहासिक स्थलों और धार्मिक अधिकारों को लेकर उठाए गए सवालों से जुड़ा है।

वादी पक्ष का तर्क

वादी पक्ष का दावा है कि प्राचीन समय में दरगाह का स्थान शिव मंदिर था, जहां हिंदू पद्धति के अनुसार शिव की पूजा की जाती थी। अधिवक्ता रामस्वरूप बिश्नोई ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य मंदिर में हिंदू पूजा पद्धति को फिर से स्थापित करना है। अधिवक्ता ने यह भी कहा कि वादी पक्ष ने ऐतिहासिक साक्ष्य और दस्तावेज पेश किए हैं जो उनके दावे का समर्थन करते हैं।

20 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई

अदालत ने सभी प्रतिवादी पक्षों को नोटिस देकर मामले में अपना पक्ष रखने का समय दिया है। अगली सुनवाई 20 दिसंबर 2024 को निर्धारित है, जब दोनों पक्ष अदालत के समक्ष अपने तर्क प्रस्तुत करेंगे। इस विवाद ने समाज और धार्मिक संगठनों के बीच चर्चाओं को और बढ़ावा दिया है। अदालत का निर्णय इस विषय पर कानूनी और सामाजिक दृष्टिकोण से बड़ा असर डाल सकता है।

यह भी पढ़ें-

IPL 2025: 14 मार्च से शुरू होगा IPL का 18वां संस्करण, फाइनल 25 मई को, अगले 3 सीजन की तारीखों का खुलासा

RELATED ARTICLES
New Delhi
overcast clouds
28.7 ° C
28.7 °
28.7 °
79 %
3.1kmh
98 %
Tue
36 °
Wed
39 °
Thu
37 °
Fri
28 °
Sat
33 °

Most Popular