Pamban Bridge: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम नवमी के मौके पर देश के पहले वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज, पंबन ब्रिज का उद्घाटन किया। यह सिर्फ एक इंजीनियरिंग की उपलब्धि नहीं है, बल्कि इसे बीजेपी की बड़ी सियासी चाल के तौर पर देखा जा रहा है — खासकर तमिलनाडु में अपनी सियासी जमीन मजबूत करने के लिए।
2.08 किलोमीटर लंबा यह ब्रिज (Pamban Bridge) रामेश्वरम को मुख्य भूमि से जोड़ता है। यह भारत का पहला ऐसा समुद्री ब्रिज है जो ऊपर उठकर जहाजों को रास्ता देता है। स्टेनलेस स्टील से बना, हाई-ग्रेड पेंट और खास वेल्डिंग टेक्निक से तैयार यह ब्रिज आने वाले सालों के लिए मजबूती का प्रतीक है।
रामेश्वरम हिंदुओं के लिए एक पवित्र तीर्थ स्थल है और यह वही जगह है जहां से भगवान राम ने लंका जाने के लिए सेतु निर्माण शुरू किया था। ऐसे में इस ब्रिज का उद्घाटन राम नवमी पर करना केवल एक इत्तेफाक नहीं, बल्कि सोच-समझकर बनाई गई रणनीति मानी जा रही है।
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Pamban Bridge: देश का पहला वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज: मुख्य विशेषताएं
देश का पहला वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज: भारत में अपनी तरह का पहला पुल, जो रेल संचालन के दौरान ऊपर उठ सकता है ताकि जहाज नीचे से आसानी से गुजर सकें।
स्थान: तमिलनाडु में रामेश्वरम को मुख्य भूमि से जोड़ता है। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण।
लंबाई: 2.08 किलोमीटर लंबा, जिसमें कुल 99 स्पैन (spans) हैं।
लिफ्ट स्पैन की लंबाई: 72.5 मीटर लंबा वर्टिकल लिफ्ट स्पैन जो 17 मीटर की ऊंचाई तक उठ सकता है।
निर्माण लागत: पुल का निर्माण 550 करोड़ रुपये से अधिक की लागत में हुआ है।
दुर्लभ निर्माण तकनीक: स्टेनलेस स्टील रिइंफोर्समेंट, हाई-ग्रेड प्रोटेक्टिव पेंट और फुली वेल्डेड जॉइंट्स से बना, जिससे यह ज्यादा टिकाऊ और कम रखरखाव वाला है।
ड्यूल रेल ट्रैक के लिए डिज़ाइन: भविष्य की मांगों को ध्यान में रखते हुए इसे दो रेल ट्रैकों के लिए डिज़ाइन किया गया है।
पॉलीसिलॉक्सन कोटिंग: समुद्री वातावरण में जंग से बचाने के लिए विशेष Polysiloxane कोटिंग की गई है।अत्याधुनिक इंजीनियरिंग का नमूना: यह पुल भारतीय इंजीनियरिंग का एक वैश्विक स्तर पर बेहतरीन उदाहरण है।रामायण काल से सांस्कृतिक जुड़ाव: धनुषकोडी (रामेश्वरम) से शुरू हुए राम सेतु के निर्माण के प्रतीक के रूप में इसका विशेष सांस्कृतिक महत्व है।


बीजेपी तमिलनाडु में क्या हासिल करना चाहती है?
तमिलनाडु की राजनीति पर दशकों से द्रविड़ पार्टियों – डीएमके और एआईएडीएमके – का कब्जा रहा है। बीजेपी उत्तर भारत में तो मजबूत है, लेकिन दक्षिण भारत, खासकर तमिलनाडु में उसे अब तक खास सफलता नहीं मिली है।
बीजेपी पिछले कुछ सालों से तमिलनाडु में अपनी पैठ जमाने की कोशिश कर रही है। पंबन ब्रिज का उद्घाटन उस कोशिश का ही हिस्सा है। इसके जरिए पार्टी यह संदेश देना चाहती है कि वह विकास के लिए गंभीर है और साथ ही धार्मिक भावनाओं को भी समझती है।
राम नवमी पर धार्मिक और सियासी संदेश
राम नवमी सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि बीजेपी के लिए एक अवसर बन गया है। रामेश्वरम की ऐतिहासिक और धार्मिक पहचान को जोड़कर पार्टी अपने हिंदुत्व एजेंडे को मजबूती से दक्षिण में पेश करना चाहती है।
इस मौके को ऐसे भी देखा जा रहा है कि बीजेपी तमिलनाडु में ‘रथ यात्रा’ जैसा कोई भावनात्मक मुद्दा तलाश रही है, और राम से जुड़ी इस परियोजना से बेहतर क्या हो सकता था?
क्या बदलेगी रणनीति? अनामलाई से दूरी और गठबंधन की कोशिशें
तमिलनाडु बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के. अनामलाई हाल ही में सुर्खियों में रहे हैं। उनका आक्रामक अंदाज और द्रविड़ पार्टियों पर हमले उन्हें खासा लोकप्रिय बना चुके हैं। लेकिन अब खबरें हैं कि पार्टी ने उन्हें थोड़ा साइडलाइन किया है। इसकी वजह मानी जा रही है बीजेपी और एआईएडीएमके के बीच फिर से गठबंधन की संभावनाएं।
पिछले चुनाव में दोनों पार्टियों का साथ था, लेकिन बाद में दूरी बन गई। अब 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी एक बार फिर एआईएडीएमके के साथ आने की तैयारी में है। अनामलाई की बयानबाज़ी इसमें अड़चन बन सकती थी, इसलिए पार्टी ने थोड़ी नरमी अपनाने की रणनीति बनाई है।
बड़ा गठबंधन बन सकता है गेमचेंजर?
बीजेपी की योजना सिर्फ एक पार्टी से नहीं, बल्कि तमिलनाडु की कई छोटी-बड़ी पार्टियों को साथ लाकर एक बड़ा मोर्चा बनाने की है। विकास और हिंदुत्व का कॉम्बो पेश कर बीजेपी आम जनता तक यह संदेश देना चाहती है कि वह सिर्फ नॉर्थ इंडिया की पार्टी नहीं, बल्कि पूरे भारत की है।
पंबन ब्रिज इस पूरे नैरेटिव का हिस्सा है। यह ब्रिज न सिर्फ आवाजाही को आसान बनाएगा, बल्कि बीजेपी के लिए यह दिखाने का जरिया भी बन गया है कि वह तमिलनाडु के हितों को समझती है।
डीएमके के मुकाबले बड़ी चुनौती
डीएमके फिलहाल राज्य में सत्ता में है और उसकी पकड़ मजबूत मानी जाती है। उसका सामाजिक न्याय का एजेंडा, ग्रासरूट लेवल की पकड़ और तमिल पहचान का मुद्दा बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं।
लेकिन बीजेपी की नई रणनीति – बड़े प्रोजेक्ट्स, धार्मिक प्रतीकों और गठबंधन राजनीति – से यह साफ है कि वह मैदान में डटे रहने और जीत के लिए पूरी ताकत झोंकने को तैयार है।
ByNews-Views: क्या पंबन ब्रिज खोलेगा दक्षिण का दरवाज़ा?
पंबन ब्रिज सिर्फ एक पुल नहीं, एक प्रतीक है – विकास का, आस्था का और सियासत का। राम नवमी पर इसका उद्घाटन एक भावनात्मक क्षण बना, लेकिन इससे जुड़े सियासी संकेत कहीं ज्यादा बड़े हैं।
अब देखना यह होगा कि क्या यह मास्टरस्ट्रोक वाकई बीजेपी के लिए तमिलनाडु में नई राह खोल पाएगा या फिर यह सिर्फ एक और प्रयास बनकर रह जाएगा।
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