Loksabha election 2024: समाजवादी पार्टी के नेता नारद राय ने अपना रुख पार्टी से अलग कर लिया है। नारद राय को यूपी के बलिया में समाजवादी पार्टी का स्तंभ माना जाता है। नारद राय ने सोमवार रात केन्द्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अमित शाह से मुलाकात की। अमित शाह और नारद राय के साथ मुलाकात के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री ओम प्रकाश राजभर और बीजेपी के नेता सुहेलदेव भी मौजूद थे।
लोकसभा चुनाव 2024 के तहत सातवें चरण की वोटिंग से पहले नारद राय का बीजेपी नेताओं से मिलना सपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इस बार लोकसभा चुनावों में सपा ने नारद राय को टिकट नहीं दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि टिकट ना मिलने से नारद राय नाराज हैं।
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नारद राय को नहीं दिया टिकट:
दरअसल, लोकसभा चुनाव 2024 के लिए समाजवादी पार्टी ने नारद राय को अपना उम्मीदवार नहीं बनाया। सपा ने उनकी जगह दूसरे को टिकट दिया। समाजवादी पार्टी ने बलिया लोकसभा सीट से सनातन पांडेय को अपना प्रत्याशी बनाया है। वहीं बताया जा रहा है कि इस सीट से नारद राय खुद के लिए टिकट मांग रहे थे। ऐसे में टिकट ना मिलने से नारद राय नाराज बताए जा रहे हैं।
वहीं सोमवार रात नारद राय ने केन्द्रीय गृह मंत्री से मुलाकात की। उन्होंने इसकी एक तस्वीर भी शेयर की। फोटो पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा कि भारत का डंका दुनिया में बजाने वाले पीएम मोदी, गृह मंत्री और राजनीति के चाणक्य अमित शाह के संकल्प की ग़रीब को मज़बूत करने वाली सोच और राष्ट्रवादी विचारधारा को मज़बूत करेंगे। साथ ही उन्होंने जय जय श्री राम लिखा। वहीं अमित शाह से मुलाकात से पहले नारद राय ने अपने घर पर समर्थकों के साथ बैठक भी की।
पार्टी छोड़ते हैं तो तकलीक होती है:
नारद राय ने आजतक से खास बातचीत में कहा कि जब घर-परिवार छोड़ते हैं या पार्टी छोड़ते हैं तो तकलीफ तो होती ही है। नारद राय ने कहा कि उन्होंने इस पार्टी को अपनी जिंदगी के 40 साल दिए हैं। नारद राय ने आज तक को बताया कि उन्हें छात्र राजनीति से निकालकर मुख्य धारा की राजनीति में छोटे लोहिया (जनेश्वर मिश्र) लाए थे।
उन्होंने आगे बताया कि जनेश्वर मिश्र के आशीर्वाद की वजह से ही वह एमएलए बने, मंत्री बने। नारद राय ने कहा कि जब जनेश्वर मिश्र का निधन हुआ तो वह रो रहे थे तब मुलायम सिंह यादव ने उनसे कहा था कि जब तक रहूंगा तब तक कभी भी जनेश्वर मिश्र की कमी महसूस नहीं होने देंगे। नारद राय ने कहा कि दुर्भाग्य से अब नेताजी भी नहीं रहे।
अखिलेश यादव ने हराने का पूरा इंतजाम किया:
नारद राय ने आगे कहा कि वे मुलायम सिंह के साथ हमेशा एक बेटे की तरह बनकर खड़े रहे। जब अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी में हिस्सा मांगा और अध्यक्ष बनने की जिद की तो उन्हें समझाया कि नेताजी का सम्मान मत घटाइए, उन्हें जिंदगीभर पार्टी का अध्यक्ष बने रहने दीजिए बाकी सबकुछ तो आप लोगों का ही है।
नारद राय ने कहा कि नेताजी की इच्छा से वह लड़ते रहे और इस दौरान अखिलेश यादव से दूरियां बढ़ती गई। 2017 के विधानसभा चुनावों में अखिलेश यादव ने टिकट नहीं दिया लेकिन नेताजी की जिद थी कि नारद राय को चुनाव लड़ाना है। इसके बाद 2022 के चुनावों में अखिलेश यादव ने टिकट तो दिया लेकिन हराने के लिए सीधे—सीधे इंतजाम भी किए।
अंसारी परिवार के दबाव में काटा टिकट:
नारद राय ने कहा कि पार्टी पदाधिकारियों से शिकायत करने के बाद भी उन लोगों पर एक्शन नहीं हुआ जो उनका विरोध कर रहे थे। साथ ही उन्होंने कहा कि किसी छोटे नेता को भी उनके क्षेत्र में नहीं भेजा गया। पहली बार हुआ कि सपा का कोई राष्ट्रीय अध्यक्ष बलिया मुख्यालय पर नहीं आया। नारद राय ने कहा कि यह मैसेज दिया गया कि नारद राय तो मुलायम सिंह के उम्मीदवार हैं और अखिलेश यादव उन्हें पसंद नहीं करते।
नारद राय ने कहा कि इतना सब होने के बाद भी वह लगे रहे और कोशिश करते रहे कि रिश्ते बने रहें। नारद राय ने कहा कि चुनाव के बाद भी नेताजी अखिलेश को कहते थे कि नारद राय का ख्याल रखो। साथ ही उन्होंंने बताया जब अखिलेश ने उन्हें बुलाया तो मैंने कहा कि चुनाव लड़ने के लिए मेरे पास पैसे नहीं है। इस पर अखिलेश ने नारद राय से कहा कि पैसे का इंतजाम हो जाएगा। लेकिन अचानक अंसारी परिवार के दबाव में टिकट काट दिया गया।
अंसारी परिवार का दरबारी बनकर राजनीति नहीं करूंगा:
नारद राय ने कहा कि जब अंसारी परिवार को पार्टी में शामिल किया गया तो विरोध करने पर बलराम यादव को सरकार से बर्खास्त कर दिया गया। शिवपाल यादव को भी पार्टी से निकाल दिया गया गया था। जब वह माफिया मरा तो अखिलेश उसके घर गए। अंसारी परिवार के दबाव में आकर मेरा टिकट काट दिया गया। नारद राय ने कहा कि वह अंसारी परिवार के दरबारी बनकर राजनीति नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि वह सिर्फ जनता के दरबारी हैं और जनता के लिए ही संघर्ष करेंगे।
अखिलेश नाम भूल गए तो हम उन्हें याद करके क्या करेंगे:
नारद राय ने कहा कि इससे ज्यादा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि संगठन के लोगों ने मंच पर उनका नाम ही नहीं दिया। जब अखिलेश यादव संबोधन करते हैं तो वह भी उनका नाम नहीं लेते। जब वह नाम भूले जा रहे है तो हम उनको याद करके क्या करेंगे। नारद राय ने कहा कि
इस वजह से उन्होंने फैसला किया है कि वह अब अखिलेश यादव के साथ नहीं रहेंगे। नारद राय ने कहा कि वह आभारी है कि ओम प्रकाश राजभर और नीरज शेखर ने उनसे संपर्क किया। साथ ही उन्होंने कहा कि अमित शाह से उनकी मुलाकात हुई और उन्होंने मान सम्मान का ख्याल रखने का वादा किया।