Bihar Elections: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के ऐलान से महज एक दिन पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को बड़ा राजनीतिक झटका लगा है। मधुबनी जिले के पार्टी प्रभारी अनिसुर रहमान ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, जिससे स्थानीय संगठन में हड़कंप मच गया है। यह घटनाक्रम पार्टी के लिए चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि मधुबनी जैसे महत्वपूर्ण जिले में RJD की मजबूत पकड़ को कमजोर करने का खतरा है। चुनाव आयोग ने 6 अक्टूबर को बिहार चुनाव का शेड्यूल घोषित किया था, जिसमें दो चरणों (6 और 11 नवंबर) में वोटिंग और 14 नवंबर को मतगणना का प्रावधान है। ऐसे में यह इस्तीफा विपक्षी महागठबंधन की एकता पर सवाल खड़े कर रहा है।
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Bihar Elections: इस्तीफे की वजह, अनदेखी और स्थानीय नेताओं का दमन
मधुबनी जिला प्रभारी का इस्तीफा पार्टी नेतृत्व की अनदेखी और स्थानीय नेताओं की आवाज को दबाए जाने के कारण हुआ है। प्रभारी ने अपने इस्तीफा पत्र में आरोप लगाया कि उच्च स्तर पर फैसले लेने में जिला स्तर के कार्यकर्ताओं की कोई सुनवाई नहीं हो रही। उन्होंने कहा कि संगठन में बाहरी उम्मीदवारों को प्राथमिकता देकर समर्पित कार्यकर्ताओं का अपमान किया जा रहा है, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में भी देखा गया था। मधुबनी, जो कोसी क्षेत्र का एक प्रमुख जिला है, में RJD की पारंपरिक ताकत है। यहां से पार्टी ने कई विधानसभा सीटें जीती हैं, लेकिन यह इस्तीफा कार्यकर्ताओं के मनोबल को गिरा सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह RJD में लंबे समय से चली आ रही अंदरूनी कलह का नया अध्याय है।
Bihar Elections: RJD का आधिकारिक बयान गैरमौजूद, सस्पेंस बरकरार
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने अभी तक इस इस्तीफे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, जो RJD के युवा चेहरे हैं, ने सोशल मीडिया पर चुनावी रणनीति पर फोकस करते हुए इस मुद्दे को नजरअंदाज करने की कोशिश की है। हालांकि, पार्टी के एक स्थानीय नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यह घटना संगठनात्मक कमजोरी को उजागर करती है। RJD अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की अनुपस्थिति में तेजस्वी को पार्टी की कमान संभालनी पड़ रही है, लेकिन जिला स्तर पर असंतोष बढ़ रहा है। विश्लेषकों का कहना है कि यदि समय रहते इस मुद्दे का समाधान नहीं हुआ, तो यह महागठबंधन (RJD, कांग्रेस, वाम दलों और VIP) की एकजुटता को प्रभावित कर सकता है।
Bihar Elections: चुनावी रणनीति पर संभावित असर, कार्यकर्ता नाराज
मधुबनी जिले में RJD की 10 विधानसभा सीटें हैं, जहां यादव, मुस्लिम और OBC वोटरों का बड़ा आधार है। इस इस्तीफे से स्थानीय कार्यकर्ताओं में निराशा फैल गई है। एक कार्यकर्ता ने कहा, हमारी मेहनत को नजरअंदाज किया जा रहा है, जबकि चुनावी टिकटों का वितरण ऊपर से तय हो रहा है। 2020 के चुनावों में RJD ने मधुबनी में अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन NDA (BJP-JD(U)) ने कई सीटें छीन ली थीं। इस बार तेजस्वी की ‘माई फॅमिली माई स्ट्रेंथ’ कैंपेन पर जोर है, लेकिन आंतरिक कलह से उम्मीदवार चयन और प्रचार प्रभावित हो सकता है। विपक्षी दलों, खासकर BJP ने इसे RJD की कमजोरी बताते हुए हमला बोला है। BJP प्रवक्ता ने कहा, RJD में कलह साफ दिख रही है, जनता महागठबंधन को ‘महा-कलह’ समझ रही है।
Bihar Elections: पिछले इस्तीफों का सिलसिला: RJD की पुरानी समस्या
यह RJD के लिए कोई नई बात नहीं है। 2024 में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष देवेंद्र प्रसाद यादव ने बाहरी उम्मीदवारों के आयात के विरोध में इस्तीफा दिया था। इसी तरह, पूर्व केंद्रीय मंत्री मोहम्मद अली अशरफ फात्मी ने JD(U) छोड़कर RJD में वापसी की कोशिश की, लेकिन मधुबनी-दरभंगा क्षेत्र में टिकट न मिलने से असंतोष बढ़ा। 2025 चुनावों से पहले JD(U) विधायक संजीव कुमार ने हाल ही में RJD जॉइन किया, जो खगड़िया में फायदेमंद साबित हो सकता है। लेकिन मधुबनी जैसे संवेदनशील जिले में नुकसान पार्टी के लिए महंगा पड़ सकता है। विश्लेषक कहते हैं कि RJD को जातिगत समीकरण (मुस्लिम-यादव) पर निर्भर रहना पड़ेगा, लेकिन आंतरिक एकता न होने से वोट ट्रांसफर प्रभावित होगा।
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