Saurabh Sharma: मध्य प्रदेश के बहुचर्चित परिवहन घोटाले के मुख्य आरोपी और परिवहन विभाग के पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा को मंगलवार को लोकायुक्त पुलिस ने भोपाल के न्यायालय परिसर के बाहर हिरासत में ले लिया। सौरभ शर्मा अदालत में आत्मसमर्पण करने जा रहा था, लेकिन न्यायालय के बाहर से ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया। इस पर सौरभ के वकील ने लोकायुक्त की कार्रवाई को नियम विरुद्ध बताते हुए कड़ी आपत्ति जताई है। सौरभ शर्मा की गिरफ्तारी के बाद उसका राजदार चेतन गौर भी पकड़ा गया है। सौरभ शर्मा की निशानदेही पर भोपाल की अरेरा कॉलोनी से गिरफ्तार किया है।
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लोकायुक्त ने नियमों का उल्लंघन करने का आरोप
सौरभ शर्मा के वकील राकेश पाराशर ने आरोप लगाया कि लोकायुक्त ने उनके मुवक्किल को आत्मसमर्पण के लिए न्यायालय परिसर पहुंचने से पहले ही हिरासत में ले लिया, जो कि नियमों के खिलाफ है। उन्होंने मांग की है कि सौरभ का तत्काल स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाए और उसकी हिरासत की वीडियोग्राफी की जाए। वकील ने यह भी कहा कि वीडियोग्राफी की तीन कॉपियां बनाकर न्यायालय, लोकायुक्त और उनके पास सौंपी जानी चाहिए।
41 दिन से फरार था आरोपी
सौरभ शर्मा पिछले 41 दिनों से फरार था। 19 दिसंबर 2024 को लोकायुक्त की टीम ने उसके घर और उसके करीबी चेतन गौर के ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस छापेमारी में 11 करोड़ रुपये नकद, 52 किलोग्राम सोना और बेनामी संपत्तियों के कागजात बरामद किए गए थे। इसके बाद से ही सौरभ शर्मा और उसकी पत्नी दिव्या तिवारी लापता हो गए थे।
सोमवार को हुई थी कोर्ट में पेशी की कोशिश
इससे पहले, सोमवार को सौरभ शर्मा ने भोपाल जिला न्यायालय में विशेष न्यायाधीश राम प्रसाद मिश्र के सामने पेश होने का आवेदन दिया था। उसने गुपचुप तरीके से कोर्ट पहुंचकर आत्मसमर्पण का प्रार्थनापत्र दाखिल किया और फिर गायब हो गया। अदालत ने लोकायुक्त और अन्य जांच एजेंसियों से मंगलवार को केस डायरी के साथ पेश होने के निर्देश दिए थे।
वकील का बयान और लोकायुक्त की सक्रियता
सौरभ शर्मा के वकील ने मंगलवार को लोकायुक्त की कार्रवाई को गलत बताते हुए कहा कि उनके मुवक्किल को नियमों के तहत आत्मसमर्पण करने का अवसर दिया जाना चाहिए था। उधर, सौरभ के न्यायालय में पहुंचने की जानकारी मिलते ही लोकायुक्त और अन्य जांच एजेंसियां सक्रिय हो गईं और अदालत के बाहर ही उसे हिरासत में ले लिया।
मामले पर गरमाई सियासत
मध्य प्रदेश में इस मामले को लेकर सियासी तापमान बढ़ गया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सौरभ शर्मा को भाजपा नेताओं का संरक्षण प्राप्त है। कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा कि यदि सौरभ से सख्ती से पूछताछ की जाए, तो बड़े खुलासे हो सकते हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सरकार इस मामले में जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है।
संपत्ति और घोटाले की गंभीरता
लोकायुक्त की छापेमारी में बरामद 11 करोड़ रुपये और 52 किलोग्राम सोना इस बात का संकेत देते हैं कि परिवहन विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा था। इसके अलावा, सौरभ शर्मा के पास से बेनामी संपत्तियों के कई दस्तावेज भी मिले हैं, जिनकी जांच की जा रही है।
आगे की कार्रवाई
लोकायुक्त ने मंगलवार को अदालत के निर्देश पर केस डायरी पेश की। अब अदालत में सौरभ शर्मा के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई होगी। साथ ही, उसके वकील ने मांग की है कि हिरासत के दौरान उसके मुवक्किल के साथ किसी प्रकार की ज्यादती न हो और सभी प्रक्रिया न्यायसंगत तरीके से पूरी की जाए।
अग्रिम जमानत प्रार्थनापत्र भी दाखिल
सौरभ शर्मा ने 26 दिसंबर को भी अग्रिम जमानत के लिए प्रार्थनापत्र दाखिल किया था, लेकिन उसके फरार रहने के कारण अदालत ने इसे खारिज कर दिया। अब जब वह हिरासत में है, तो लोकायुक्त और अन्य जांच एजेंसियां उससे पूछताछ कर सकती हैं, जिससे घोटाले से जुड़े कई बड़े नामों का खुलासा हो सकता है।
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