15.1 C
New Delhi
Friday, January 17, 2025
HomeदेशSupreme Court: चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना और डाउनलोड करना दोनों अपराध, सुप्रीम कोर्ट...

Supreme Court: चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना और डाउनलोड करना दोनों अपराध, सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

Supreme Court: चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना और डाउनलोड करना, दोनों पॉक्सो अधिनियम के तहत अपराध की श्रेणी में आएंगे।

Supreme Court: सर्वोच्च न्यायालय ने अपने हालिया फैसले में स्पष्ट किया है कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना और डाउनलोड करना, दोनों ही POCSO (Protection of Children from Sexual Offences) अधिनियम के तहत अपराध की श्रेणी में आते हैं। यह निर्णय उस याचिका के संदर्भ में आया है, जिसमें मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई थी। मद्रास उच्च न्यायालय ने पहले कहा था कि निजी तौर पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना या उसे डाउनलोड करना POCSO अधिनियम के दायरे में नहीं आता। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी का किसी भी रूप में उपभोग, चाहे वह देखने या डाउनलोड करने के रूप में हो, कानून के तहत सख्त अपराध है और इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

चाइल्ड पोर्न देखना और स्टोर करना अपराध

सर्वोच्च न्यायालय ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए यह न केवल स्पष्ट किया कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना और डाउनलोड करना POCSO अधिनियम के तहत अपराध है, बल्कि केंद्र सरकार को एक महत्वपूर्ण सुझाव भी दिया। न्यायालय ने कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी शब्द को बदलकर बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार सामग्री (Child Sexual Abuse and Exploitation Material) किया जाना चाहिए। इस फैसले का मुख्य उद्देश्य बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और समाज में चाइल्ड पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों को रोकना है।

सुप्रीम कोर्ट ने पलटा मद्रास हाईकोर्ट का फैसला

आपको बता दें कि इसी साल मार्च में मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने एक याचिका पर नोटिस जारी किया था, जिसमें मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें कहा गया था कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना और उसे अपने पास रखना कोई अपराध नहीं है। इस फैसले ने यह सवाल उठाया कि क्या बाल यौन शोषण सामग्री को केवल देखने या रखने पर आपराधिक कार्रवाई होनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस

सर्वोच्च न्यायालय ने इस याचिका को गंभीरता से लेते हुए नोटिस जारी किया और मामले की गहन सुनवाई की। अंततः, न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले को पलट दिया, और यह स्पष्ट किया कि बाल पोर्नोग्राफी देखना, डाउनलोड करना, या उसे अपने पास रखना POCSO अधिनियम के तहत अपराध है।

हाईकोर्ट ने आरोपी को किया दोषमुक्त

मद्रास उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में चेन्नई के 28 वर्षीय व्यक्ति को दोषमुक्त करते हुए यह कहा था कि निजी तौर पर बाल पोर्नोग्राफी देखना POCSO (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम के दायरे में नहीं आता है। उच्च न्यायालय का तर्क था कि यदि कोई व्यक्ति इसे निजी तौर पर देखता या डाउनलोड करता है, तो इसे POCSO अधिनियम के तहत अपराध नहीं माना जा सकता।

बच्चों से जुड़ा सेक्सुअल कंटेंट पर ऐतिहासिक फैसला

इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की गई, जिसमें यह तर्क दिया गया कि बच्चों के यौन शोषण से जुड़ी सामग्री का किसी भी प्रकार से उपभोग एक गंभीर अपराध है, चाहे वह निजी तौर पर ही क्यों न किया जाए। सर्वोच्च न्यायालय ने इस फैसले को पलटते हुए स्पष्ट किया कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना, डाउनलोड करना, या उसे अपने पास रखना POCSO अधिनियम के तहत अपराध है, और इसे सख्ती से रोका जाना चाहिए।

RELATED ARTICLES
New Delhi
mist
15.1 ° C
15.1 °
15.1 °
77 %
4.1kmh
20 %
Fri
21 °
Sat
23 °
Sun
25 °
Mon
25 °
Tue
25 °

Most Popular