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Patanjali case: सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद बाबा रामदेव ने बड़े आकार में फिर से छपवाया माफीनामा, जानिए क्या लिखा है इसमें

Patanjali case: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि क्या ये माफीनामा उतने ही साइज का था, जितने साइज के पंतजलि विज्ञापन देती है। इस पर बाबा रामदेव ने दोबारा माफीनामा छपवाने की इजाजत मांगी थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। इसके बाद पतंजलि की ओर से आज फिर से माफीनामा अखबारों में छपवाया गया है।

Patanjali case: सुप्रीम कोर्ट से फटकार पड़ने के बाद योग गुरु बाबा रामदेव ने एक बार फिर से सार्वजनिक रूप से माफी मांग ली है। मंगलवार को पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को फिर से बड़े शब्दों में माफीनामा छपवाने को कहा था। इसके बाद आज पतंजलि की तरफ से अखबारों में एक नया विज्ञापन जारी कर माफी मांगी गई है।

दरअसल, मंगलवार को पतंजलि विज्ञापन मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से पूछा था कि माफीनामे का विज्ञापन कहां प्रकाशित हुआ है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि क्या ये माफीनामा उतने ही साइज का था, जितने साइज के पंतजलि विज्ञापन देती है। इस पर बाबा रामदेव ने दोबारा माफीनामा छपवाने की इजाजत मांगी थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। इसके बाद पतंजलि की ओर से आज फिर से माफीनामा अखबारों में छपवाया गया है।

क्या लिखा है पतंजलि के नए माफीनामे में:

योग गुरु बाबा रामदेव पतंजलि और आचार्य बालकृष्ण के नाम से अखबारों में छपवाए गए माफीनामे में लिखा है कि देश के सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चल रहे एक मामले के मद्देनजर वे अपनी व्यक्तिगत क्षमता के साथ-साथ पतंजलि की ओर से माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों/आदेशों का पालन ना करने अथवा अवज्ञा के लिए बिना शर्त माफी मांगते हैं।

बड़े आकार में छपवाया माफीनामा:

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद पतंजलि की ओर से अखबारों में बड़े आकार में बिना शर्त सार्वज निक माफीनामा छपवाया गया है। इस माफीनामें में लिखा है कि पतंजलि 22.11.2023 को संवाददाता सम्मेलन आयोजित करने के लिए भी क्षमाप्रार्थी है। साथ ही आगे लिखा है कि विज्ञापन के प्रकाशन में हुई गलती के लिए वे ईमानदारी से क्षमाप्रार्थी हैं और ऐसी गलती भविष्य में दोबारा नहीं होगी।

इसके साथ ही पतंजलि की ओर से छपवाए गए माफीनामे में लिखा है कि पूरी निष्ठा और सावधानी से वह माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। इसके साथ ही आगे लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट का सम्मान बनाए रखने उनके कानूनों का पालन करने और माननीय कोर्ट और संबंधित अधिकारियों के निर्देशों का पालन करने का वचन देते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में यह कहा था:

भ्रामक विज्ञापन मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हूई सुनवाई के दौरान न्यायालय ने योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से कोर्ट ने पूछा कि माफीनामे का विज्ञापन कहां छपा है। इस पर न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ को बाबा रामदेव और बालकृष्ण ने बताया कि उन्होंने 10 लाख रुपए खर्च कर 67 अखबारों में भ्रामक विज्ञापनों पर बिना शर्त माफी मांगी है।

जब सुप्रीम कोर्ट ने माफीनामे के आकार पर प्रश्न किया पतंजलि की ओर से अखबारों में फिर से बिना शर्त माफी मांगने की इजाजत मांगी। इस पर कोर्ट ने योग गुरु और बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से कहा कि अखबारों में छपा माफीनामा रिकॉर्ड पर नहीं है और यह दो दिन के अंदर दाखिल किया जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 30 अप्रैल तय की है।

स्वास्थ्य मंत्रालय को भी लगाई फटकार:

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वास्थ्य मंत्रालय को भी आड़े हाथों लिया। कोर्ट ने कहा कि उन्हें एक याचिका प्राप्त हुई है, जिसमें पतंजलि के खिलाफ याचिका दायर करने के लिए आईएमए पर 1000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की बात कही गई है। इस पर योग गुरु के वकील मुकुल रोहतगी ने स्पष्ट किया कि इस याचिका से उनका कोई लेना-देना नहीं है। इसके साथ ही

सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक सूचनाओं पर कार्रवाई करने के लिए नियमों में संसोधन करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय को भी फाटकर लगाई। जस्टिस कोहली ने कहा कि अगर आप नियम 170 वापस लेना चाहते हैं तो आपके साथ क्या हुआ। साथ ही कोर्ट ने कहा कि आप उत्तरदाताओं द्वारा “पुरातन” कहे गए अधिनियम के तहत कार्य करना क्यों चुनते हैं?

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