Loksabha election 2024: अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद लोकसभा के पांचवें चरण चुनाव में दिखाई दिया कि ‘नए कश्मीर’ में लोकतांत्रिक व्यवस्था कितनी मजबूत हो गई है। इस बार जम्मू-कश्मीर के बारामूला में रिकॉर्ड मतदान हुआ है। बारामूल को मिलिटेंसी के लिए जाना जाता है।
तनाव के चलते यहां पिछले कई वर्षों से लोग चुनाव में भाग नहीं लेते थे। लेकिन इस बार यहां मतदान ने एक रिकॉर्ड कायम किया है। 1984 की बाद जम्मू-कश्मीर की बारामूला लोकसभा सीट पर 59% मतदान हुआ। सोपोर विधानसभा क्षेत्र में 44.36 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया। बता दें कि पिछले कुछ दशकों में यह 10 प्रतिशत से भी कम था।
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बारामूला की बहनों और भाइयों का लोकतंत्र पर अटूट विश्वास:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बारामूला लोकसभा क्षेत्र में अब तक का सबसे अधिक मतदान होने पर वहां की जनता का शुक्रिया अदा किया। PM मोदी ने एक्स हैंडल पर पोस्ट के द्वारा बारामूला की उनकी बहनों और भाइयों को लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता के लिए बधाई दी। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे एक शानदार ट्रेंड बताया है ।
राज्यपाल मनोज सिन्हा ने दिया जनता को धन्यवाद:
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा के पीएम मोदी की पोस्ट को रिपोस्ट करते हुए बारामूला की जनता को धन्यवाद दिया। मनोज सिन्हा ने अपने पोस्ट में लिखा कि 58 प्रतिशत से अधिक मतदान, बहुत उत्साहजनक है और लोकतंत्र में लोगों के दृढ़ संकल्प और अटूट विश्वास को दर्शाता है। उन्होंने बारामूला की जनता को अपने लोकतंत्र के महाकुंभ में बड़ी संख्या में शामिल होने के लिए धन्यवाद देते हुए बधाई भी दी।
क्या बोले मुख्य चुनाव आयुक्त:
जम्मू-कश्मीर के मतदाताओं को मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने भी धन्यवाद दिया। उन्होंने लोगों को बड़ी संख्या में (केंद्र शासित प्रदेश) यूटी में लोकतांत्रिक शासन के लिए आगे आने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इसने पैनल को यूटी में जल्द से जल्द चुनाव कराने के लिए प्रेरित किया है। अभी तक सबसे अधिक 72 प्रतिशत मतदान हंदवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में हुए हैं।
1984 के बाद बारामूला में सबसे अधिक मतदान:
1984 में बारामूला में सबसे अधिक मतदान हुआ था। उस समय यहां 59.90 प्रतिशत मतदान हुआ था। बारामूला में कुल 1737865 पंजीकृत मतदाता हैं। इस बार यहां से 22 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। इसमें पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद गनी लोन और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला भी इसमें शामिल हैं। यहां इस बार रिकॉर्ड मतदान की कई वजहें बताई जा रही हैं। इसमें सबसे अहम भूमिका आर्टिकल 370 की समाप्ति ने निभाई है।आर्टिकल 370 खत्म होने के बाद से गवर्नर रूल है।
इन वजहों से हुआ अधिक मतदान:
राजनीतिक गतिविधियां और चुनावी प्रक्रिया पिछले पांच वर्षों से रुकी हुई हैं। ऐसे में, यहां पर ऐसा मतदान होना लोकतांत्रिक प्रक्रिया की फिर से वापसी का संकेत है। चुनाव को लेकर राजनीतिक एक्टिविस्ट और कार्यकर्ता काफी उत्साहित नजर आए। यहां इस बार मतदान करने के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।
बारामूला में मतदान में बेहतर सुरक्षा व्यवस्था के माहौल की वजह से जबरदस्त इजाफा हुआ है। यहां पिछले तीन दशक में पहली बार कोई आतंकी धमकी नहीं थी, और चुनाव के बहिष्कार का कोई आह्वान नहीं था। जिससे चलते हुए लोगों में कोई भय नहीं था और वे खुलकर मतदान करने के लिए अपने घरों से निकलकर मतदान केंद्रों पर पहुंचे।