Kolkate Rape Murder Case: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुए बलात्कार और हत्या मामले की जांच में गंभीर खामियां पाई हैं। सूत्रों के अनुसार, सबसे बड़ी चूक तब सामने आई जब मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि उन्हें पीड़िता के शव की जांच के लिए केवल 20 मिनट का समय मिला, जो मामले की गंभीरता को देखते हुए असामान्य रूप से कम माना जा रहा है। इस समय सीमा को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं, क्योंकि इतनी बड़ी घटना की पूरी और विस्तृत जांच के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया था। सीबीआई इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आगे की जांच में जुटी है और अन्य संभावित खामियों की भी जांच कर रही है। यह घटना पहले से ही बहुत संवेदनशील थी, और अब जांच में आई इन चूकों ने इसे और अधिक जटिल बना दिया है।
Table of Contents
सीबीआई को जांच रिपोर्ट में बड़ी खामियां मिलीं
कानूनी शब्दों में, जांच रिपोर्ट एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जिसे पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट द्वारा तब तैयार किया जाता है जब कोई व्यक्ति अचानक, अनजाने में, या हिंसक तरीके से मरता है। इसका उद्देश्य मृतक की पहचान करना, मौत का कारण जानना, और यह निर्धारित करना होता है कि मौत अप्राकृतिक या संदिग्ध परिस्थितियों में हुई है या नहीं। इस रिपोर्ट में निम्नलिखित बिंदुओं का समावेश होता है:
मृतक की पहचान (नाम, उम्र, पता आदि)
मौत का कारण (प्राकृतिक, दुर्घटना, आत्महत्या या हत्या)
मौत के समय और स्थान का विवरण
परिस्थितियाँ, जिनके तहत मौत हुई है
चिकित्सा रिपोर्ट, जिसमें शव परीक्षण (पोस्टमार्टम) के निष्कर्ष शामिल होते हैं।
70 मिनट में पोस्टमार्टम
सूत्रों के अनुसार, न्यायिक मजिस्ट्रेट को पीड़िता के शव की जांच के लिए बहुत कम समय दिया गया था, जो कि इस गंभीर मामले के संदर्भ में चिंताजनक है। जांच अधिकारियों का मानना है कि जांच रिपोर्ट तैयार करने में भी जल्दीबाजी की गई, जिससे पूरी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठता है। इसके अलावा, पोस्टमार्टम प्रक्रिया को केवल 70 मिनट में पूरा कर लिया गया, जो कि इतनी संवेदनशील और जटिल घटना के लिए असामान्य रूप से कम समय है। इस तरह की जल्दबाजी ने जांच में अनियमितताओं की आशंका को बढ़ा दिया है, और यह स्पष्ट करता है कि मामले की गहन और व्यापक जांच की आवश्यकता है।
शरीर पर लगे घावों के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं
सूत्रों के अनुसार, अधिकारियों ने जांच में दूसरी बड़ी लापरवाही यह पाई कि रिपोर्ट में पीड़िता के शरीर पर लगे घावों के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी गई। यह विवरण घटना की गंभीरता को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, जांच अधिकारियों ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट और शहर पुलिस की जब्ती सूची में बड़े विरोधाभासों की पहचान की है। यह विरोधाभास तब सामने आया जब केंद्रीय एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले की जांच का जिम्मा संभाला।