Jammu and Kashmir: जम्मू-कश्मीर के संवेदनशील पुंछ जिले में सोमवार शाम एक दर्दनाक घटना ने सुरक्षा बलों को झकझोर दिया। 16 राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) के मुख्यालय के अंदर ग्रेनेड विस्फोट में एक सैनिक शहीद हो गया। सुरनकोट क्षेत्र में हुई इस घटना ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी है। अधिकारी दुर्घटनावश विस्फोट की आशंका जता रहे हैं, लेकिन जांच पूरी होने तक किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी। यह घटना सीमा पर तैनात बलों की चुनौतियों को उजागर करती है, जहां आतंकवाद और सीमा घुसपैठ के खतरे हमेशा बरकरार रहते हैं।
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Jammu and Kashmir: विस्फोट की घटना और प्रारंभिक विवरण
सोमवार शाम करीब 7:45 बजे सुरनकोट क्षेत्र के 16 आरआर मुख्यालय में अचानक विस्फोट की आवाज गूंजी। विस्फोट इतना जोरदार था कि मुख्यालय के अंदर तैनात एक सैनिक की मौके पर ही मौत हो गई। अधिकारी ने बताया कि शहीद सैनिक सेंट्री गार्ड ड्यूटी पर तैनात था, जब ग्रेनेड फट गया। प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अनुसार, यह दुर्घटनावश ग्रेनेड हैंडलिंग के दौरान हुआ प्रतीत होता है। सैनिक का नाम अभी गोपनीय रखा गया है, लेकिन सेना ने उनके परिवार को सूचित कर दिया है। विस्फोट के बाद मुख्यालय में हड़कंप मच गया, लेकिन अन्य सैनिक सुरक्षित बताए जा रहे हैं। सेना ने तुरंत इलाके को सील कर दिया और घेराबंदी की।
Jammu and Kashmir: जांच और संभावित कारण
जिला प्रशासन और सेना ने विस्फोट के सटीक कारणों का पता लगाने के लिए व्यापक जांच शुरू कर दी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह स्पष्ट नहीं है कि विस्फोट दुर्घटनावश हुआ या बाहरी साजिश का हिस्सा है। सभी पहलुओं पर विचार किया जा रहा है।” फोरेंसिक टीमें और पुलिस जांचकर्ता मौके पर पहुंच चुके हैं, जो सबूतों की बारीकी से पड़ताल कर रही हैं। गोला-बारूद के आकस्मिक संचालन, तकनीकी खराबी या हैंडलिंग में लापरवाही की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा। हाल ही में डोडा जिले में एक सैनिक की सेवा हथियार के आकस्मिक छुटने से मौत हुई थी, जो ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति दर्शाती है। सेना ने कहा कि जांच रिपोर्ट जल्द ही सार्वजनिक की जाएगी, और यदि कोई लापरवाही पाई गई तो कड़ी कार्रवाई होगी। आतंकवादी घुसपैठ की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि पुंछ एलओसी के करीब है।
Jammu and Kashmir: राष्ट्रीय राइफल्स की भूमिका
राष्ट्रीय राइफल्स जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद-रोधी तंत्र का मजबूत स्तंभ है। यह इकाई स्थानीय पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के साथ मिलकर आंतरिक क्षेत्रों में आतंकवाद का मुकाबला करती है। 16 आरआर विशेष रूप से पुंछ-राजौरी सेक्टर में सक्रिय है, जहां घुसपैठ के प्रयास आम हैं। ये यूनिट जंगलों और पहाड़ी इलाकों में ऑपरेशन चलाती हैं, जो उच्च जोखिम वाले होते हैं। पिछले वर्षों में पुंछ में कई आतंकी मुठभेड़ें हुई हैं, जिनमें राष्ट्रीय राइफल्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शहीद सैनिक जैसे जवान इन चुनौतियों का सामना करते हैं, जहां हर पल सतर्कता जरूरी है।
एलओसी और आईबी पर सुरक्षा व्यवस्था
भारतीय सेना 740 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा (एलओसी) की रक्षा करती है, जो घाटी के बारामूला, कुपवाड़ा, बांदीपोरा जिलों तथा पुंछ, राजौरी और आंशिक रूप से जम्मू जिले में फैली हुई है। वहीं, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) जम्मू संभाग के जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों में 240 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) की निगरानी करता है। इन सीमाओं पर मुख्य खतरा आतंकवादियों की घुसपैठ, हथियारों-गोला-बारूद की तस्करी और पाकिस्तान समर्थित ड्रोन हमलों से है। ड्रोन का इस्तेमाल हथियार, नकदी, ड्रग्स गिराने के लिए किया जाता है, जो जम्मू-कश्मीर में आतंक को हवा देता है। हाल के महीनों में ड्रोन गतिविधियां बढ़ी हैं, जिसके जवाब में सेना ने एंटी-ड्रोन सिस्टम तैनात किए हैं।
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