Jagdeep Dhankhar Resignation: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार (21 जुलाई 2025) को संसद के मानसून सत्र के दौरान अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित पत्र में स्वास्थ्य कारणों और चिकित्सकीय सलाह का हवाला देते हुए संविधान के अनुच्छेद 67(a) के तहत अपने इस्तीफे की घोषणा की। धनखड़ ने पत्र में लिखा, स्वास्थ्य की प्राथमिकता और चिकित्सकीय सलाह का पालन करते हुए, मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से त्यागपत्र दे रहा हूं।
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Jagdeep Dhankhar Resignation: राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का आभार
अपने इस्तीफे में धनखड़ ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद का उनके सहयोग और मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने लिखा कि उपराष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्हें संसद के सभी माननीय सदस्यों से जो स्नेह, विश्वास और सम्मान मिला, वह उनके हृदय में जीवनभर संचित रहेगा।
धनखड़ ने भारत के लोकतंत्र की प्रशंसा करते हुए कहा कि उपराष्ट्रपति के रूप में मिले अनुभव उनके लिए अनमोल हैं। उन्होंने कहा, भारत के आर्थिक विकास और अभूतपूर्व परिवर्तनकारी दौर का साक्षी बनना मेरे लिए सौभाग्य और संतोष का विषय रहा है। मुझे भारत के उज्ज्वल भविष्य और वैश्विक नेतृत्व क्षमता पर पूर्ण विश्वास है।
Jagdeep Dhankhar Resignation: कपिल सिब्बल ने क्या कहा
धनखड़ के इस्तीफे पर राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा, मैं उनके इस्तीफे के कारणों पर अटकलें नहीं लगाऊँगा। उन्होंने कहा है कि स्वास्थ्य कारणों से ऐसा हुआ है। वे राज्यसभा के सबसे सक्रिय सभापतियों में से एक थे। वे दोनों पक्षों के सदस्यों को साथ काम करने के लिए प्रेरित करते थे। हमारे मत अलग होते थे, लेकिन उनका दिल साफ और कोमल था। मुझे खेद है कि उन्होंने इस्तीफ़ा दिया।
Jagdeep Dhankhar Resignation: कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने क्या सवाल उठाए
धनखड़ के इस्तीफे को लेकर कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, वे पूरे दिन संसद भवन में थे। सिर्फ़ एक घंटे में ऐसा क्या हो गया कि उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा? हम ईश्वर से उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं, लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि इसका कारण क्या है।
6 अगस्त 2022 को ली थी शपथ
जगदीप धनखड़ ने 6 अगस्त 2022 को भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। शपथ ग्रहण से पहले वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रह चुके थे। उपराष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने संसदीय मर्यादाओं और लोकतांत्रिक संवाद को प्राथमिकता देने पर जोर दिया।
इस्तीफे से कुछ घंटे पहले ही मानसून सत्र के पहले दिन राज्यसभा में उन्होंने कहा था, राजनीति का सार टकराव नहीं, संवाद है। अलग-अलग राजनीतिक दल भले ही अलग रास्तों पर चलें, लेकिन सभी का लक्ष्य देशहित ही होता है। भारत में कोई भी राष्ट्र के हितों का विरोध नहीं करता।
कार्यकाल पूरा न करने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति
धनखड़ भारत के तीसरे उपराष्ट्रपति बने हैं जिन्होंने कार्यकाल पूरा नहीं किया।
उनसे पहले कृष्ण कांत का कार्यकाल 27 जुलाई 2002 को निधन के कारण बीच में समाप्त हुआ था। वराहगिरि वेंकट गिरि (वी.वी. गिरि) ने 1969 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था।
धनखड़ का राजनीतिक और व्यक्तिगत सफर
- जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले में एक किसान परिवार में हुआ।
- उन्होंने गांव के स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा और बाद में चित्तौड़गढ़ सैनिक स्कूल से पढ़ाई की।
- जयपुर के महाराजा कॉलेज से बीएससी (ऑनर्स) और राजस्थान यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई कर वकालत शुरू की।
- 1989 में देवीलाल से प्रेरित होकर राजनीति में आए और जनता दल से झुंझुनू से सांसद चुने गए।
- वीपी सिंह की सरकार में मंत्री बने, बाद में कांग्रेस में शामिल हुए और फिर 2003 में बीजेपी में आए।
- 2022 में उपराष्ट्रपति बनने से पहले पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में भी सेवाएं दीं।
भारत के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का अचानक इस्तीफा देश की राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ है। उनके इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य कारण बताए गए हैं, लेकिन इस पर विपक्ष सवाल भी उठा रहा है। उपराष्ट्रपति के रूप में उन्होंने संसद में संवाद और सहमति आधारित लोकतांत्रिक संस्कृति को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया। भारत की राजनीति में उनके योगदान और उनके अचानक इस्तीफे का प्रभाव आगे आने वाले दिनों में साफ होगा।
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